हम अपनी धरती मां को नहीं बेचते!

परमाणु परियोजनाओं के खिलाफ़ पूरे देश में जन प्रतिरोध बढ़ रहा है। हरियाणा के फतेहाबाद जिले के गोरखपुर गांव तथा उस इलाके के हजारों किसान भी जमकर विरोध कर रहे हैं। गोरखपुर गांव में सरकार ने परमाणु बिजली परियोजना लगाने की योजना बनाई है। सरकार ने बड़े ही बेशर्मी से घोषित किया है कि उस इलाके की जमीन बंजर है। इससे गुस्सा हुये किसान गत 400 से ज्यादा दिन से सत्याग्रह आंदोलन कर रहे हैं। धरने पर बैठे

परमाणु परियोजनाओं के खिलाफ़ पूरे देश में जन प्रतिरोध बढ़ रहा है। हरियाणा के फतेहाबाद जिले के गोरखपुर गांव तथा उस इलाके के हजारों किसान भी जमकर विरोध कर रहे हैं। गोरखपुर गांव में सरकार ने परमाणु बिजली परियोजना लगाने की योजना बनाई है। सरकार ने बड़े ही बेशर्मी से घोषित किया है कि उस इलाके की जमीन बंजर है। इससे गुस्सा हुये किसान गत 400 से ज्यादा दिन से सत्याग्रह आंदोलन कर रहे हैं। धरने पर बैठे-बैठे 3 किसानों की मृत्यु भी हुई है।

मजदूर एकता लहर के संवाद्दाताओं ने संघर्ष चला रहे किसान नेता का. हंसराज से बातचीत की। हंसराज जी ने बताया की फुकुशिमा दुर्घटना के बाद इस परियोजना का विरोध और भी बढ़ गया है। उस इलाके के बच्चे और अनपढ़ किसान एवं औरतें भी परमाणु विकरणों से जो खतरा है, इससे वाकिफ हैं। गोरखपुर गांव तथा इर्द-गिर्द 36 ग्राम पंचायतों ने इस परियोजना के खिलाफ प्रस्ताव पारित किये हैं तथा सरकार को वह प्रस्ताव की प्रति भी दे दी हैं। सरकार के झूठ का पर्दाफाश करके उस इलाके के किसानों ने बताया है, कि उस इलाके की जमीन बेहद उपजाऊ है तथा बाहर से दो-तीन हजार मजदूर हर साल खेती में काम करने आते हैं। सरकार कह रही है कि परियोजना से कई गांववालों को नौकरियां देंगे। किसानों ने उन्हें यह कहकर निरूत्तर कर दिया है कि ''हमारी 1 एकड़ उपजाऊ जमीन तो सैकड़ों को खिलाती-पिलाती है। आप कितने लाख लोगों को नौकरी देंगे?''

संघर्षरत किसानों का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री, सांसद आदि से कई बार मिले हैं तथा परियोजना के खिलाफ आवेदन दिये हैं। सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी से भी मिले हैं। इसके बावजूद सरकार की तरफ से तरह-तरह का दबाव लाया जा रहा है। कांग्रेस का स्थानीय सांसद भी दलाल की भूमिका निभा रहा है। बड़ी धन राशि की वह लालच दिखा रहा है। किसान संघर्ष समिति के नेताओं ने असली तमाचा तो उसे तब मारा, जब उन्होंने सांसद के भेजे चमचे को बताया कि ''क्या आपकी माता जिंदा है और उसे किस कीमत पर आप बेचेंगे? हम हमारी धरती मां को नहीं बेचते।''

गोरखपुर गांव के नज़दीक से किसानों ने खुद मेहनत करके अमरसिंह एवं सिधमुख ये दो नहर बनाये हैं, जिसके पानी से 200 किलोमीटर दूरी तक की जमीन सींची जाती है, जो राजस्थान में है। अब गोरखपुर इलाके के किसानों के साथ राजस्थान के नोहर तथा भाद्रा के किसान भी जुड़ गये हैं। पड़ोसी पंजाब के कई किसान संगठन भी साथ जुड़ रहे हैं। सबने ठान लिया है, कि 12 जनवरी को जब रवेन्यू डिपार्टमेंट के अधिकारी जमीन अधिग्रहण की घोषण करने आयेंगे, तब उसका जमकर विरोध किया जायेगा।

मजदूर एकता लहर गोरखपुर के किसानों का जायज़ संघर्ष को तहदिल से समर्थन करती है।

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *