25 दिसम्बर25 दिसम्बर, 2010 हमारी पार्टी की स्थापना की 30वीं सालगिरह थी।
इस खुशी के अवसर को मनाने के लिये चौथे महाअधिवेशन में निर्वाचित केन्द्रीय समिति ने यह आह्वान दिया था कि पार्टी के काम और पार्टी के सामने चुनौतियों को और बेहतर समझने के लिये पार्टी के सभी सदस्यों तथा मित्रों और समर्थकों को चर्चा में शामिल किया जाये।
इस फैसले के अनुसार कनाडा और दिल्ली में पार्टी की सालगिरह पर आयोजित सभाओं की रिपोटर मजदूर एकता लहर के संपादकीय दल को प्राप्त हुयी हैं। यहां हम इन सभाओं की संक्षिप्त रिपोर्ट पेश कर रहे हैं। आने वाले दिनों में देश के अन्य इलाकों में तथा विदेश में और ऐसी सभायें होने वाली हैं।
टोरांटो, कनाडा
कनाडा में हमारी पार्टी के सदस्यों और समर्थकों ने टोरांटो में 25 दिसम्बर, 2010 को पार्टी की स्थापना की 30वीं सालगिरह के अवसर पर एक जोशभरी सभा आयोजित की।
सभा में बीते 30 वर्षों में पूंजीपतियों के खिलाफ़ वर्ग संघर्ष में मजदूर वर्ग और मेहनतकश जनसमुदाय को अगुवाई देने में हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के काम पर चर्चा हुई। इस संघर्ष का उद्देश्य है हमारी मातृभूमि को पूंजीवाद, सांमती अवशेष, साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद की विरासत से मुक्त कराना तथा समाजवाद और कम्युनिज्म का रास्ता खोलना।
पार्टी ने अपनी स्थापना के समय से जो-जो वर्ग संघर्ष किये हैं, उनकी झलक दिखाते हुये एक वृत्ताचित्र को दर्शकों ने बड़े उत्साह के साथ देखा।
1920 के दशक में हिन्दोस्तान में कम्युनिस्ट आंदोलन के आरंभ से लेकर वर्तमान समय तक इसका विकास और इसमें मुख्य धाराओं पर प्रस्तुतियां पेश की गईं। साथियों ने ”समाजवाद के शांतिपूर्ण और संसदीय रास्ते” की लाईन के ऐतिहासिक विकास पर चर्चा की, जिसे हमारे देश में सोवियत संशोधनवाद के पालनकर्ता, खासतौर पर भाकपा और माकपा बढ़ावा देते हैं। साथियों ने 1964 में संयुक्त कम्युनिस्ट पार्टी में फूट पड़ने से पूर्व, विभिन्न नेताओं की नकारात्मक भूमिका तथा 1964 से आज तक भाकपा और माकपा की नकारात्मक भूमिका पर चर्चा की। इस बात पर जोर दिया गया कि पूंजीपतियों के शासन का तख्तापलट करना और श्रमजीवी अधिनायकत्व स्थापित करना भाकपा और माकपा का इरादा नहीं है।
सभा में इस बात की पुष्टि की गई कि नक्सलबाड़ी विद्रोह और 1969 में भाकपा (माले) की स्थापना सकारात्मक गतिविधियां थीं। सभा में भाकपा (माले) का विघटन करने में तथा वर्तमान समय तक माओ त्से तुंग विचारधारा की नकारात्मक भूमिका पर चर्चा की गई।
टोरांटो की सभा में इकट्ठे हुये साथियों ने यह वादा किया कि पूंजीपतियों के खिलाफ़ लगातार विचारधारात्मक संघर्ष करने के दौरान, सच्चे कम्युनिज्म और हिन्दोस्तान में तथाकथित कम्युनिज्म की विभिन्न धाराओं के बीच अन्तर को स्पष्ट करने के लिये सुनियोजित संघर्ष करेंगे।
दिल्ली
दिल्ली इलाके में हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के सदस्यों, समर्थकों और मित्रों ने 25-26 दिसम्बर, 2010 को दिल्ली में पार्टी की 30वीं सालगिरह मनाई। उन्होंने पार्टी के जीवन और काम की समीक्षा की और पार्टी की उपलब्धियों तथा अनवरत प्रगति से सबक सीखे। उन्होंने अक्तूबर में हुये पार्टी के चौथे महाअधिवेशन के कुछ महत्वपूर्ण विषयों का गंभीरतापूर्वक अध्ययन किया और उन पर चर्चा की, ताकि उन विषयों के निष्कर्षों को गहराई से समझा जाये और नये साल में उनके फैसलों को लागू करना शुरू किया जाये।
प्रारंभिक सत्र में हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के 30 वर्ष के इतिहास पर एक शानदार और दिलों को छूने वाला वृत्ताचित्र दिखाया गया। इसके बाद पार्टी के काम और उपलब्धियों के विभिन्न पहलुओं पर अनेक साथियों ने अपनी बातें रखीं। वृत्ताचित्र और उसके बाद की चर्चा से यह स्पष्ट हुआ कि बीते तीन दशकों में हमारे देश के राजनीतिक इतिहास के हर निर्णायक मोड़ पर हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी ने अनोखी भूमिका अदा की है।
चर्चा के दौरान साथियों ने बताया कि काम के अधिकार, सुरक्षित रोजगार के अधिकार, आत्मनिर्धारण के राष्ट्रों और लोगों के अधिकार और हर इंसान के ज़मीर के अधिकार तथा सभी के अधिकारों की हिफ़ाज़त के संघर्ष में हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी ने अगुवा भूमिका निभाई है। पूंजीवादी हमले का सामना करते हुये हमारी पार्टी ने अधिकारों का झंडा बुलंद किया और राज्य द्वारा आयोजित सांप्रदायिक हिंसा समेत राजकीय आतंकवाद के खिलाफ़ एकता का आह्वान दिया। अपने विचारों के लिये किसी व्यक्ति या तबके के उत्पीड़न का हमारी पार्टी ने विरोध किया है और समाज के बारे में अपने विचार और अपना नज़रिया रखने के हर व्यक्ति के अधिकार की पार्टी ने रक्षा की है। साथियों ने बताया कि अपनी स्थापना के समय से आज तक, यह असूलों पर आधारित और खुले दिल वाला रवैया हमारी पार्टी का विशेष चरित्र रहा है। साथियों ने बताया कि हमारी पार्टी ने लगातार मेहनतकशों को यह सिखाया है कि सभी प्रकार के आतंकवाद और खास धर्म या राष्ट्रीयता के लोगों को निशाना बनाने वाली हिंसा का स्रोत पूंजीपति वर्ग का राज्य ही है। पार्टी ने डटकर ऐसा किया है, जबकि इसी समय के दौरान खुद को कम्युनिस्ट कहलाने वाली कई पार्टियां शासक वर्ग के प्रचार के साथ समझौता कर चुकी हैं और यह प्रचार करती हैं कि इस या उस धर्म का रूढ़ीवाद समस्या की जड़ है।
पार्टी के इतिहास और काम पर चर्चा के दौरान कई साथियों ने वर्तमान प्रतिनिधित्व वाले लोकतंत्र का विकल्प पेश करने के पार्टी के काम पर जोर दिया। पार्टी ने इसे सिर्फ कार्यक्रम बतौर ही नहीं पेश किया है, बल्कि इस विकल्प के इर्द-गिर्द मेहनतकशों को लामबंध करने के कई तौर-तरीके विकसित किये हैं। साथियों ने बताया कि प्रतिनिधित्व का लोकतंत्र पूंजीपति वर्ग की हुकूमशाही के अलावा कुछ और नहीं है तथा हम उसे बदलकर श्रमजीवी लोकतंत्र, यानि श्रमजीवी अधिनायकत्व स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमारी पार्टी ने श्रमजीवी लोकतंत्र की वैकल्पिक राजनीतिक व्यवस्था और प्रक्रिया को विकसित करने के काम में मजदूरों, किसानों और प्रगतिशील बुध्दिजीवियों को लामबंध किया है।
इन चर्चाओं के दौरान साथियों ने बीते 30 वर्षों में पार्टी का निर्माण करने के लिये उठाये गये खास कदमों पर जोर दिया। हमने अपनी पार्टी को लेनिनवादी लाईन के अनुसार बनाया है। हमने पार्टी के कायदे-कानूनों को इस प्रकार से लागू किया है ताकि पार्टी में गुटवाद का कोई नामों-निशान नहीं है। बीते 30 वर्षों में पार्टी की फौलादी एकता और मजबूत होती रही है। पार्टी के महाधिवेशन में सामूहिक तौर पर अपनाये गये कार्यक्रम और कार्य योजना तथा कार्यदिशा की हिफ़ाज़त में पार्टी ने हमेशा संघर्ष किया है। हमारी पार्टी का हर सदस्य, चाहे नया हो या पुराना, यह जानता है कि सभी फैसले पार्टी के संगठनों में लिये जाते हैं और अगर कोई फैसला बदलना हो तो फैसला लेने वाले पार्टी संगठन की सभा बुलानी पड़ती है और उस फैसले पर पुन: निर्णय लिया जा सकता है। हमने ऐसी पार्टी का निर्माण किया है जिसमें व्यक्तियों को बढ़ावा नहीं दिया जाता है बल्कि पार्टी के काम की सारी उपलब्धियां और कमजोरियां हम सभी की हैं।
इन चर्चाओं के दौरान साथियों ने बताया कि पार्टी ने जन संगठनों का निर्माण करने पर खास ध्यान दिया है और यह सुनिश्चित किया है कि इन जन संगठनों के सदस्य पूर्ण रूप से सक्षम हों। साथियों ने बताया कि पार्टी मजदूरों, किसानों, महिलाओं, नौजवानों, छात्रों, आदि के जन संगठनों को वह स्थान मानती है जहां मेहनतकश लोग समाज का अजेंडा तय करने और खुद समाज के मालिक बनने का प्रशिक्षण पाते हैं। अत: हमारी पार्टी ने अपने सदस्यों को इस दृष्टिकोण से लैस किया है कि जन संगठनों पर पार्टी का नेतृत्व उन संगठनों में सक्रिय कम्युनिस्टों के विचारधारात्मक और राजनीतिक काम के जरिये ही स्थापित होता है, न कि किसी ऊपर के आदेश से।
दो दिन की सभाओं के दौरान तीन महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किये गए, जिनके विषय थे (1) हिन्दोस्तान की आर्थिक व्यवस्था का विश्लेषण और मूल्यांकन (2) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) की विचारधारात्मक-राजनीतिक लाईन और रवैयों का मूल्यांकन (3) माओ त्से तुंग विचारधारा की विषयवस्तु और प्रभाव का मूल्यांकन। इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर की गई प्रस्तुतियों के बाद सभा के अनेक सदस्यों ने बड़े उत्साह के साथ आगे आकर अपनी बातें रखीं।
इस दो दिवसीय समारोह में हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के कई मित्रों और शुभचिंतकों ने भी भाग लिया, जो विभिन्न राजनीतिक संगठनों के सदस्य हैं। इन मित्रों ने पार्टी की लाईन और कार्यक्रम पर चर्चा में सक्रियता से भाग लिया और इस बात की सराहना की कि हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी क्रांति, श्रमजीवी लोकतंत्र और समाजवाद की स्थापना के रास्ते पर सभी शोषितों को अगुवाई देने के लिये मजदूर वर्ग को तैयार करने के काम में दूसरी समान विचार वाली पार्टियों और व्यक्तियों को शामिल करने की कोशिश कर रही है।
दोनों दिनों की सभाओं की एक विशेषता यह रही कि नौजवान लड़कियों और लड़कों ने बड़ी सक्रियता से भाग लिया और देश तथा दुनिया के भावी नेता और शासक बतौर प्रशिक्षण पाने में उन्होंने बहुत उत्साह दिखाया। ”ग़दर की जीत के लिए हम सौ-सौ लेनिनों को पैदा करें!” – यह था एक जुझारू नौजवान संगठनकर्ता का नारा। इस नारे में चौथे महाधिवेशन से पैदा होने वाली भावना झलकती है, जो बीते 30 वर्षों के पार्टी के काम का उत्पाद है।
समापन में हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के प्रवक्ता कामरेड प्रकाश राव ने पार्टी के सभी सदस्यों, समर्थकों और मित्रों से आह्वान किया कि चौथे महाधिवेशन के फैसलों को लागू करने के उत्साहपूर्ण काम में जुट जायें। उन्होंने पूंजीपतियों के खेमे में संकट और आपसी झगड़ों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि एक तरफ खाद्य और सुरक्षित रोजगार का अधिकार तो दूसरी तरफ इजारेदार पूंजीपतियों के मुनाफों की हवस, इन दोनों के बीच घमासान टक्कर है। उन्होंने सभी कम्युनिस्टों और मजदूर वर्ग कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि पूंजीपति वर्ग के साथ समझौता करने की लाईन, जो आंदोलन को कमजोर बनाती है और कम्युनिस्टों को अपने रास्ते से गुमराह करती है, इसका पर्दाफाश और विरोध करने के साथ-साथ, पूंजीपतियों के हमले के खिलाफ़ व हिन्दोस्तान के नवनिर्माण के लिये राजनीतिक एकता बनाने के काम को आगे बढ़ायें।