10 फरवरी, 2012 को हरियाणा प्रदेश के जिला फतेहाबाद में प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिये जबरदस्ती भूमि अधिग्रहण किये जाने के विरोध में, किसान संघर्ष समिति, गोरखपुर की अगुवाई में शहर के लाल बत्ती चौक, नजदीक बस स्टेंड से जिला मुख्यालय तक रैली निकाली गई। इस विरोध- प्रदर्शन में, गांव गोरखपुर सहित अन्य 15-20 गांवों के सैकड़ों किसान शामिल हुए। किसानों के इस विरोध-प्रदर्शन के समर्थन म
10 फरवरी, 2012 को हरियाणा प्रदेश के जिला फतेहाबाद में प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिये जबरदस्ती भूमि अधिग्रहण किये जाने के विरोध में, किसान संघर्ष समिति, गोरखपुर की अगुवाई में शहर के लाल बत्ती चौक, नजदीक बस स्टेंड से जिला मुख्यालय तक रैली निकाली गई। इस विरोध- प्रदर्शन में, गांव गोरखपुर सहित अन्य 15-20 गांवों के सैकड़ों किसान शामिल हुए। किसानों के इस विरोध-प्रदर्शन के समर्थन में हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हुआ।
विदित है कि उपरोक्त परियोजना जिला फतेहाबाद के गांव गोरखपुर में प्रस्तावित है। यहां की ज़मीन काफी उपजाऊ है। अकेले गांव गोरखपुर की आबादी लगभग 25000 है। इस परियोजना के लिये भूमि अधिग्रहण के खिलाफ़ यहां के किसानों का 550 दिन से जिला मुख्यालय पर धरना जारी है।
इस जनसभा में भूमि अधिग्रहण के विरोध में अलग-अलग गांव से आये हुये किसानों ने सरकार की जन-विरोधी नीतियों के खिलाफ़ अपने विरोध प्रकट किये।
जनसभा को संबोधित करने वालों में गांव मेहताना से निहाल सिंह, गांव धांगड़ से श्री सुभाष जी, श्री सत्यवान तथा श्रीमति सुदेस जी, गांव जांडली से श्री चंन्द्र जी, खजूरी गांव से श्री नेकी राम, चौबारा गांव से श्री सतपाल जी, गांव मोची से श्री ऋचपाल तथा गांव गोरखपुर से कामरेड कृष्णस्वरूप आदि थे।
किसानों के समर्थन में हिसार से आये डा. महावीर व कामरेड शर्मा जी ने जनसभा को अपने विचारों से अवगत कराया।
जनसभा समापन वक्तव्य, गोरखपुर गांव से कामरेड हंसराज सिवाच, प्रधान (किसान संघर्ष समिति, गोरखपुर) ने दिया।
लोक राज संगठन की तरफ से कॉमरेड दूनीचंद ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य और केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिये किया जा रहा भूमि अधिग्रहण, यहां के किसानों की रोजी-रोटी और उनके आवास के अधिकार पर एक बहुत बड़ा हमला है। इस तरह की परियोजनाएं बड़े-बड़े पूंजीपतियों की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार की जाती हैं न कि प्रदेश के मजदूरों और किसानों की जरूरतों के अनुसार।
हमारे देश में पूंजीवादी व्यवस्था है। विकास की अवधारणा भी पूंजीवादी है। अत: इस अवधारणा में मजदूरों और किसानों की कोई जगह नहीं है। हम देखते हैं कि आज़ादी के बाद से बड़ी-बड़ी परियोजनाओं के फलस्वरूप करोड़ों की संख्या में उजड़ने और विस्थापित होने वाले किसानों, आदिवासियों तथा गांववासियों को अपने बुरे हाल में छोड़ दिये गये हैं। वे अपनी इस बुरी हालत की वजह से तीन पीढ़ी पीछे चले गये हैं। जबकि इन परियोजनाओं के चलते देश के पूंजीपति और मोटे होते चले गये।
जब तक आम लोग सत्ता में नहीं आयेंगे तब तक ऐसी समस्याएं हमारे सामने आती रहेंगी। यह पूरी व्यवस्था मजदूरों और किसानों की लूट पर आधारित है। यहां पूंजीपतियों का राज है। सरकारें मात्र पूंजीपतियों की सेवा हेतु बदली जाती हैं। इस व्यवस्था का एक ही विकल्प है, पूंजीपतियों की जगह पर लोगों को सत्ता में लेकर आना। देश के मजदूरों, किसानों का राज्य स्थापित करने के लिये हमें अपना कार्यक्रम लोगों के समक्ष रखना होगा। इसके इर्द-गिर्द मजदूरों और किसानों को लामबंध करना होगा।