दो दिवसीय मजदूर वर्ग गोष्ठी

संपादक महोदय,

आप सभी साथियों को नव वर्ष कीहार्दिक शुभकामनाएं। कामरेड लाल सिंह ने पिछले अंक में अपनी ओर से पार्टी सदस्यों को नव वर्ष की शुभकामनाओं का संदेश दिया। यह संदेश प्रेरणादायक है। उन्होंने अपने संदेश में स्पष्ट शब्दों में कहा है कि इस समय पूरी पूंजीवादी व्यवस्था एक घोर संकट में फंसी हुई है और यह संकट आम मजदूरों पर थोपा जा रहा है।

संपादक महोदय,

आप सभी साथियों को नव वर्ष कीहार्दिक शुभकामनाएं। कामरेड लाल सिंह ने पिछले अंक में अपनी ओर से पार्टी सदस्यों को नव वर्ष की शुभकामनाओं का संदेश दिया। यह संदेश प्रेरणादायक है। उन्होंने अपने संदेश में स्पष्ट शब्दों में कहा है कि इस समय पूरी पूंजीवादी व्यवस्था एक घोर संकट में फंसी हुई है और यह संकट आम मजदूरों पर थोपा जा रहा है।

इस पूंजीवादी व्यवस्था में मजदूरों का अति शोषण होता है और होता रहेगा, जब तक मजदूर वर्ग सत्ता में नहीं आता। इस सपने को सिर्फ हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी ही सच कर सकती है। ऐसा मैं इसलिए नहीं कह रहा हूं कि इससे मैं जुड़ा हुआ हूं बल्कि, इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे कि पार्टी का मार्क्सवाद-लेनिनवाद के विज्ञान पर विश्वास और उसके संगठनात्मक तौर-तरीकों का पालन। सामूहिक फैसला यहां सर्वोपरि है। छोटे-से-छोटा फैसला भी हर इलाके में छोटे-छोटे समूहों में विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाता है।

हाल ही में, पार्टी ने दो दिवसीय मजदूर वर्ग गोष्ठी आयोजित की। इसमें कुछ बड़ी कम्युनिस्ट पार्टियां नहीं आईं इससे मेरे मन में यह सवाल पैदा हुआ कि क्या ये पार्टियां मजदूर वर्ग को सत्ता में लाने के अहम विषय पर चर्चा नहीं करना चाहतीं?

कई कम्युनिस्ट पार्टियों और दलों के कार्यकर्ताओं ने इस गोष्ठी में भाग लिया और गंभीरतापूर्वक इस विषय पर चर्चा की कि मजदूर वर्ग को सत्ता में लाना फौरी जरूरत है तथा इसके लिये क्या-क्या कदम उठाने होंगे।

हम कम्युनिस्टों को इस काल कोठरी (तथाकथित हिन्दोस्तानी लोकतंत्र) का ताला खोलकर सच्चाई जनता को बताना चाहिए। जो खुद को कम्युनिस्ट कहते हैं, उन्हें वर्तमान लूट की व्यवस्था को उजागर करने की दिशा में अनथक काम करना चाहिए न कि कुर्सी को बचाने की दिशा में सरमायदारों की हां में हां करना चाहिए। हम कम्युनिस्टों की कथनी और करनी एक होनी चाहिए।

एक दिन पूंजीवादी व्यवस्था का भी अंत होगा क्योंकि प्रकृति में किसी का भी रूप स्थायी नहीं होता है। मजदूरों का राज और समाजवाद भी एक दिन जरूर आयेगा।

आपका

पंडित, संगम विहार, नई दिल्ली

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