एयर इंडिया के मज़दूरों का आंदोलन

15 फरवरी, 2012 को चेन्नई के मीनम्बक्कम हवाई अड्डे पर सैकड़ों मज़दूरों ने, एयर इंडिया के मज़दूर-विरोधी प्रबंधन के खिलाफ़, एक जोशीला प्रदर्शन किया।

15 फरवरी, 2012 को चेन्नई के मीनम्बक्कम हवाई अड्डे पर सैकड़ों मज़दूरों ने, एयर इंडिया के मज़दूर-विरोधी प्रबंधन के खिलाफ़, एक जोशीला प्रदर्शन किया।

एयर इंडिया यूनाईटेड वर्कर्स यूनियन (ए.आई.यू.डब्ल्यू.यू.) ने एयर इंडिया प्रबंधन के खिलाफ़ यह प्रदर्शन इसीलिये आयोजित किया क्योंकि उन्होंने 500 से भी अधिक मज़दूरों को 25 से 30 सालों से अस्थाई तौर पर नौकरी पर रखा हुआ है।  मज़दूरों ने हवाई अड्डेक्षेत्र में काम करने वालों के लिये स्थायी नौकरियां और अन्य मांगों के पोस्टर व पताके लगाये थे। उनके यूनियन ने सैकड़ों की संख्या में पर्चे बांटे जिसमें उन्होंने प्रबंधन की मज़दूर-विरोधी नीतियों की निंदा की और सभी मज़दूरों को संघर्ष में उतरने के लिये बुलावा दिया।

ए.आई.यू.डब्ल्यू.यू. के आयोजक और लोक राज संगठन के सर्व हिन्द परिषद के सदस्य कॉमरेड भास्कर ने प्रदर्शन को संबोधित किया। अस्थाई मज़दूरों के अब तक के संघर्ष को उन्होंने सारांश में बताया, उनके अधिकारों पर हो रहे हमलों का वर्णन किया और अधिकारों को जीतने का रास्ता बतलाया। चेन्नई उच्च न्यायालय के वकील कॉमरेड पा. वेणूगोपाल, जो यूनियन के कानूनी सलाहकार हैं, उन्होंने जोशीले तौर पर मज़दूरों के अधिकारों पर हमलों के लिये एयर इंडिया प्रबंधन की भर्त्सना की। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया एम्प्लोईज यूनियन (ए.ए.आई.इ.यू.) के सचिव, कॉमरेड एल. जॉर्ज ने प्रदर्शन में भाग लिया। उन्होंने मज़दूरों को बधाई दी और मज़दूरों के जायज संघर्ष का समर्थन किया। ट्रेड यूनियनों के पुराने नेता, कॉमरेड माधवन ने पूंजीवाद के खिलाफ़ संघर्ष के अपने अनुभव से अवगत कराया और मज़दूरों को एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता पर जोर दिया। एन.ए.पी.एम. के एक नेता, कॉमरेड आरुल ने मज़दूरों की न्यायोचित मांगों का समर्थन किया और एयर इंडिया के मज़दूरों के जोशीले संघर्ष को पूरा समर्थन दिया।

ए.आई.यू.डब्ल्यू.यू. के नेताओं ने आंदोलन के दौरान अपने वक्तव्य दिये, जिनमें शामिल थे सचिव, कॉमरेड डी. तिरुगणासम्बंदम, अध्यक्ष कॉ. जी तंगराज, सहायक सचिव, कॉ. जी. सुरेश कुमार व कॉ. वी. मुरुगेशन, उपाध्यक्ष कॉ. जे. सेलवन व कॉ. एम. नटराजन, कोषाध्यक्ष – कॉ. जे यधवराज तथा यूनियन कार्यकर्ता कॉ. एल. रफीक अहमद, कॉ. राजा, सी. एल्लप्पन, वै. दयालन तथा अन्य दूसरे। हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के साथियों ने भी एयर इंडिया के मज़दूरों के और उनके अधिकारों के बचाव में अपनी बात रखी और उनके संघर्ष को पूरा समर्थन देने की अपनी वचनबध्दता जताई।

 

वक्ताओं ने कहा कि पिछले 20 से 30 वर्षों से 500 से भी अधिक मज़दूरों को एयर इंडिया के प्रबंधन ने अस्थाई श्रेणी में रखा है। ऐसे मज़दूर ज़मीनी सुविधाओं (ग्राऊंड हैंडलिंग), इंजीनियरिंग व रख-रखाव, सीमा शुल्क विभाग, परिवहन, जलपान, माल चढ़ाई-उतराई, वाणिज्यिक, तथा अन्य बहुत से क्षेत्रों में काम करते हैं। वे चौबीसों घंटे पारियों में काम करते हैं ताकि एयर इंडिया का काम सुचारू रूप से चलता रहे। उन्हें साल में अधिकतम 210 दिन का काम दिया जाता है। प्रबंधन अब ज्यादा से ज्यादा काम बाहर से ठेके पर करवा रहा है। बेंगलूर, हैदराबाद, कोचीन, मुंबई व दिल्ली हवाई अवें पर ज़मीनी सेवायें (ग्राऊंड हैंडलिंग) एस.ए.टी.एस नामक निजी कंपनी को सुपुर्द करने के बाद, एयर इंडिया प्रबंधन ने हजारों अस्थाई मज़दूरों को काम से निकाल दिया है। एयर इंडिया की कार्य प्रणाली के 25 से 30 साल के अनुभव वाले मज़दूरों को मात्र 275 रु. प्रति दिन मिल रहा है। मूल दैनिक वेतन के अलावा इन मज़दूरों को कोई और वेतन या भत्ता नहीं मिलता है। उनका ओवर टाईम काम के लिये भी मूल वेतन की दर पर ही भुगतान होता है, न कि दोगुने दर पर, जैसा कि मानक है। उन्हें न ही भविष्य निधि (पीएफ), स्वास्थ्य सुविधायें, छुट्टियां, इत्यादि भी नहीं मिलती हैं। जिन मज़दूरों की काम के वक्त मृत्यु हो गयी या जो अपंग हो गये, उनके लिये किसी तरह का मुआवजा नहीं दिया गया है। हालांकि एयर इंडिया अब एक ही संगठन है, फिर भी भूतपूर्व एयर इंडिया के अस्थाई मज़दूरों को साल में 365 दिन काम मिलता है जबकि भूतपूर्व इंडियन एयरलाईंस के अस्थाई मज़दूरों को साल में सिर्फ 210 दिन काम मिलता है। इसके साथ-साथ दोनों के वेतनों में अंतर भी है। जबकि मज़दूरों के परिश्रम की वजह से, एयर इंडिया की सम्पत्ति में पिछले वर्षों में काफी उठाव आया है, एयर इंडिया के मज़दूरों व कर्मचारियों की परिस्थिति बद से बदतर हुई है, चाहे वे विमानचालक हों या परिचारक या इंजीनियरिंग या परिवहन या रख-रखाव, आदि के कर्मचारी। पिछले 25 से 30 सालों से 500 से भी अधिक एयर इंडिया मज़दूर अस्थाई तौर पर काम पर रखे गये हैं। यह एयर इंडिया के प्रबंधन की निर्दयता का उदाहरण है। राष्ट्र की हवाई कंपनी का दावा है कि उनके पास मज़दूरों को स्थायी नौकरियां देने के लिये पर्याप्त धन नहीं है!

दूसरी ओर, एयर इंडिया के पूर्व सी.एम.डी. अरविंद जादव तथा पूर्व विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने अलग-अलग तरह से एयर इंडिया के हजारों करोड़ रुपये लुटाये हैं और इसे 60,000 करोड़ रुपये के घाटे में डाल दिया है। एयर इंडिया के प्रबंधन ने इसके 32 सबसे फायदेमंद मार्ग लुफ्थान्सा और एयर अरेबिया जैसी विदेशी, और जेट एयरवेज़ और किंगफिशर जैसी देशी हवाई कंपनियों के हित में त्याग दिये हैं। जब एयर इंडिया को सिर्फ 24 हवाई जहाजों की जरूरत थी, प्रफुल्ल पटेल और अरविंद जादव ने 111 बोईंग 777 और 787 हवाई जहाजों की खरीदी का आर्डर दिया है। इस सौदे की वजह से डूबती हुई अमरीकी बोईंग कंपनी तो बच गयी, जो ये विमान बनाती है, परन्तु एयर इंडिया घाटे वाली कंपनी बन गयी! उन्होंने एयर इंडिया की मुंबई के कलीना में स्थित 65,000 करोड़ की कीमती जमीन एम.आई.ए.एल. नामक निजी कंपनी को और दिल्ली में 35,000 करोड़ रु की जमीन डी.आई.ए.एल. नामक निजी कंपनी को मुफ्त में दे दी है। इसी तरह एयर इंडिया की जमीनी सेवायें प्रदान करने की बहुमूल्य सम्पत्ति एस.ए.टी.एस. नामक कंपनी को मुफ्त में दी है! इस तरह अपनी भ्रष्ट और अपराधी हरकतों से उन्होंने एयर इंडिया को दीवालिया बना दिया है। हिन्दोस्तानी लोगों के करों से बनायी गयी एयर इंडिया-इंडियन एयरलाईंस को बडे पूंजीपति निगम, मंत्री और उसके खुद के कार्यकारी निदेशक लूट रहे हैं! साथ ही यह ''सार्वजनिक क्षेत्र'' की कंपनी निर्दयता से अपने सारे मज़दूरों का शोषण करती है और उन्हें मौलिक श्रम अधिकारों से भी वंचित रखती है। अस्थाई मज़दूरों को दशकों तक स्थायी नौकरी से वंचित रखना और उनके कानूनी अधिकारों को नकारना, एयर इंडिया द्वारा मज़दूरों पर हमले करने के ही हिस्से हैं। असलियत में एयर इंडिया हवाई क्षेत्र व इससे संबंधित दूसरे क्षेत्रों के बड़े पूंजीपति निगमों के हित में चलाई जा रही है। ''सार्वजनिक क्षेत्र'' का मतलब हिन्दोस्तानी लोगों की मेहनत की पूंजी को बड़े पूंजीपतियों द्वारा लूट व मुनाफाखोरी की सहायता करने के अलावा और कुछ नहीं है। सही समय पर, यही पूंजीपति सार्वजनिक सम्पत्ति को कौड़ियों के मोल उनके नाम हस्तांतरित करने की मांग भी करते हैं जैसा कि हम बी.एस.एन.एल. व एयर इंडिया के बारे में अपनी आंखों के सामने होता देख रहे हैं।

वक्ताओं ने ध्यान दिलाया कि हिन्दोस्तानी संविधान के दिशा-निर्देश में लोगों की रोजी-रोटी की सुरक्षा और मानव अधिकारों के सुरक्षा के सिध्दांत की बात की गयी है। परन्तु सच्चाई तो है कि इनको अभ्यास में नहीं लाया जाता है। इसके विपरीत, अपने अधिकांश लोगों को निर्दयता से इन अधिकारों से वंचित रखा जाता है, जैसा कि हम एयर इंडिया के अस्थाई मज़दूरों के केस में देख सकते हैं। उन्होंने ध्यान दिलाया कि उन्हें स्थायी नौकरी देने के दस साल पहले के चेन्नईउच्च न्यायालय के आदेश को प्रबंधन ने पूरी तरह से नजरअंदाज किया है। वक्ताओं ने मज़दूरों को चेतावनी दी कि उन्हें न्यायालय से न्याय मिलने की आशा पर निर्भर नहीं रहना चाहिये बल्कि अपनी ताकत पर लड़ कर अपनी मांगों को जीतना चाहिये।

एयर इंडिया प्रबंधन उत्पादकता और नवरचना सप्ताह मना रहा है और इसके लिये फाटक पर झंडे लगाये हैं। जाने-माने प्रबंधन सिध्दांत के अनुसार, उत्पादकता के तीन कारक होते हैं – मनुष्य, यंत्र और सामग्री। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण तथा मूल्य का स्रोत होती है मनुष्य की श्रम शक्ति। वक्ताओं ने उत्पादकता में प्रबंधन के खोखलेपन पर ध्यान दिलाया जब वे उत्पादकता के सबसे अहम कारक, यानि कि मूल्य के स्रोत, मनुष्य की श्रम शक्ति को ही रास्ते पर फैंक रहे हैं! उन्होंने आंदोलन करते मज़दूरों के प्रतिनिधिमंडल से उनकी मांगों को सुनने के लिये मिलने से भी इनकार कर दिया। यह दिखाता है कि इस ''सार्वजनिक क्षेत्र'' की कंपनी का क्या रुख़ है! लोगों की शिकायतों का निवारण तो दूर, वे तो उनके प्रति सहानुभूती का दिखावा भी नहीं करना चाहते!

ये सभी बिन्दु दिखाते हैं कि चोटी का प्रबंधन व विमानन मंत्रालय ने एयर इंडिया को पूरी तरह से बर्बाद करने की ठान ली है और इसे टाटा, जेट एयरवेज़, सिंगापोर एयरलाईंस, लुफ्थान्सा जैसे बड़े पूंजीपति को कौड़ियों के मोल बेचने के लिये वे ऐड़ी-चोटी का प्रयास कर रहे हैं! एयर इंडिया की परिस्थिति बी.एस.एन.एल. के जैसे है, जैसी पहले मॉडर्न फूड्स, बाल्को, आदि की थी। यह सिर्फ एयर इंडिया के कर्मचारियों और मज़दूरों पर ही हमला नहीं है जिन्होंने इस सम्पत्ति का निर्माण किया है, बल्कि हिन्दोस्तान के सारे लोगों पर हमला है जिनकी सम्पत्ति खुल्लम खुल्ला लूटी जा रही है। अत: इस लूट को खत्म करने के लिये और इसके लिये जिम्मेदार लोगों को सजा दिलवाने के लिये, न केवल मज़दूरों को, बल्कि देश के सारे लोगों को उठना होगा। वक्ताओं की खास मांग थी कि पूर्व विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल और पूर्व सी.एम.डी. अरविंद जादव को तुरंत गिरफ्तार किया जाये और एयर इंडिया की कार्य प्रणाली और सम्पत्ति को बर्बाद करने के लिये उन्हें सजा दी जाये। उन्होंने एकमत से मांग की कि सभी अस्थाई मज़दूरों को तुरंत स्थायी बनाया जाये और उन्हें सभी सुविधायें दी जायें।

पूरे प्रदर्शन के दौरान, मज़दूरों ने स्थायी नौकरियों के लिये और एयर इंडिया को बर्बाद करने के लिये जिम्मेदार लोगों को सज़ा दिलाने के लिये नारे लगाये। अंत में, यूनियन के नेताओं ने एयर इंडिया के प्रबंधन के लिये मांगों की एक सूची प्रस्तुत की। इस एक-दिवसीय आंदोलन से मज़दूरों ने दिखा दिया है कि वे अन्याय को सहने को तैयार नहीं हैं और अपने संघर्ष को और तेज करने के लिये वचनबध्द हैं ताकि उन्हें अपनी नौकरी और सभी अधिकार मिल सकें।

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *