सरकारों का काम पूंजीपतियों के मुनाफों को सुनिश्चित करना है!

संपादक महोदय,

मैंने मजदूर एकता लहर के अंक 1-15 फरवरी, 2012 में प्रकाशित लेख ''एयर इंडिया के निजीकरण की मजदूर-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीति का पर्दाफाश और जमकर विरोध करना होगा!'' को पढ़ा।

संपादक महोदय,

मैंने मजदूर एकता लहर के अंक 1-15 फरवरी, 2012 में प्रकाशित लेख ''एयर इंडिया के निजीकरण की मजदूर-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीति का पर्दाफाश और जमकर विरोध करना होगा!'' को पढ़ा।

आज एयर इंडिया के निजीकरण के प्रयास में संप्रग सरकार पूरी तरह समर्पित है। इस प्रयास के तहत, एयर इंडिया में काम करने वाले मजदूरों को महीनों-महीनों तनख्वाह नहीं दी जा रही है। भत्तों से भी वंचित किया जा रहा है। यह सब सरकार इसलिए कर रही है ताकि मजदूर खुद ही काम छोड़कर चले जायें और एयर इंडिया के निजीकरण का रास्ता साफ हो सके।

90 के दशक में, वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ही थे, जिनकी अगुवाई में निजीकरण, उदारीकरण और भूमंडलीकरण की नीति को हिन्दोस्तान में लागू किया गया था। इस नीति का मुख्य उद्देश्य देश के पूंजीपतियों को विश्वस्तर पर स्थापित करने का था। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए यह जरूरी था कि लोगों के धन से बने संस्थानों को पूंजीपतियों को बेचा जाये और मजदूरों और किसानों की ज्यादा से ज्यादा लूट हो।

पिछले 20 वर्षों में पूंजीपति वर्ग की कांग्रेस पार्टी तथा भाजपा ने अपने-अपने गठबंधन की सरकारों के जरिये देश के पूंजीपतियों के उपरोक्त उद्देश्य को पूरा करने की जी-तोड़ मेहनत की है। आज हिन्दोस्तान के पूंजीपति विश्वस्तर के हो चुके हैं। दूसरी तरफ, देश के मजदूरों और किसानों की हालत बहुत खराब स्थिति में है।

निजीकरण की राज्य की नीति असूलन गलत है। इसे किसी भी बहाने समर्थन देना, पूंजीपतियों के समर्थन के बराबर है।

धन्यवाद

हुसैन, पटना, बिहार

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *