सर्व-हिन्द हड़ताल की कामयाबी के लिये मजदूर वर्ग को बधाई!

28 फरवरी, 2012 को देश के मजदूर वर्ग और उनके तमाम ट्रेड यूनियनों और संगठनों ने पूंजीपतियों की संप्रग सरकार द्वारा, पूंजीपतियों के हित में श्रम कानूनों को सुधारने के प्रस्तावों का विरोध करने, निजीकरण और उदारीकरण के कार्यक्रम को हराने तथा जनता की जेब काटकर पूंजीपतियों को राहत न देने, बैंकिंग और व्यापार का राष्ट्रीयकरण और सामाजीकरण करने, महंगाई को खत्म करने और एक सर्वव्यापी सार्वजनिक वितरण व्यवस

28 फरवरी, 2012 को देश के मजदूर वर्ग और उनके तमाम ट्रेड यूनियनों और संगठनों ने पूंजीपतियों की संप्रग सरकार द्वारा, पूंजीपतियों के हित में श्रम कानूनों को सुधारने के प्रस्तावों का विरोध करने, निजीकरण और उदारीकरण के कार्यक्रम को हराने तथा जनता की जेब काटकर पूंजीपतियों को राहत न देने, बैंकिंग और व्यापार का राष्ट्रीयकरण और सामाजीकरण करने, महंगाई को खत्म करने और एक सर्वव्यापी सार्वजनिक वितरण व्यवस्था स्थापित करने, आदि की मांग को लेकर सर्व-हिन्द हड़ताल का बुलावा दिया था।

देश के महानगरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता तथा चेन्नाई के साथ-साथ, देश के सैकड़ों शहरों तथा कस्बों में कार्यरत हजारों-लाखों श्रमिकों ने पूंजीवादी व्यवस्था और इसकी नीतियों के खिलाफ़ सड़कों पर निकलकर अपना गुस्सा ज़ाहिर किया।

केन्द्रीय और राज्य सरकार के संस्थानों – बैंक, बीमा, डाक, पोर्ट-डॉक, स्वास्थ्य, कोयला व खनन उद्योग, ऊर्जा, रक्षा क्षेत्र से जुड़े लाखों कर्मचारियों आदि ने हड़ताल करके कामकाज को बंद रखा। विश्वविद्यालयों, कालेजों, स्कूलों के शिक्षकों व श्रमिकों ने उत्साह के साथ हड़ताल में भाग लिया। परिवहन कर्मी, बिजली, म्युनिसिपल सेवा कर्मी, संचार – टेलीफोन-तार, एम.टी.एन.एल., बी.एस.एन.एल., तिपहिया चालक, टैक्सी, प्राइवेट बस ऑपरेटर, गैस एजेंसी इत्यादि में काम करने वाले लाखों मजदूरों ने हड़ताल में शामिल होकर सरकार की नीतियों के खिलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद की।

दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों, फरीदाबाद, साहिबाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, गुड़गांव, धारूहेड़ा, भिवाड़ी सहित देश के अलग-अलग प्रांतों की राजधानियों में स्थित विनिर्माण उद्योग व सेवा उद्योग में हड़ताल के फलस्वरूप उत्पादन ठप्प रहा।

इस सर्व-हिन्द हड़ताल को कामयाब करने की रणनीति तैयार करने के लिये एक माह पूर्व केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ-साथ, स्थानीय तौर पर प्रभावी मजदूर संगठनों और यूनियनों ने संयुक्त रूप से बैठकें आयोजित कीं। इस रणनीति के तहत, 'सभी मजदूरों के सर्वव्यापी अधिकारों को कानून में मान्यता दो तथा अभ्यास में इनकी सुरक्षा करो!' और '28फरवरी की हड़ताल को कामयाब करो!' के नारों के साथ नुक्कड़ सभाएं, जुलूस, मोर्चे, आदि निकाले गये।

हड़ताल के दिन, देश के अलग-अलग भागों से मजदूरों ने पूंजीपतियों के लूट-दमन और शोषण के खिलाफ़ और सरकार की पूंजीपतियों के मुनाफे हेतु बनायी गयी नीतियों के खिलाफ़, जगह-जगह पर जुलूस और सभाओं का आयोजन किया। इन संयुक्त रूप से होने वाली कार्यवाहियों में मजदूरों ने 'पूंजीवादी लोकतंत्र मुर्दाबाद!', 'श्रमजीवी लोकतंत्र के लिये संघर्ष करें!', 'मजदूरों और किसानों का राज बसाने के उद्देश्य से संघर्ष करें!' के नारे उछाले।

मजदूर एकता कमेटी के सदस्यों ने इस शीर्षक सहित ''सभी मजदूरों के सर्वव्यापी अधिकारों की हिफ़ाज़त में एकजुट हों!, निजीकरण और उदारीकरण के कार्यक्रम को हरायें!, मजदूरों और किसानों की सत्ता स्थापित करने के उद्देश्य से संघर्ष करें!''  हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के बयान की हजारों प्रतियों को बड़ी सक्रियता के साथ रैलियों, प्रदर्शनों और सभाओं आदि में वितरित किया गया।

इस हड़ताल ने मजदूरों को वर्ग बतौर अपने हित के लिये आगे आने को प्रेरित किया और आगे संघर्ष करने की प्रेरणा दी। सभी ने एकजुट होकर पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ़ अपने गुस्से को बयान किया।

मजदूर एकता लहर, इस हड़ताल को कामयाब करने के लिये देश के मजदूर वर्ग को इंकलाबी अभिवादन देती है।

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