पडघा के लोगों का अपने अधिकारों के लिये संघर्ष

पडघा के आस-पास के गांवों से सैकड़ों मजदूरों, किसानों और आदिवासियों ने 27 नवम्बर, 2011 को एक विशाल रैली में भाग लिया। रैली का नारा था – ''हम उत्पादक हैं, हम असली मालिक हैं''। लोक राज संगठन इस रैली का अयोजक था। मजदूर एकता लहर के संवाददाता ने रैली की यह रिपोर्ट दी है।

पडघा मुम्बई से 35 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटा शहर है। लोक राज संगठन की पडघा समिति वहां के मजदूरों, कि

पडघा के आस-पास के गांवों से सैकड़ों मजदूरों, किसानों और आदिवासियों ने 27 नवम्बर, 2011 को एक विशाल रैली में भाग लिया। रैली का नारा था – ''हम उत्पादक हैं, हम असली मालिक हैं''। लोक राज संगठन इस रैली का अयोजक था। मजदूर एकता लहर के संवाददाता ने रैली की यह रिपोर्ट दी है।

पडघा मुम्बई से 35 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटा शहर है। लोक राज संगठन की पडघा समिति वहां के मजदूरों, किसानों और आदिवासियों को अच्छा राशन और स्वास्थ्य सेवा जैसे मूल अधिकारों के लिये संगठित कर रही है। इस संघर्ष की वजह से बहुत से लोगों को अब कानून के अनुसार राशन मिल रहा है, जो पहले उन्हें नहीं मिलता था। वहां के लोगों की जागृति इस बात में देखी जा सकती है कि बहुत से लोग रैली में भाग लेने के लिये दूर-दूर के गांवों से टेम्पों से आये और बहुत से लोग 5 किलोमीटर से अधिक लम्बा रास्ता पैदल तय करके आये। सभा के आयोजन का खर्च पूरा करने के लिये लोगों ने बहुत सारा वित्तीय योगदान भी दिया।

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के प्रतिनिधि ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने लोगों के अधिकारों के संघर्ष में अगुवाई देने और जनसभा के लिये उचित विषय चुनने के लिये पडघा समिति को बधाई दी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी समस्याओं की जड़ इस बात में है कि मेहनतकशों के हाथों में सत्ता नहीं है। उन्होंने राजनीतिक सत्ता को अपने हाथ में लेने के विषय पर चर्चा करने के लिये लोगों से आह्वान किया।

लोक राज संगठन के वक्ता ने सबसे पहले यह स्पष्ट किया कि शारीरिक और मासिक मजदूर, किसान और विभिन्न जन सेवाओं, जैसे कि स्वास्थ्य, परिवहन, डाक, राशन, पानी सप्लाई, बिजली सप्लाई, बैंक, शिक्षा क्षेत्र, आदि में काम करने वाले मेहनतकश लोग हमारे देश की दौलत के असली उत्पादक हैं, न कि बड़े-बड़े उद्योगपति, बड़े ज़मीनदार और बड़ी व्यापारी कंपनियां। अत: मेहनतकशों को ही हमारे देश का असली मालिक होना चाहिये। उन्होंने यह सवाल उठाया कि मेहनतकश लोग असली मालिक क्यों नहीं हैं और दौलत के उत्पादक आज गरीबी और भुखमरी का जीवन क्यों जीने को मजबूर हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसकी वजह यह है कि राज्य सत्ता असली मालिकों के हाथ में नहीं है। सत्ता बड़े पूंजीपतियों के हाथ में है। उन्होंने यह भी समझाया कि असली मालिकों, यानि देश के मेहनतकशों को लोक राज समिति जैसे अपने संगठन बनाने होंगे, अपने अधिकारों की हिफ़ाज़त के लिये लोगों को संगठित करने होंगे और लोक राज स्थापित करने की दिशा में कदम लेने होंगे, ताकि इस हालत को बदला जा सके।

आस-पास के गांवों और स्कूलों के बहुत से नौजवानों और बच्चों ने अपने गीत, नृत्य और नाटक पेश किये। पिलांजे गांव के नौजवानों ने राशन के लिये संघर्ष पर नाटक पेश किया और खदावली गांव के नौजवानों ने अपने नाटक में दिखाया कि कोढ़-ग्रस्त लोगों के साथ समाज में कैसे भेद-भाव किया जाता है।

 

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