केंद्र के समान वेतनमान और समयबध्द पदोन्नति की मांग को लेकर 21 दिसम्बर से राजस्थान के सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल चल रही है। 6000 चिकित्सक बहादुरी से अपने अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
केंद्र के समान वेतनमान और समयबध्द पदोन्नति की मांग को लेकर 21 दिसम्बर से राजस्थान के सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल चल रही है। 6000 चिकित्सक बहादुरी से अपने अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
राज्य सरकार ने अब तक 500 चिकित्सकों को जेल में बंद कर दिया है ताकि हड़ताली चिकित्सकों के मनोबल को तोड़ दिया जाये। कांग्रेस व भाजपा ने मिलकर हड़ताली चिकित्सकों पर कीचड़ उछालने का भरपूर प्रयास किया है। दोनों पार्टियों ने मिलकर यह दिखाने की कोशिश किया है कि चिकित्सक मरीजों की परवाह नहीं कर रहे हैं और इसकी वजह से कई मरीजों की मौत हो गई है। सरकार ने चिकित्सकों के हड़ताल को गैर-कानूनी करार किया है और एस्मा को लागू कर दिया है। लेकिन चिकित्सकों ने अपना मनोबल टूटने नहीं दिया और सरकार को मजबूर किया है कि वह बातचीत का रास्ता अपनाये।
सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल के साथ-साथ नेशनल रुरल हेल्थ मिशन के 20,000 कर्मचारियों ने भी हड़ताल कर दिया है। ये कर्मचारी ठेके पर काम कर रहे हैं। इनके संघर्ष की वजह से ग्रामीण इलाके में स्वास्थ सेवा पर काफी असर पड़ा। सरकार ने साल पहले उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी नौकरी पक्का किया जायेगा। इसी मांग को पूरा करने के लिए उन्होंने हड़ताल किया है।
सरकारी अस्पतालों के रेसिडेंट डॉक्टारो ने स्थायी चिकित्सकों के हड़ताल के समर्थन में हड़ताल पर उतर गये हैं।
मजदूर एकता लहर राजस्थान के हड़ताली चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों के संघर्ष का पूरा समर्थन करती है। हम राजस्थान सरकार की मजदूर विरोधी नीति की निंदा करते हैं।