लेख हमें सचेत करता है

संपादक महोदय,

संपादक महोदय,

मैंने मजदूर एकता लहर के अंक-3, फरवरी 1-15, 2012 में, छपे लेख – 'निजीकरण की मजदूर-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीति का पर्दाफाश और जमकर विरोध करना होगा' – को पढ़ा। इस लेख से एयर इंडिया के निजीकरण की प्रक्रिया में सरकार द्वारा रची गई साज़िशों का पता चला। लेख छापने के लिये मैं मजदूर एकता लहर को धन्यवाद देना चाहता हूं, क्योंकि इस तरह की जानकारियों से मजदूर वर्ग के बीच में पूंजीवादी लोकतंत्र के मानवीय मुखौटे का पर्दाफाश होता है। हम जैसे मजदूर वर्ग के नौजवान भी सचेत होते हैं।

लेख से स्पष्ट है कि पूंजीपति वर्ग और उसकी हिमायत करने वाली सरकारें किस तरह से एयर इंडिया के निजीकरण के प्रयास में लगी रही हैं। संयुक्त मोर्चा सरकार, भाजपा नीत राजग सरकार और वर्तमान की कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन ने बारी-बारी से कंपनी को घाटा पहुंचाने और पूंजीपतियों, नेताओं और बड़े-बड़े अफसरों ने इस घाटे से मुनाफा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

एयर इंडिया और इंडियन एयरलाईंस का विलयन करके और फिर मुनाफेदार विदेशी और घरेलू उड़ानों को बंद करके कंपनी को घाटे में लाने के लिये पूंजीपतियों की सरकारें और उनके अफसर ही जिम्मेदार रहे हैं। जबकि इसके विपरीत, इन दोनों कंपनियों के मजदूरों को समय पर वेतन न देकर, उनके भत्तों को रोककर, समय से अधिक काम लेकर, मिलने वाली सुविधाओं में कटौती करके, उन्हें हड़ताल करने पर मजबूर किया जा रहा है।

सरकार की पूरी कोशिश है कि कंपनी को घाटे में लाकर दिवालिया घोषित किया जाये जबकि दूसरी तरफ अपने मानव संसाधनों और अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करके यह मुनाफा कमा सकती है। एयर इंडिया के पास बहुत अधिक मात्रा में देश और विदेशों में अचल  संपत्ति है, जिस पर देशी और विदेशी पूंजीपतियों की निगाह है। ताकि वे इस संपत्ति को अपने मुनाफे बनाने के लिये हड़प सकें।

हमें मजदूर वर्ग को इस पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में यह समझना चाहिये कि इसकी चालक शक्ति मुनाफा है। यह व्यवस्था किसी भी हालत में अपने मुनाफे से समझौता नहीं करती है। इसलिये हमें इस पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की दिशा को बदलने के लिये आगे बढ़ना होगा। इसमें थोड़ा बहुत सुधार करने से मजदूर वर्ग का भला नहीं हो सकता है। जिस तरह पूंजीपति वर्ग अपने मुनाफों से समझौता नहीं करता है, उसी प्रकार से मजदूर वर्ग भी पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को मिटाने के लक्ष्य से कम के लक्ष्य के साथ समझौता नहीं कर सकता है।

क्रांतिकारी अभिवादन सहित

रोशन सिंह, बलिया, उत्तर प्रदेश

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