चेन्नई में नर्से बेहतर वेतन और काम की हालतों के लिये संघर्ष की राह पर

चेन्नई के अपोलो अस्पताल, एम.एम.एम.

चेन्नई के अपोलो अस्पताल, एम.एम.एम. अस्पताल और फोरटिस मालार अस्पतालों में काम करने वाले 2000 से अधिक नर्सों ने मार्च के प्रथम हफ्ते में हड़ताल की। वे बेहतर वेतन और काम की हालतों की मांग कर रही हैं। नवंबर 2011 से उन्होंने बार-बार अपनी मांगों को अस्पताल मैनेजमेंट के सामने रखा है, पर मैनेजमेंट ने उनकी मांगों को नजरंदाज़ किया है। बढ़ती महंगाई और काम पर शोषण का सामना करते हुये, इन नर्सों के पास अपनी मांगों पर ज़ोर देने के लिये, हड़ताल के अलावा कोई और रास्ता नहीं था।

नर्सें अस्पताल व्यवस्था में बहुत ही अनिवार्य भूमिका निभाती हैं। परन्तु अक्सर उनकी सेवाओं को नजरंदाज़ किया जाता है और मजदूर, महिला व इंसान बतौर उनकी हालतों की उपेक्षा की जाती है।

अपनी हड़ताल के दौरान, नर्सों ने समझाया कि उन्हें स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद 3-4 साल का कठिन प्रशिक्षण लेना पड़ता है, जिसका भारी शुल्क उनके परिवारों को उठाना पड़ता है। प्राइवेट अस्पताल में नौकरी पाने के लिये उन्हें बांड पर हस्ताक्षर करना पड़ता है, जिसकी शर्तों के अनुसार उन्हें कई सालों तक लगातार 10-12 घंटे काम करना पड़ता है, और उन्हें प्रति माह सिर्फ 5000-6000 रुपये का वेतन मिलता है। उनके सर्टिफिकेट अस्पताल मैनेजमेंट द्वारा रख लिये जाते हैं ताकि उनके लिये दूसरी नौकरी की तलाश करना मुश्किल हो जाये। अस्पताल में उन्हें दिन या रात को, कभी भी, कठिन हालतों में काम करना पड़ता है और उनके हॉस्टलों में भी अक्सर कई लड़कियों को एक ही कमरे में रहने को मजबूर किया जाता है। 

अधिकतम नर्सों को अपने प्रशिक्षण का खर्च पूरा करने के लिये कर्जा लेना पड़ता है, पर इतने कम वेतन के साथ नर्सें बड़ी मुश्किल से गुज़ारा कर पाती हैं, और कर्जा चुकाना या अपने परिवारों को पैसे भेजना नामुमकिन हो जाता है। दूसरी ओर, जिन प्राइवेट अस्पतालों में ये नर्सें काम करती हैं, वहां ज्यादातर पैसे वाले मरीज और विभिन्न देशों से मेडिकल पर्यटक इलाज के लिये आते हैं, जिनसे अस्पताल भारी शुल्क वसूलते हैं और बेशुमार मुनाफे कमाते हैं। परन्तु जिन नर्सों के श्रम और निष्ठावान सेवा के जरिये ये मुनाफे बनाये जाते हैं, उन्हें इंसान भी नहीं माना जाता है।

अगर नर्सें संगठित होने और इन कठिन हालतों के खिलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद करने की कोशिश करती हैं, तो उन्हें नौकरी से निकाल दिये जाने, हास्टेल से निकाल दिये जाने आदि की धमकी दी जाती है। अस्पताल के बाहर इकट्ठे होने पर, उन पर हमला किया जाता है।

इन सारी धमकियों से डरे बिना, हड़ताली नर्सों ने 7 मार्च को रेलवे स्टेशन के पास, मेमोरियल हॉल पर एक जोशीला धरना आयोजित किया। अपोलो अस्पताल और फोरटिस मालार अस्पताल की नर्सों ने भाग लिया और मिल कर अपनी मांगें उठायीं। 8 मार्च, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर नर्सों ने राजरत्नम स्टेशन से एग्मोर तक जलूस निकाली। अपोलो मेन अस्पताल, वेयनामपेट में स्पेशलिटी अस्पताल, फर्स्ट मेड किलचाक और तोंडियारपेट में अपोलो अस्पताल से 1000 से अधिक नर्सों ने इस जलूस में भाग लिया। कई नर्सों ने अपनी हालतों पर रोशनी डालते हुये, रैली को संबोधित किया।

लोक राज संगठन तामिलनाडु ने नर्सों के संघर्ष का समर्थन किया और उनके संघर्ष के समर्थन में एक पर्चा जारी किया, जिसकी बहुत सी प्रतियां लोगों में बांटी गयीं।

मजदूर एकता लहर नर्सों के जायज़ संघर्ष का समर्थन करती है।

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