अन्न तथा सार्वजनिक वितरण केन्द्रीय मंत्री के.वी. थोमस ने हाल ही में घोषित किया कि चूंकि शक्कर का अपेक्षित उत्पादन 242 लाख टन है जबकि अपेक्षित खपत 210 से 215 लाख टन है, इसलिए सरकार 5लाख टन शक्कर की निर्यात के लिए अनुमति दे रही है। उसके इस बयान के आते ही खुले बाजार में शक्कर का भाव बढ़ गया और शक्कर के कारखाना मालिक एवं निर्यात व्यापारी बहुत खुश हुए!
अन्न तथा सार्वजनिक वितरण केन्द्रीय मंत्री के.वी. थोमस ने हाल ही में घोषित किया कि चूंकि शक्कर का अपेक्षित उत्पादन 242 लाख टन है जबकि अपेक्षित खपत 210 से 215 लाख टन है, इसलिए सरकार 5लाख टन शक्कर की निर्यात के लिए अनुमति दे रही है। उसके इस बयान के आते ही खुले बाजार में शक्कर का भाव बढ़ गया और शक्कर के कारखाना मालिक एवं निर्यात व्यापारी बहुत खुश हुए! मगर अतिरिक्त उत्पादन की अपेक्षा के बावजूद राशन दुकानों के लिए ज्यादा शक्कर का इंतजाम नहीं किया गया!
शक्कर उद्योग पर सरकार का नियंत्रण कम करने के लिए सरकार ने गत 15वर्षों में कई कदम उठाये हैं। मार्च 2002 से, शुगर मिल पर लेवी शक्कर का बोझ घटाकर उत्पादन के सिर्फ 10 प्रतिशत किया गया, जो पहले 30प्रतिशत था। राशन दुकानों पर आम जनता को जो शक्कर मिलती है उसको हर साल घटने का असली कारण यह है।
मई 2002 से शक्कर के वायदा व्यापार की अनुमति दी गई। इसका मतलब है की शक्कर की बाजार की कीमत अब बड़े व्यापारी तय तथा नियंत्रित करेंगे, ठीक उसी तरह जैसे शेयर बाजार का नियंत्रण वे ही करते हैं जिनके पास बड़ी मात्रा में शेयर हैं।