1984 के सिखों के जनसंहार से सबकों पर जन सभा

कांग्रेस पार्टी और राज्य द्वारा आयोजित सिखों के जनसंहार की 27वीं बरसी के अवसर पर नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 5 नवम्बर, 2011 को एक जनसभा हुई। इस सभा का आयोजक सिख फोरम था, जो गुनहगारों को सज़ा दिलाने के उद्देश्य से, बीते 27 वर्षों से ऐसी सभायें आयोजित करता आया है।

कांग्रेस पार्टी और राज्य द्वारा आयोजित सिखों के जनसंहार की 27वीं बरसी के अवसर पर नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 5 नवम्बर, 2011 को एक जनसभा हुई। इस सभा का आयोजक सिख फोरम था, जो गुनहगारों को सज़ा दिलाने के उद्देश्य से, बीते 27 वर्षों से ऐसी सभायें आयोजित करता आया है।

सिख फोरम के अध्यक्ष, मेजर जनरल एम.एस. चव ने सभा की अध्यक्षता की। इग्नू के प्रोफेसर और सिख फोरम के निर्माता सदस्य, डा. ए.एस. नारंग ने सभा का संचालन किया। वक्ताओं में शामिल थे जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार श्री कुलदीप नैयर, जे.एन.यू. के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़ के प्रो. कमल मित्र चिनोय, वरिष्ठ अधिवक्ता सरदार एच.एस. फूलका, लोक राज संगठन के सचिव प्रकाश राव, लेखक डा. महीप सिंह और उव्यन उद्योग से संबंधित तथा 'निशान' पत्रिका के संपादक सरदार पुष्पेन्दर सिंह चोपड़ा।

वक्ताओं सहित सभी लोगों ने काफी उच्च स्तर पर चर्चा की कि 1984 के गुनहगारों को अभी तक सज़ा क्यों नहीं मिली और उन्हें सज़ा दिलाने के लिए क्या करना होगा। कुछ मुख्य बातें आगे आयीं। हिन्दोस्तान के लोग सांप्रदायिक नहीं हैं। जन संहार के दौरान सिखों को बचाने तथा उसके बाद पीड़ितों के परिवारों की मदद करने के लिए सभी समुदायों के लोग आगे आये थे। राज्य सांप्रदायिक है। कांग्रेस पार्टी की पूर्व योजना के साथ, राज्य ने उस जनसंहार को आयोजित किया था। 1984 के बाद के वर्षों में केन्द्र या पंजाब में सत्ता में आयी गैर-कांग्रेसी राजनीतिक पार्टियों ने साफ दिखा दिया है कि उन्हें पीड़ितों की दुर्दशा के बारे में कोई चिंता नहीं है, न ही वे गुनहगारों को सज़ा दिलाने के इच्छुक हैं। राजकीय आतंकवाद और इस या उस समुदाय का राज्य द्वारा आयोजित सांप्रदायिक जनसंहार 1984 से शासक वर्ग का सबसे प्रिय हथकंडा बन गया है। अनेक लोगों ने अदालतों के जरिये गुनहगारों को सज़ा दिलाने की बहुत सी कोशिशें की हैं, परंतु अभी भी गुनहगारों को सज़ा नहीं दी गई है। यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि कातिल खुद अपने आपको सज़ा देगा।

सभा में भाग लेने वालों में बहुत उत्साह था कि संघर्ष को जारी रखा जाये। जैसा कि एक व्यक्ति ने कहा, ''मैं इस संघर्ष को जारी रखूंगा और अपने बच्चों को भी इसे अंत तक जारी रखना सिखाऊंगा।''

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