गणतंत्र

संपादक महोदय,

आज गणतंत्र के 62 वर्ष होने के बाद भी देश की स्थिति काफी खराब है।

संपादक महोदय,

आज गणतंत्र के 62 वर्ष होने के बाद भी देश की स्थिति काफी खराब है।

इस वर्ष यानि कि 2012 में गणतंत्र के 62 वर्ष पूरे करने जा रहा है तो क्या इससे यह सवाल नहीं उठता कि इस देश के पूंजीपति, इस पूंजीवादी व्यवस्था में कितने सफल रहे हैं। हमारे देश में लगभग 500 से अधिक लोग अरबपतियों में शुमार किये जाते हैं। अगर हम आज़ादी के समय की बात करें अर्थात जिस समय हमारा गणतंत्र लागू हुआ था, उस समय अमीरों की संख्या को उंगलियों पर गिना जा सकता था, लेकिन आज उनकी संपत्ति को देखो तो वे आसमान छू रही हैं।

दूसरी तरफ इन 62 वर्षों में इस देश के अधिकतम मेहनतकश आवाम कहां खड़ी है। महंगाई से परेशान है। रोजी-रोटी का संकट है। किसानों की जमीनें छीनी जा रही है। बिजली, पानी, शिक्षा से अधिकतम आबादी आज भी कोसों दूर है। परिवार में दो व्यक्तियों के कमाने के बावजूद अपने बच्चों को जीवन जीने के न्यूनतम जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

कहने का तात्पर्य यह है कि यह व्यवस्था पूंजीपतियों के लिये बनाया गया है, इसमें आवाम की खुशहाली सुनिश्चित नहीं हो सकती है। हम देश की मेहनतकश जनता को वर्तमान गणतंत्र के स्थान पर अपना गणतंत्र स्थापित करना होगा, जिसमें देश के मेहनतकशों – मजदूरों और किसानों की खुशहाली सुनिश्चित होगी।

आपका, पंडित

संगम विहार, नई दिल्ली

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *