28 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल पर मजदूर नेताओं से वार्तालाप

28 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल के अवसर पर, मजदूर एकता लहर ने विभिन्न मजदूर नेताओं से साक्षात्कार लिया। उनके कुछ अंश हम नीचे प्रकाशित कर रहे हैं।

बिरजू नायक, सचिव, मजदूर एकता कमेटी

म.ए.ल.

28 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल के अवसर पर, मजदूर एकता लहर ने विभिन्न मजदूर नेताओं से साक्षात्कार लिया। उनके कुछ अंश हम नीचे प्रकाशित कर रहे हैं।

बिरजू नायक, सचिव, मजदूर एकता कमेटी

म.ए.ल. : आज की हड़ताल का बुलावा क्यों दिया गया है?

बिरजू नायक : वर्तमान संप्रग सरकार की मजदूर-विरोधी, राष्ट्र-विरोधी, जन-विरोधी नीति के खिलाफ़ इस हड़ताल को आयोजित किया गया है। बढ़ती महंगाई, मजदूरों के अधिकारों पर बढ़ते हमले, श्रम कानूनों का उल्लंघन, निजीकरण-उदारीकरण, बढ़ती ठेकेदारी प्रथा के खिलाफ़ तथा सर्वव्यापी सार्वजनिक खाद्य वितरण प्रणाली के लिये देशभर के मजदूर अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं।

म.ए.ल. : आपके ख्याल से सरकार क्यों मजदूरों की मांगों को अनदेखा कर रही है, उल्टे मजदूरों के अधिकारों पर और हमले तेज़ कर रही है? क्या यह सिर्फ संप्रग सरकार का रवैया है? इसके पहले की सरकारों के साथ मजदूरों का क्या अनुभव है?

बिरजू नायक : हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था पूंजीवादी है। इस व्यवस्था में पूंजीपतियों की सरकारों का काम पूंजीपतियों के हितों की सेवा करना है, न कि देश की मेहनतकश आवाम की समस्याओं को हल करना।

इससे पहले की राजग सरकार की भी वही नीतियां थीं, जो अब संप्रग सरकार की नीतियां हैं। पूंजीवादी व्यवस्था में पूंजीपतियों के मुनाफे को सुनिश्चित करने के साथ-साथ, पूंजीवाद की वर्तमान व्यवस्था के प्रति देश की जनता को मूर्ख बनाने के लिए, सरकारों का आना-जाना या एक पार्टी को हटाकर दूसरी पार्टी को लाना – ये तथाकथित विकसित पूंजीवादी लोकतंत्र के लक्षण हैं।

म.ए.ल. : इस हालत को बदलने के लिए मजदूर वर्ग के सामने क्या रास्ता है?

बिरजू नायक : वर्तमान हालत को बदलने के लिए मजदूर वर्ग को सत्ता को अपने हाथ में लेना होगा। मजदूर वर्ग की सत्ता ही निजीकरण, उदारीकरण और भूमंडलीकरण की नीति को रोकने में सक्षम होगी। मजदूर वर्ग की सत्ता ही मेहनतकशों की  खुशहाली सुनिश्चित कर सकती है। वह किसानों की उपज की लाभदायक दाम पर खरीद सुनिश्चित करके तथा शहरों में मजदूरों को उचित दाम पर वितरित करके महंगाई पर रोक लगा सकती है। मजदूर वर्ग की सत्ता ही निजी मुनाफे पर रोक लगा सकती है।

अपनी सत्ता के साथ, मजदूर वर्ग देश की अर्थव्यवस्था को मेहनतकश जनसमुदाय के हित में अवश्य चला सकता है। देश की अर्थव्यवस्था के बैंक, वित्ता तथा अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूर अच्छी तरह से जानते हैं कि मेहनतकशों की खुशहाली के लिये इन उद्योगों को कैसे चलाना है। उदाहरण के लिए रेलवे में काम करने वाले मजदूर देश के मेहनतकशों के हित में, पूंजीवादी व्यवस्था के मंत्रियों की तुलना में, सबसे बेहतर तरीके से रेल का संचालन कर सकते हैं।

हमें पूरा विश्वास है कि देश के मजदूर अपने इस पवित्र उद्देश्य को पूरा करेंगे। वे ही इस देश के असली मालिक और भविष्य हैं।

म.ए.ल. : इसके लिये क्या काम करने की जरूरत है?

बिरजू नायक : सबसे पहले, मजदूर वर्ग को हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी जैसी क्रांतिकारी पार्टी की जरूरत है, जो मजदूर वर्ग की सत्ता के लिए संघर्ष कर रही है। अगुवा मजदूरों को पार्टी का सदस्य बनकर फैक्ट्रियों, अन्य काम के संस्थानों तथा औद्योगिक इलाकों में पार्टी की इकाई स्थापित करनी होगी। हमें देश के सभी मजदूरों को, मजदूर वर्ग के स्वतंत्र कार्यक्रम के इर्द-गिर्द एकजुट करना होगा। इस कार्यक्रम का केन्द्र-बिन्दू होगा उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण के  सरमायदारी कार्यक्रम पर रोक लगाना, अपने अधिकारों के लिए एकजुट होना, किसानों तथा तमाम शोषित-पीड़ित लोगों का मजदूर वर्ग की अगुवाई में एकजुट मोर्चा बनाना और राज्य सत्ता को अपने हाथों में लेना।

देश के मजदूरों के दबाव से आज अनेक केन्द्रीय यूनियनों को एकजुट होना पड़ा है, जो अच्छी बात है। हमारे सामने यह चुनौती है कि कैसे मजदूर संगठनों को सरमायदारी पार्टियों के पिछलग्गूपन से निकाला जाये। हमारे सामने यह चुनौती है कि इन पार्टियों ने जिस प्रकार हमारे मजदूर वर्ग को बांटा है, इस बंटवारे को खत्म किया जाये, ताकि देश का मजदूर वर्ग अपनी सही भूमिका अदा कर सके।

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