भारत संचार निगम लिमिटेड के मज़दूरों ने हड़ताल की योजना बनाई

भारत संचार निगम लिमिटेड (बी.एस.एन.एल) के मज़दूरों ने घोषणा की है कि प्रबंधन और सरकार से अपनी मांगों को पूरा कराने के लिये, 15 नवम्बर, 2011 से, वे हड़ताल पर उतरेंगे। बी.एस.एन.एल.

भारत संचार निगम लिमिटेड (बी.एस.एन.एल) के मज़दूरों ने घोषणा की है कि प्रबंधन और सरकार से अपनी मांगों को पूरा कराने के लिये, 15 नवम्बर, 2011 से, वे हड़ताल पर उतरेंगे। बी.एस.एन.एल. मज़दूरों द्वारा उठाये मुद्दे पूरे मज़दूर वर्ग और सभी देशवासियों के लिये महत्व के हैं। तेजी से संवर्धन वाले इस क्षेत्र की सरकारी कंपनी बी.एस.एन.एल की बर्बादी और इसका इजारेदार कंपनियों के हित में निजीकरण का, मजदूर विरोध कर रहे हैं। इस क्षेत्र के प्रमुख निजी खिलाड़ी हैं -मुकेश अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशन्स, सुनील मित्तल की भारती एयरटेल लिमिटेड, टाटा समूह की टाटा टेलीसर्विसेस और टाटा व आदित्य बिड़ला समूह की संयुक्त नियंत्रण की कंपनी आइडिया। बी.एस.एन.एल. के मज़दूरों ने 2-जी घोटाले से साबित सबक पर ध्यान दिलाया है कि बड़ी इजारेदार कंपनियां, सरकार की टेलीकॉम नीति को अपने हित में तय करवाती हैं।

बी.एस.एन.एल. के प्रबंधन और सरकार ने यहां के एक लाख कर्मचारियों को जबरदस्ती सेवानिवृत्त करने के लिये ''स्वैच्छिक'' सेवा निवृत्ती योजना (वी.आर.एस.) की घोषणा की है। कंपनी के घाटे में होने के नाम पर ऐसा किया जा रहा है। मज़दूरों ने ध्यान दिलाया है कि, सरकार एक फायदे में चलने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को घाटे में चलने वाली कंपनी में तब्दील करने और फिर इस बहाने उसका निजीकरण करने की कला में माहिर है। ऐसा मॉडर्न फूड्स लिमिटेड, भारत अल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बाल्को) और विदेश संचार निगम लिमिटेड (वी.एस.एन.एल.) के निजीकरण में हुआ है। जब भी बड़ी निजी कंपनियां राज्य के किसी उद्यम को हड़पना चाहती हैं, तब सरकार उनके आदेश का पालन करते हुये, नीतियों के उपाय से, उसे घाटे की कंपनी में तब्दील कर देती है। एक ऐसी परिस्थिति तैयार की जाती है जिसमें ऐसे उद्यम को कौड़ियों के मोल निजी इजारेदारों को बेच दिया जाता है। यह महत्वपूर्ण है कि टेलीकॉम क्षेत्र अर्थव्यवस्था की सबसे तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्रों में उभर कर आया है और निजी इजारेदारों में बी.एस.एन.एल. को हड़पने की होड़ तेज है। ऐसी हालातों में सरकार इसे बेचने की भरसक कोशिश कर रही है।

यूनियनों ने ध्यान दिलाया है कि बी.एस.एन.एल. में रखरखाव मज़दूरों की भर्ती बंद है जबकि इनकी बेहद जरूरत है। तकनीकी काम को भी यहां निजी ठेके पर दिया जा रहा है। यह सब बी.एस.एन.एल. के निजीकरण के कार्यक्रम का ही हिस्सा है।

बी.एस.एन.एल. को घाटे में चलने वाली कंपनी क्यों समझा जा रहा है? यूनियनों ने ध्यान दिलाया है कि 2006 से कंपनी ने ग्रामीण सेवा प्रदान करने के लिये, सालाना औसतन 8000 करोड़ रु. खर्च किया है। निजी कंपनियां यह काम करने से इनकार करती हैं क्योंकि इससे मुनाफा नहीं मिलता है। बी.एस.एन.एल. को इस समाजसेवी कार्य के लिये सरकार ने अभी तक मुआवजा नहीं दिया है। मज़दूर पूछते हैं कि देश के लोगों के लिये की गयी सेवा, खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में की गयी सेवा, को ''घाटा'' कैसे समझा जा सकता है? सच्चाई तो यह है कि, टेलीकॉम सेवाओं के निजीकरण के पूरे दौर में, सरकार ने जान-बूझकर यह सुनिश्चित किया है कि निजी खिलाड़ियों के कब्जे में महानगरों और शहरों के सबसे मुनाफेदार क्षेत्र आ जायें। साथ ही इन्हीं शहरों में बी.एस.एन.एल. की सेवाओं का दर्जा घटाया गया है। अत: अब परिस्थिति यह है कि पहाड़ी और दूर के इलाकों में बी.एस.एन.एल. की सेवाएं अच्छी हैं, जबकि शहरी इलाकों में, निजी खिलाड़ियों के हित में, बी.एस.एन.एल. की सेवाओं को जानबूझ कर खराब की गयी हैं। सरकार और प्रबंधन ने यह सुनिश्चित किया है कि बी.एस.एन.एल. के नेटवर्क, निजी खिलाड़ियों द्वारा निशुल्क इस्तेमाल हो रहे हैं।

बी.एस.एन.एल. के कर्मचारियों की ट्रेड यूनियनों ने इस बात का पर्दाफाश किया है कि बी.एस.एन.एल. को बर्बाद किया जा रहा है। पिछले 4 साल में, सरकार ने सबसे अच्छे आधुनिक उपकरणों की खरीदी को रोका है। यूनियनों ने आरोप लगाया है कि पूंजीपतियों ने, मंत्रियों को रिश्वत दे कर, बी.एस.एन.एल में उपकरणों के आधुनिकीकरण में रोड़े अटकाये हैं। सरकार ने बी.एस.एन.एल. में भ्रष्ट प्रबंधन और सलाहकार समिति बनाई है जिनको निजी इजारेदारों के अजेंडे को आगे बढ़ाने और बी.एस.एन.एल, के निजीकरण के मकसद के लिये, इसे बर्बाद करने के लिये चुना गया है।

सरकार द्वारा बी.एस.एन.एल. को बर्बाद करने का सबसे नया सबूत है कि बी.एस.एन.एल की जगह 3-जी स्पैक्ट्रम निजी खिलाड़ियों को दिया गया है।

बी.एस.एन.एल के मज़दूरों का संघर्ष पूरी तरह उचित है। हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी बी.एस.एन.एल के हड़ताल पर उतरे मज़दूरों और इंजीनियरों का पूरा समर्थन करती है। 

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *