नई दिल्ली के जन्तर-मन्तर पर 8 दिसंबर को एक परमाणु विरोधी प्रदर्शन आयोजित किया गया। लोक राज संगठन, सी.एन.डी.पी., एन.ए.पी.एम., ए.आई.एस.ए., इन्साफ, दिल्ली फोरम, दिल्ली सोलिडेरिटी ग्रुप, दिल्ली प्लैटफार्म, अर्टिस्ट्स एगेंस्ट न्यूक्लियर पावर आदि समेत विभिन्न संगठनों ने इसे आयोजित किया। कई कार्यकर्ता, जो कूडनकुलम परमाणु संयंत्र का विरोध कर रहे हैं, तमिलनाडु के तिरुनेलवली जिले के इदिनताकाराई में स्
नई दिल्ली के जन्तर-मन्तर पर 8 दिसंबर को एक परमाणु विरोधी प्रदर्शन आयोजित किया गया। लोक राज संगठन, सी.एन.डी.पी., एन.ए.पी.एम., ए.आई.एस.ए., इन्साफ, दिल्ली फोरम, दिल्ली सोलिडेरिटी ग्रुप, दिल्ली प्लैटफार्म, अर्टिस्ट्स एगेंस्ट न्यूक्लियर पावर आदि समेत विभिन्न संगठनों ने इसे आयोजित किया। कई कार्यकर्ता, जो कूडनकुलम परमाणु संयंत्र का विरोध कर रहे हैं, तमिलनाडु के तिरुनेलवली जिले के इदिनताकाराई में स्थित प्लांट से नई दिल्ली आये हुये थे।
हमारे शासकों के परमाणु ऊर्जा विस्तार कार्यक्रम की वजह से आज हमारे लाखों-लाखों लोगों की रोजी-रोटी, सुरक्षा तथा देश के अनेक भागों में नाजुक पर्यावरण आज घोर खतरे में है। कूडनकुलम, (तमिलनाडु), जैतापुर (महाराष्ट्र), चुटका (मघ्य प्रदेश), मीठी विर्डी (गुजरात), गोरखपुर (हरियाणा) और कोवाडा (आंध्र प्रदेश) के लोग इन परमाणु परियोजनाओं के खिलाफ़ ज़ोरदार संघर्ष कर रहे हैं।
कई वक्ताओं ने बताया कि इस परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं से बहुत लोग विस्थापित हो जायेंगे और आस-पास के इलाकों में लोगों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ जायेगी। कूडनकुलम, जैतापुर और मीठी विर्डी के मछुवारे, जैतापुर के आम और काजू उगाने वाले, हरियाणा और मघ्य प्रदेश के किसान इन परमाणु संयंत्रों से प्रभावित होंगे। ये प्रस्तावित परमाणु संयंत्र तटवर्ती इलाकों में तथा नाजुक पर्यावरण वाले स्थलों में बनाये जा रहे हैं, जैसा कि सरकार की अपनी रिपोर्ट में बताया गया है। कुछ प्रस्तावित रियेक्टरों की डिज़ाइन नई और अपरीक्षित है। हिन्दोस्तान में परमाणु उद्योग सुरक्षा को नजरंदाज करने के लिये बदनाम है। परमाणु ऊर्जा उत्पादन में अनेक खतरे निहित हैं। दूसरी औद्योगिक दुर्घटनाओं की अपेक्षा में परमाणु दुर्घटनाओं के बहुत विस्तृत और दीर्घकालीन परिणाम होते हैं। रियेक्टरों में काम करने वाले मजदूर और स्थानीय वाशिंदे विकिरणों के शिकार बनते हैं, जिनसे कैंसर, थाइरायड व ल्यूकेमिया जैसी बीमारियां होती हैं। तारापुर और कलपक्कम में की गई जांच की रिपोर्टों से यह साबित हो चुका है।
लोक राज संगठन के अध्यक्ष श्री राघवन ने सभा को संबोधित करते हुये, देश के अनेक इलाकों में परमाणु संयंत्रों से प्रभावित लोगों के जायज़ संघर्षों को समर्थन दिया। केन्द्र सरकार यह कह रही है कि कूडनकुलम संयंत्र का प्रथम फेज़ तैयार है और अगर अब उसे बंद कर दिया जाये तो खूब सारा सरकारी पैसा फजूल में खर्च होगा। पर कूडनकुलम के लोग शुरु से ही उस संयंत्र का विरोध कर रहे हैं। श्री राघवन ने 1999 में कन्याकुमारी से नागरकोयल तक विशाल रैली की याद दिलाई, जिसमें उन्होंने भाग लिया था। ऊर्जा नीति या हज़ारों लोगों के जीवन और रोजी-रोटी को प्रभावित करने वाले परमाणु संयंत्र के निर्माण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार लोगों से सलाह नहीं करती। शासक वर्ग को लोगों की राय जानने में कोई रुचि नहीं है। वह सिर्फ बड़ी इजारेदार कंपनियों और औद्योगिक घरानों की मांगों पर ध्यान देती है, जो परमाणु संयंत्रों की स्थापना और बिक्री से अधिक से अधिक मुनाफे बनाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि भोपाल गैस कांड के पीड़ितों को इतने वर्षों बाद, आज तक इंसाफ नहीं मिला है। कुछ ही दिन पहले भोपाल गैस पीड़ितों ने यहीं जंतर मंतर पर प्रदर्शन करके सरकार द्वारा उनके साथ किये गये अन्याय का विरोध किया था। श्री राघवन ने जोर दिया कि जब तक लोगों की वास्तविक समस्याओं को हल नहीं किया जाएगा, तब तक सरकार को परमाणु संयंत्रों का निर्माण करने का कोई अधिकार नहीं है।
कूडनकुलम के मछुवारों ने एक शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया, जिसकी ओर सैकड़ों दर्शक आकर्षित हुये।