संपादक महोदय,
सबसे पहले, मैं लोक आवाज़ पब्लिशर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स को दो दिवसीय विचार गोष्ठी के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।
संपादक महोदय,
सबसे पहले, मैं लोक आवाज़ पब्लिशर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स को दो दिवसीय विचार गोष्ठी के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।
दो दिन की गोष्ठी में तीन मुद्दों पर बात रखी गई – मजदूर वर्ग के लिये राज्य सत्ता को अपने हाथ में लेने की ज़रूरत, मजदूर वर्ग को राज्य सत्ता को अपने हाथ में लेने के लिये तैयार करने के कदम तथा हमारे आगे का रास्ता। ये सभी आज के समय में ज़रूरी हैं। एक तरफ मजदूरों के अधिकारों और रोजी-रोटी पर सीधे हमले हो रहे हैं। किसान अपने उत्पाद की गिरती कीमतों के खिलाफ़ और रोजी-रोटी बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। शहरों में मजदूरों की हालत कठिन होती जा रही है। ऐसे में इस तरह की गोष्ठी जन संघर्ष को एकजुट करने में काफी मदद देती है।
वक्त का तकाज़ा है कि जन संगठनोंको अपने अंतर्विरोधों को एक तरफ रखकर संघर्ष को आगे ले जाने की जरूरत पर चर्चा करनी चाहिए, खासकर आज जब समाज का ज्यादातर तबका सरकार की नीतियों से नाखुश है।
निजीकरण के ज़रिये पूंजीपति खुद को और ताकतवर बनाना चाहता है। हम सभी मजदूर संगठनों को मिलकर अपने हक के लिए एक साथ उठ खड़ा होना चाहिए।
इस गोष्ठी में एक-एक मुद्दे पर चर्चा से आज के हालातों को समझने में काफी मदद मिली। आज मजदूर और किसान कई गुटों में बंटकर काम कर रहे हैं। इसमें सभी कम्युनिस्टों की जिम्मेदारी है कि सभी एक कारवां में शामिल हों। यह एक दिषा में जाये।
मजदूरों और किसानों का राज कायम हो।
हमें इस तरह की गोष्ठी को अपने-अपने स्तर पर आयोजित करने की भरपूर कोशिश करनी चाहिए। इससे आम मजदूरों में चर्चा होगी और आगे का रास्ता स्पष्ट होगा।
मैं पुन: इस कार्यक्रम के लिए आयोजक कमेटी का तहे-दिल से आभारी हूं।
आपका पाठक,
संजय, महाराष्ट्र