ओरियंट क्राफ्ट लि. में मजदूरों का शोषण

19 मार्च, 2012 को हरियाणा के जिला गुड़गांव के सेक्टर 37 में स्थित ओरियंटल क्राफ्ट के मजदूरों ने एकजुट होकर प्रबंधन के खिलाफ़ आवाज़ बुलंद की, जब एक मजदूर साथी के वेतन मांगने पर, ठेकेदार और उसके साथी गुंडे ने मजदूर पर कैंची से हमला कर दिया।

19 मार्च, 2012 को हरियाणा के जिला गुड़गांव के सेक्टर 37 में स्थित ओरियंटल क्राफ्ट के मजदूरों ने एकजुट होकर प्रबंधन के खिलाफ़ आवाज़ बुलंद की, जब एक मजदूर साथी के वेतन मांगने पर, ठेकेदार और उसके साथी गुंडे ने मजदूर पर कैंची से हमला कर दिया।

प्रबंधक के द्वारा हमलाकर्ताओं के खिलाफ़ कार्यवाही न करने व मजदूर को ही उल्टे दोषी ठहराये जाने के खिलाफ़, जब मजदूरों ने प्रदर्शन करके प्रबंधक को चेतावनी देने की कोशिश की तो, पुलिस उन पर लाठी लेकर टूट पड़ी। पुलिस की लाठी से कई मजदूर घायल हो गये हैं। प्रबंधन ने मजदूरों के खिलाफ़ मामला भी दर्ज किया है।

ओरियंट क्राफ्ट देश की सबसे बड़ी वस्त्र बनाकर निर्यात करने वाली कंपनियों में से एक कंपनी है। सरकार ने इसे 4स्टार एक्सपोर्ट हाउस की उपाधि से विभूषित किया है। कंपनी की गुड़गांव, नोएडा और ओखला औद्योगिक क्षेत्र में 20 उत्पादन की इकाईयां हैं। इस कंपनी की उत्पा दन इकाईयों में लगभग 25 हजार मजदूर काम करते हैं। समाचार सूत्र के मुताबिक 2010 में इसका वार्षिक करोबार लगभग 960 करोड़ रुपये का था। कंपनी अपने उत्पाद को राल्फ लूरेन, बनाना रिपब्लिक, गैप, सुसन ब्रिस्टल, नाईकी, लिवाइज़, टॉमी हिलफीगर, एक्सप्रेस, मेकेज़ मानसून तथा डोकर्स आदि सहित, दुनिया के कई और बड़े ब्रांडों के नाम से बेचती है।

 

मजदूरों के श्रम की लूट के बल पर ओरियंट क्राफ्ट लि. काफी तरक्की कर रही है। आंध्र प्रदेश में 300 एकड़ भूमि पर एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज़) का निर्माण करने वाली है। इसमें 2000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। हरियाणा सरकार कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस वे के पास टेक्सटाईल-विशेष आर्थिक क्षेत्र विकसित कर रही है।

ओरियंट क्राफ्ट लि. में मजदूरों का एकाएक आगे आकर अपना विरोध करना, यह मात्र एक घटना का परिणाम नहीं है। यह वर्षों से ठेकेदारों की गुंडागर्दी और शोषण का नतीजा है। कंपनी ने अपने काम का ठेका, ''पलवल इंटरप्राईजेस और एमबी क्लोथिन'' को दिया हुआ है। इसका मालिक लवली नाम का व्यक्ति है। समय पर वेतन का न मिलना, आराम के लिये अवकाश का न मिलना और पीस का रेट कम होना – ये वहां मजदूरों की गंभीर समस्याएं है। ठेकेदार के द्वारा मजदूरों को काम से निकाल देने की धमकी देना, हमले और गाली-गलौच देना आम बात है। प्रबंधक ठेकेदारों के खिलाफ़ मजदूरों की शिकायतों पर कोई गौर नहीं करता है।

यही हालत, गुड़गांव में स्थित सभी एक्सपोर्ट गारमेंट में काम करने वाले मजदूरों की है। इसमें लाखों मजदूर काम करते हैं। कंपनियां अधिकांश काम ठेके पर करवाती हैं। 12 से 14 घंटों तक लगातार, बिना किसी आराम के मजदूरों को काम करने को मजबूर किया जाता है। उन्हें सप्ताह में एक दिन का अवकाश तक नहीं दिया जाता है। सामाजिक सुरक्षा – ई.एस.आई., पी.एफ. और बोनस तो दूर की बात है।

हरियाणा की कांग्रेस सरकार तथा उसके श्रम विभाग ने गुड़गांव को पूंजीपतियों के लिए मजदूरों की लूट की स्वर्गस्थली घोषित कर रखी है। यहां कोई श्रम कानून लागू नहीं होता है। श्रम कानूनों के उल्लंघन, उत्पीड़न और शोषण की सूचना श्रम विभाग को देने पर उल्टा पूंजीपति मजदूरों के खिलाफ़ कार्यवाही करते हैं।

गुड़गांव स्थित ऐसी सैकड़ों कंपनियां हैं, जहां मजदूरों के संघर्ष को सरकार पुलिस के आतंक के जरिये दबा देती है। रीको, होंडा, पावर सुजुकी ट्रेन, मुंजाल-शोवा, मारूती-सुजुकी आदि ऐसे कई उदाहरण हमारे सामने हैं। उनके संघर्ष को समाप्त करने के लिए असामाजिक तत्वों – गुंडों का इस्तेमाल आम बात है।

मजदूरों का आगे आकर विरोध करना, यह उनकी अपने अधिकार के प्रति जागरूकता को दर्शाता है। मजदूरों को अपने अधिकारों को पाने के लिये निडरता के साथ कदम और एकजुटता से संघर्ष चलाना होगा।

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