”आगे का रास्ता” पर मुम्बई में मजदूर वर्ग गोष्ठी

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की महाराष्ट्र इलाका समिति ने 25 मार्च, 2012 को मुम्बई के दादर में ''आगे का रास्ता'' विषय पर एक गोष्ठी  आयोजित की। अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों से वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता, विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे नौजवान छात्र व मजदूर, महाराष्ट्र राज्य में मजदूर वर्ग को संगठित करने में सक्रिय कामरेड, सभी ने पूरे उत्साह के साथ गोष्ठी में भ

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की महाराष्ट्र इलाका समिति ने 25 मार्च, 2012 को मुम्बई के दादर में ''आगे का रास्ता'' विषय पर एक गोष्ठी  आयोजित की। अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों से वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता, विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे नौजवान छात्र व मजदूर, महाराष्ट्र राज्य में मजदूर वर्ग को संगठित करने में सक्रिय कामरेड, सभी ने पूरे उत्साह के साथ गोष्ठी में भाग लिया।

केन्द्रीय समिति के प्रवक्ता प्रकाश राव ने ''मजदूर वर्ग को राज्य सत्ता लेने के लिये तैयार करने के कदम'' – इस विषय पर प्रस्तुति के साथ गोष्ठी की शुरूआत की।

दुनिया में व हिन्दोस्तान में पूंजीवाद के संकट से यह स्पष्ट होता है कि मजदूर वर्ग को अपने हाथ में राज्य सत्ता लेने की सख्त ज़रूरत है।

भाषण में यह समझाया गया कि राज्य सभी वर्गों से निरपेक्ष, समाज के ऊपर खड़ा कोई तंत्र नहीं है। राज्य समाज की उपज है, उसमें असली स्त्री-पुरूष हैं जो शासक वर्ग की सेवा करते हैं। हमारे देश में राज्य पूंजीपति वर्ग का अधिनायकत्व है। यह पूंजीपतियों का राज्य है और यह सिर्फ पूंजीपतियों के हित में ही काम कर सकता है। मजदूर वर्ग इसका इस्तेमाल नहीं कर सकता है। जब हम कहते हैं कि मजदूर वर्ग को अपनी राज्य सत्ता स्थापित करनी पड़ेगी तो इसका यह मतलब है कि वर्तमान पूंजीपतियों के अधिनायकत्व के स्थान पर मजदूर वर्ग को अपना राज्य, अपना अधिनायकत्व स्थापित करना पड़ेगा। पूंजीपतियों ने अपना शासन सुनिश्चित करने के लिये बहुपार्टीवादी लोकतंत्र की पूरी राजनीतिक व्यवस्था और प्रक्रिया स्थापित कर रखी है। मजदूर वर्ग को श्रमजीवी लोकतंत्र की स्थापना करने का काम उठाना होगा, जिसके ज़रिये वह किसानों के साथ गठबंधन बनाकर शासन करेगा।

मजदूरों को राज्य सत्ता लेने के लिये तैयार करने के रास्ते में मुख्य रुकावट भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) है, जिसके उच्च नेता मजदूर वर्ग के सबसे सक्रिय सदस्यों के बीच में यह भ्रम फैलाते रहते हैं कि यह राज्य, यह पूंजीवादी लोकतंत्र पूंजीपतियों और मजदूरों, दोनों की सेवा कर सकता है। जिस-जिस मुद्दे पर पूंजीपति शासक वर्ग मजदूरों को बांटता है, उस-उस मुद्दे पर माकपा की केन्द्रीय समिति पूंजीपतियों के इरादों का पर्दाफाश करने के बजाय, उसी बंटवारे के काम में और योगदान करती है।

मजदूरों के बीच में, काम की जगहों व फैक्ट्रियों में हमें पार्टी के संगठनों को बनाने का काम और बढ़ाना होगा।

मजदूर वर्ग के जिस स्वतंत्र कार्यक्रम को हमारी पार्टी ने पेश किया है, उसे और विस्तृत व विकसित करने में मजदूर वर्ग के नेताओं व कार्यकर्ताओं को कार्यरत करने के नये-नये तरीके हमें विकसित करने होंगे।

अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों से कार्यकर्ताओं को एक-दूसरे के अनुभवों से सीखने, एक-दूसरे के साथ भाईचारा दर्शाते हुये आन्दोलन करने और इस तरह मजदूर वर्ग की एकता बनाने के लिये प्रोत्साहित करने का काम हमें और तेज़ करना पड़ेगा।

इसके साथ-साथ, हमें माकपा नेतृत्व की गलत, मजदूर वर्ग विरोधी, क्रान्ति विरोधी कार्यदिशा का पर्दाफाश करने और उन्हें अलग करने का काम भी जारी रखना होगा क्योंकि माकपा की यह कार्यदिशा मजदूरों की आंखों पर पर्दा डाल रही है और हमें अपने लक्ष्य से भटका रही है।

हमें इस तरह की गोष्ठियां आयोजित करने का काम आगे भी जारी रखना होगा। हम क्रान्ति के सिध्दांत व कार्यनीतियों में खुद को शिक्षित कर रहे हैं और हमें अधिक से अधिक कामरेडों को इस चर्चा में भाग लेने के लिये आकर्षित करना होगा।

बीस से अधिक कामरेडों ने चर्चा को और विस्तृत व विकसित किया। भविष्य मजदूर वर्ग का है – इस पक्के विश्वास के साथ, बड़े उत्साहपूर्ण वातावरण में यह गोष्ठी समाप्त हुई।

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