साक्षात्कार :

हरियाणा सरकार ने फतेहाबाद जिले में स्थित गांव गोरखपुर में परमाणु संयंत्र परियोजना प्रस्तावित किया है। इस परियोजना के खिलाफ़ गांव गोरखपुर के किसान 518 दिन से जिला मुख्यालय पर धरने पर हैं। 12 जनवरी, 2011 को किसानों के धरने को समर्थन देने के लिए लोक राज संगठन के कार्यकर्ता पहुंचे। इसके अलावा परमाणु विरोधी मोर्चा भी शामिल हुआ।

हरियाणा सरकार ने फतेहाबाद जिले में स्थित गांव गोरखपुर में परमाणु संयंत्र परियोजना प्रस्तावित किया है। इस परियोजना के खिलाफ़ गांव गोरखपुर के किसान 518 दिन से जिला मुख्यालय पर धरने पर हैं। 12 जनवरी, 2011 को किसानों के धरने को समर्थन देने के लिए लोक राज संगठन के कार्यकर्ता पहुंचे। इसके अलावा परमाणु विरोधी मोर्चा भी शामिल हुआ।

मजदूर एकता लहर के संवाददाता के द्वारा कामरेड हंसराज सिवाच, जो गांव गोरखपुर के किसान तथा किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष हैं, उनसे लिया गया साक्षात्कार पेश है :

म.ए.ल. : प्रस्तावित परमाणु बिजली परियोजना का विरोध करने के क्या कारण है?

हंसराज सिवाच : इस परमाणु बिजली परियोजना से इस क्षेत्र की भाखड़ा नहर खतरे में आ जायेगी, जो राजस्थान और हरियाणा के किसानों के पीने का पानी तथा सिंचाई के लिए उपयोग में आती है।

दूसरा, इससे गोरखपुर गांव की 1313 एकड़, काजलहेड़ी गांव की 4एकड़, बढ़ोपल गांव की 185एकड़ भूमि सीधे तौर पर अधिग्रहित होगी। साथ ही साथ, अन्य 36गांव भी इसकी चेपट में आयेंगे।

तीसरा, परियोजना हेतु अधिग्रहित होने वाली भूमि तीन फसली है। बहुत उपजाऊ है। यहां की भूमि से प्रतिवर्ष प्रति एकड़, कपास 45मन, गन्ना 550क्विंटल तथा 80-90 मन चावल प्राप्त होता है।

म.ए.ल. : सरकार ने इस परियोजना हेतु क्या-क्या कार्यवाही की है?

हंसराज सिवाच : सरकार ने इस संबंध में पहले कुछ नहीं बताकर किसानों और गांव वालों के साथ धोखा किया है। 14 अगस्त, 2010 को भूमि अधिग्रहण के लिए सेक्शन 4 की अधिसूचना जारी की गई। इस अधिसूचना के बाद सेक्शन 6लगाया गया।

सरकार ने भूमि अधिग्रहण को जायज़ ठहराने के लिए जो लोग मर चुके हैं, उनके नाम के झूठे शपथपत्र पेश किये, ताकि अधिग्रहण का रास्ता खुल सके।

म.ए.ल. : सरकार ऐसी परियोजना क्यों लेकर आती है, जिसका लोग व्यापक विरोध करते हैं?

हंसराज सिवाच : हमारे राज्य और केन्द सरकार की विकास की अवधारणा के अनुसार, देशी/विदेशी पूंजीपतियों के हितों को ध्यान में रखकर परियोजनाएं तैयार की जाती हैं। लोगों की रोजी-रोटी व उनके विकास का अजेंडा नहीं होता है। इसलिए पूंजीपतियों का मुनाफा और लोगों का हित – ये दोनों एक साथ नहीं चल सकते हैं। किसी एक के मुनाफे के लिए लोगों को रोजी-रोटी से वंचित करना – यह नहीं चल सकता है। इसलिए इन परियोजनाओं का व्यापक विरोध होता है। यह लोकतंत्र नहीं, तानाशाही राज है, जो मनमर्जी से अपनी योजनाओं से लोगों को रोजी-रोटी से वंचित करता है।

म.ए.ल. : आप अपने संघर्ष के बारे में बतायें।

हंसराज सिवाच : सरकार की अधिसूचना के बाद से ही गांव गोरखपुर के किसान, फतेहाबाद के जिला मुख्यालय पर 17 अगस्त, 2010 से धरने पर आ बैठे। तब से लेकर आज तक इस परियोजना के खिलाफ़ और अपनी धरती जो हमारी रोजी-रोटी है, उसे बचाने के लिए यहां बैठे हैं। अब तक तीन किसान शहीद हो चुके हैं।

हाल ही में, हम परियोजना के खिलाफ़ हरियाणा और पंजाब उच्च न्यायालय में गये हैं।

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