शहीदी दिवस के अवसर पर सार्वजनिक गोष्ठी

23 मार्च, 2012 को दिल्ली स्थित ओखला औद्योगिक क्षेत्र में, हिन्द नौजवान एकता सभा और लोक राज समिति की अगुवाई में, भगत सिंह की शहादत दिवस के अवसर पर, सार्वजनिक गोष्ठी आयोजित की गई। इसमें छात्रों तथा मजदूर नौजवानों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

23 मार्च, 2012 को दिल्ली स्थित ओखला औद्योगिक क्षेत्र में, हिन्द नौजवान एकता सभा और लोक राज समिति की अगुवाई में, भगत सिंह की शहादत दिवस के अवसर पर, सार्वजनिक गोष्ठी आयोजित की गई। इसमें छात्रों तथा मजदूर नौजवानों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

क्रांतिकारी शहीदों को मशाल जलाकर, 'इंकलाब जिन्दाबाद!', 'साम्राज्यवाद मुर्दाबाद!', 'पूंजीवाद मुर्दाबाद!', 'शहीद भगत सिंह, राजगरू, सुखदेव अमर रहें!', 'संगठित हो, हुक्मरान बनो और समाज को बदल डालो!' के नारों के साथ श्रध्दांजलि दी गई।

सभा की शुरुआत में, लोक राज समिति के अध्यक्ष का. अशोक कुमार गुप्ता ने क्रांतिकारी शहीदों के जीवन पर प्रकाश डाला।

हिन्द नौजवान एकता सभा की तरफ से धर्मेन्द्र कुमार ने कहा कि 81 साल के बाद भी, उनके काम और उद्देश्य उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जितने उस वक्त थे। देश के नौजवान, जो उनके सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जीतेंगे, हमें विश्वास है।

लोक राज संगठन की तरफ से बिरजू नायक ने कहा कि बीते आठ दशक, जब 1931 में भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी दी गई थी, और आज के हालत में क्या अंतर है, हमें समझने की जरूरत है। आज भी वही कानून हमारे संविधान में मौजूद हैं, जिनको अंग्रेजों ने अपने हित के लिए स्थापित किया था। पुलिस, फौज, न्यायालय, प्रशासनिक व्यवस्था में अंग्रेज की जगह हिन्दोस्तानी चेहरे आ गये हैं। ये संस्थान, उसी तरह से पेश आते हैं, जैसे अंग्रेजों के जमाने में हिन्दोस्तानियों से पेश आते थे। पहले राज्य सत्ता अंग्रेज नियंत्रित करके मजदूरों और किसानों को लूटते थे, अब उनकी जगह पर टाटा, बिरला, अंबानी आदि पूंजीपति आ गये हैं। संविधान, जिसमें पुराने और गुलामी की याद दिलाने वाले कानूनों का भरमार है, उससे देश के मजदूर और किसान नफरत करते हैं। अंतर सिर्फ वक्त में आया है, हालात में नहीं।

उन्होंने आगे कहा कि 5 साल में एक बार, वोट के अधिकार से सरकार बदलने की आज़ादी को पूंजीपति लोकतंत्र कहते हैं। ऐसे घटिया और पुराने लोकतंत्र में बनने वाली हर सरकार पर लोगों का कोई नियंत्रण नहीं है। देश के लोगों की न्याय पाने की चाहत, रोजी-रोटी पाने की चाहत, देश को गरीबी और भ्रष्टाचार से मुक्त करने की चाहत, इत्यादि के सपने चूर-चूर हो जाते हैं। वे साल-दर-साल गरीबी, बेबसी और अनिश्चित भविष्य की ओर धकेले जाते हैं। जो भी पार्टियां, सरकार में चुनकर आती हैं, वे पिछली सरकार की उन्हीं नीतियों को जारी करके, पूंजीपतियों की सेवा में जुट जाती हैं। देश में गरीबी और अमीरी की बढ़ती खाई इसका ज्वलंत उदाहरण है। न्याय, अमन और जवाबदेही की व्यवस्था को बनाने के लिए देशवासियों को आगे होना होगा। राजनीतिक सत्ता को अपने हाथों में लेना होगा। यही विकल्प है।

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की तरफ से सभा में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए के संतोष कुमार ने बताया कि हमारे शहीदों को सही मायने में श्रध्दांजलि यही होगी कि हमारे नौजवान, उनके सपनों को पूरा करने के लिये आगे बढ़ें। मजदूर वर्ग की हुक्मशाही को स्थापित करने का संघर्ष तेज़ करें। इंसान द्वारा इंसान के शोषण की इस पूंजीवादी व्यवस्था का तख्ता पलट करने के लिये मजदूरों और किसानों को लामबंध करने के काम में जुट जायें।

सभा में कई नौजवान साथियों ने बात रखी।

मजदूर वर्ग की सत्ता स्थापित करने और हमारे शहीदों के सपनों को साकार करने के संकल्प के साथ, जोशपूर्ण नारों के वातावरण में सभा का समापन हुआ।

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *