हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का बयान, 6 नवम्बर, 2011
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी लिबिया के नेता करनल मुअम्मर गद्दाफ़ी की निर्मम हत्या की कड़ी निंदा करती है। अमरीका नीत नाटो बलों द्वारा, लिबिया पर अपने नाज़ायज़ व अपराधी कब्ज़े और उस देश के पुनः उपनिवेशीकरण के हिस्से बतौर, यह हत्या की गई थी।
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का बयान, 6 नवम्बर, 2011
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी लिबिया के नेता करनल मुअम्मर गद्दाफ़ी की निर्मम हत्या की कड़ी निंदा करती है। अमरीका नीत नाटो बलों द्वारा, लिबिया पर अपने नाज़ायज़ व अपराधी कब्ज़े और उस देश के पुनः उपनिवेशीकरण के हिस्से बतौर, यह हत्या की गई थी।
किसी राजनीतिक नेता पर फैसला सुनाने, उन्हें इनाम या सज़ा देने का अधिकार उस देश के लोगों को है, न कि किसी विदेशी ताकत को। गद्दाफ़ी की हत्या लिबिया के लोगों के खुद अपना भविष्य तय करने के अधिकार का घोर हनन है।
नाटो ताकतों ने सात महीनों से अधिक समय तक, हवाई हमले द्वारा लिबिया तथा उसकी जनता पर मौत और तबाही बरसाई। लिबिया के आर्थिक आधारभूत ढांचे को – स्कूलों, अस्पतालों, महामार्गों, दूरसंचार सेवाओं, सिंचाई व पेयजल व्यवस्थाओं को बेरहमी से नष्ट किया गया। इन सात महीनों में अनगिनत लोगों को मौत के घाट उतारा गया। नाटो के साम्राज्यवादियों ने बेनगाज़ी में अपने दलालों को हथियारबंद किया। लिबिया के कब्ज़े का विरोध करने वाले लोगों को कुचलने के लिये, साम्राज्यवादियों ने ज़मीन पर अपने खुफिया एजेंटों के ज़रिये, किराये की फौज़ों का निर्देशन किया और हवा से बमबारी की। गद्दाफ़ी की हत्या का अंतिम कदम भी नाटो ताकतों द्वारा आयोजित और उनके निर्देशन में हुआ। जब करनल गद्दाफ़ी की गाडि़यों की टोली उनके निवास शहर सर्टे से निकल रही थी, तब नाटो तकतों ने उच्च तकनीक वाले ड्रोन व सामरिक विमानों से उस पर बम बरसाये। नाटो ताकतों ने यह सुनिश्चित किया कि करनल गद्दाफ़ी को पकड़ लिया जाए और उन पर कोई मुकदमा चलाये बिना ही, नाटो के एजेंटों द्वारा उनकी हत्या कर दी जाये।
पूरे सात महीनों तक, अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कैमरोन तथा जर्मनी के चानसेलर मरकेल गद्दाफ़ी की हत्या का बुलावा देते रहे। लिबिया के संकट को बातचीत द्वारा समझौता करके हल करने के, अफ्रीकी यूनियन और विभिन्न लातिन अमरीकी सरकारों के प्रस्तावों को उन्होंने बड़े घमंड के साथ ठुकरा दिया। अब उन्होंने ऐलान किया है कि गद्दाफ़ी की हत्या “लोकतांत्रिक” लिबिया की “नई शुरुआत” है। दुनिया के लोगों को उनके इरादों के बारे में कोई भ्रम नहीं होना चाहिये।
अफ़गानिस्तान और इराक के लोगों ने सीधे तौर पर यह अनुभव किया है कि उनके देशों में किस तरह, बेरहम हमलों, हत्याओं और कब्ज़ाकारी जंग के जरिये, “लोकतंत्र” स्थापित करने के नाम पर, “सत्ता परिवर्तन” किया गया था। उन्होंने इस हमले और कब्ज़े के दौरान, अपनी भूमि, श्रम व संसाधनों की लूट-खसौट तथा अनगिनत देशभक्तों की हत्या देखी है। इराक और अफगानिस्तान में जो कुछ हुआ है, वही लिबिया के लोगों के साथ भी, लोकतंत्र की आड़ में, होने वाला है। लिबिया का पुनः उपनिवेशीकरण करने और उसके अनमोल कुदरती संसाधनों, खास तौर पर तेल, पर विदेशी साम्राज्यवादी नियंत्रण जमाने की उपनिवेशवादी और साम्राज्यवादी योजना को बेरहमी से लागू किया जायेगा। यह पुनः उपनिवेशीकरण वहां स्थापित की जा रही कठपुतली सत्ता के सहारे लागू किया जायेगा।
अमरीका नीत नाटो गठबंधन की कार्यवाहियों से यह साबित होता है कि ये साम्राज्यवादी ताकतें उस मूल असूल का भी आदर नहीं करती हैं जिसके आधार पर, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, फासीवादी हमलावरों को पराजित करके संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई थी – कि प्रत्येक देश और उसके लोगों की संप्रभुता अलंघनीय है, कि प्रत्येक देश को विदेशी हुक्म से मुक्त, अपनी आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था स्थापित करने का अधिकार है। नाटो के अमरीका नीत साम्राज्यवादी गठबंधन ने एक नई वैश्विक व्यवस्था गठित करने का अधिकार खुद को दे रखा है, जिसमें सभी देशों और लोगों को बिना कोई सवाल किये, उनका हुक्म मानना पड़ेगा।
साम्राज्यवादी ताकतें यह कोशिश कर रही हैं कि लोग यह मान जायें कि राष्ट्रों के आत्म-निर्धारण का अधिकार, जो बीसवीं सदी में अंतर्राष्ट्रीय तौर पर स्थापित किया गया था, उसका हनन “मानवीय” कारणों का बहाना देकर किया जा सकता है। मीडिया पर अपने नियंत्रण का इस्तेमाल करके वे किसी को भी चुनकर, उसे मानव जाति के लिये सबसे बड़ा खतरा बताकर, उसकी राष्ट्रीय संप्रभुता पर हमला करने तथा उसका हनन करने की हरकतों को जायज़ ठहराती हैं। मजदूर वर्ग और लोगों की सभी राजनीतिक पार्टियों और संगठनों को राष्ट्रों और लोगों के आत्म-निर्धारण के अधिकार की हिफ़ाज़त में एकजुट होना चाहिये। हम किसी भी बहाने, इस अधिकार के उल्लंघन को नहीं मान सकते।
गद्दाफ़ी की हत्या और लिबिया का पुनः उपनिवेशीकरण अफ्रीकी लोगों को यह संदेश दे रहा है कि बर्तानवी-अमरीकी साम्राज्यवादी और दूसरी यूरोपीय ताकतें अफ्रीका के पुनः उपनिवेशीकरण और पुनः बंटवारे के लिये फिर से नयी योजना बना रही हैं। यह अफ्रीकी देशों की मुक्ति और आज़ादी के लिये बहुत बड़ा खतरा है।
हमारे उपमहाद्वीप के लोगों और सरकारों को इस इलाके में हमारी आज़ादी और शान्ति को खतरा पहूंचाने वाली वास्तविकता के बारे में सचेत होना चाहिये। अमरीकी साम्राज्यवाद इराक और अफगानिस्तान की संप्रभुता का हनन कर चुका है और अब ईरान व पाकिस्तान को खुलेआम धमकी दे रहा है।
हमें प्रत्येक राज्य, राष्ट्र और लोगों की संप्रभुता का डटकर हिफ़ाज़त करना चाहिये और सभी साम्राज्यवादी हमलावरों को रोकने के संघर्ष में अपना योगदान देना चाहिये। एक पर हमला सभी पर हमला है! हम यह मांग करें कि पश्चिमी साम्राज्यवादी ताकतों द्वारा, लोकतंत्र स्थापित करने की आड़ में किये जा रहे लिबिया के पुनः उपनिवेशीकरण को हिन्दोस्तान की सरकार अपना समर्थन न दे।