ऍपलॅब के मजदूरों ने हड़ताल छेड़ी

24 मार्च से ऍपलॅब, मुम्बई के 150 से भी ज्यादा मजदूर हड़ताल पर हैं। उससे 15 दिन पहले उन्होंने प्रबंधन को हड़ताल की चेतावनी देने की कानूनी कार्यवाही पूरी की। इससे पहले करीब दो वर्षों से कंपनी के मजदूरों की अपनी यूनियन बार-बार कोशिश कर रही है कि मालिक बातचीत करे मगर मालिक ने एक नहीं सुनी। अब जैसे ही हड़ताल की चेतावनी यूनियन ने दी, तो तुरंत प्रबंधन ने बातचीत शुरू की। प्रबंधन जो राग हमेशा आलापते हैं

24 मार्च से ऍपलॅब, मुम्बई के 150 से भी ज्यादा मजदूर हड़ताल पर हैं। उससे 15 दिन पहले उन्होंने प्रबंधन को हड़ताल की चेतावनी देने की कानूनी कार्यवाही पूरी की। इससे पहले करीब दो वर्षों से कंपनी के मजदूरों की अपनी यूनियन बार-बार कोशिश कर रही है कि मालिक बातचीत करे मगर मालिक ने एक नहीं सुनी। अब जैसे ही हड़ताल की चेतावनी यूनियन ने दी, तो तुरंत प्रबंधन ने बातचीत शुरू की। प्रबंधन जो राग हमेशा आलापते हैं कि कंपनी की हालत ठीक नहीं है, कंपनी वेतन नहीं बढ़ा सकती आदि, वही बातें करना फिर शुरू किया। साथ-साथ सक्रिय मजदूरों पर हमले भी जारी हैं। अत: आखिरकार मजदूरों ने हड़ताल को जारी रखा है।

ऍपलॅब 150 साल से भी ज्यादा पुरानी, इलेक्ट्रोनिक पुर्जे तथा मशीनें बनाने वाली जानी-मानी कंपनी है। ए.टी.एम. मशीन, पेट्रोल पंप के लिए मशीन, इनवर्टर तथा यू.पी.एस. के लिए पुर्जे आदि, आधुनिक औजार यह कंपनी बनाती है। 100 करोड़ से ज्यादा सालाना बिक्री यह कंपनी गत 5साल से कर रही है। कंपनी की बैलेंसशीट के मुताबिक 8 करोड़ से भी ज्यादा ग्रोस मुनाफा कंपनी ने अप्रैल 2011 से दिसम्बर 2011 तक 9 महीने में कमाया है। कंपनी मुनाफा नहीं कमा रही मालिक का यह बयान सरासर झूठ है। कंपनी के मुंबई, ठाणे तथा पुणे में 3 कारखाने हैं तथा इसी कंपनी से पहले जो मुनाफा हुआ था उससे इंटेल इंस्टू्रूमेंट्स तथा स्प्रायलोजिक टेक्नॉलोजी जैसी दूसरी कंपनियां शुरू की गई हैं। जिन ठाणे कारखानों तथा हेड ऑॅफिस में हड़ताल जारी है वहाँ पर 300 से ज्यादा मजदूर काम करते हैं जिनमें 60 से ज्यादा महिला कर्मचारी हैं। उनमें से कई आई.टी.आई. तथा इलेक्ट्रोनिक डिप्लोमा इंजीनियर हैं। करीब 30 वर्षों से नौकरी करने वाले मजदूर को मुश्किल से 10 से 12 हजार वेतन मिलता है जिससे हम अनुमान लगा सकते हैं कि औसतन वेतन कितना कम होगा। कांग्रेस पार्टी से संबंधित यूनियन ने मजदूरों के लिए लड़ने से आनाकानी शुरू कर दी, तब बहुसंख्य मजदूरों ने अपनी आज़ाद यूनियन बनाई।

हमारे संवाददाता ने उनके एक नेता से वार्तालाप किया। उसके कुछ अंश हम यहाँ छाप रहे हैं :

मजदूर कभी भी खुशी से हड़ताल नहीं करते। उनके लिए तो वह अंतिम हथियार है। जब लगातार कोशिशों के बावजूद मालिक जायज़ माँगें नहीं मानता तो मजदूरों के सामने दूसरा कोई विकल्प नहीं बचता। हड़ताली मजदूरों पर हमेशा गैर जिम्मेदार होने का आरोप लगाया जाता है, ऍपलॅब के उस मजदूर नेता ने बयान किया।

एक तरफ महंगाई इतनी तेज़ी से बढ़ रही है कि हर महीने का वेतन पिछले महीने से कम लगता है। मगर ऍपलॅब के मालिक ने गत दो वर्षों से न तो वेतन वृध्दी दी है और न कोई बोनस या प्रमोशन दिया है। हमारी यूनियन ने कई बार इस बात को उठाया मगर मालिक ने एक नहीं सुनी। इतना ही नहीं बल्कि हमारा नेतृत्व करने वाले हमारे साथी मजदूरों पर हमला शुरू कर दिया। फिर हमारे सामने कोई विकल्प ही नहीं रहा सिवाय हड़ताल के।

हड़ताल जारी होते ही मालिक ने हमपर हमले और भी तेज कर दिए हैं। अब तक 16 मजदूरों को सस्पेंड तथा 1 मजदूर को नौकरी से निकाल दिया है। यह सब झूठे आरोप लगाकर किया है। 27 मार्च के दिन हम में से कुछ मजदूर हड़ताल के स्थान से कुछ दूरी पर छांव में दोपहर का खाना खा रहे थे। अचानक हमें पुलिस ने आकर दबोच लिया। पुलिस स्टेशन ले जाकर हम पर आरोप लगाया कि हमने कंपनी में माल लेकर आये एक टेम्पो ड्राईवर पर हमला किया। हम अचंभित रह गए। हमने उस ड्राईवर को बुलाने के लिए विनती की। उस ड्राईवर ने पुलिस के सम्मुख कहा कि हमने उसे नहीं मारा है। हम खुश हुए। मगर हमारी ख़ुशी बहुत ही कम समय रही क्योंकि उस ड्राईवर ने पुलिस के डर से दुबारा बयान दिया कि हमने ही उसे पीटा है। जाहिर है कि मालिक ने सब चक्कर चलाया। हम अब जमानत पर बाहर हैं। मगर हमारे सभी मजदूर साथी एवं नेतागण हमारे साथ हैं और यही हमारी शक्ति है। चाहे मालिक कितना ही दबाव क्यों न डाले, मगर एकता के बल पर हमारा जायज़ संघर्ष हम जारी रखेंगे।

पूरे देशभर में कई इकाइयों में काम करनेवाले मजदूरों के सामने यही दुविधा रहती है, क्योंकि हड़ताल करना कोई आसान बात नहीं है। मजदूर एकता लहर ऍपलॅब के मजदूरों के हौसले को सलाम करती है, एवं हमारा अखबार पढ़ने वाले सभी मजदूरों को इससे जरूर ही हिम्मत मिलेगी।

ऍपलॅब के मजदूरों का अनुभव पूरे देश के मजदूरों से विपरीत नहीं है। जब मजदूर संघर्ष तीखा करते हैं तब मालिक सभी सरकारी प्रशासन की मदद से उन पर हमला करते हैं और विशेषकर उनके नेताओं पर ताकि मजदूरों का संगठन कमजोर हो। झूठे आरोप लगाना भी उनके लिए आम बात है क्योंकि न्याय व्यवस्था भी उनकी जेब में है। मगर ऍपलॅब के मजदूर तथा उनके नेताओं ने हिम्मत नहीं हारी है और इसलिए सभी मजदूर उनका तहेदिल से समर्थन करेंगे, इसमें कोई संदेह नहीं।

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