रेल कर्मचारी आंदोलन की राह पर

21 अक्तूबर, 2011 को रेल कर्मचारियों ने गैंगमैन की भर्ती की माँग के लिए आंदोलन छेड़ा।

21 अक्तूबर, 2011 को रेल कर्मचारियों ने गैंगमैन की भर्ती की माँग के लिए आंदोलन छेड़ा।

“और कितनी मौतों का इंतजार है रेल प्रशासन को?” इस शीर्षक का पोस्टर रेल प्रशासन की पूरी लापरवाही को रेखांकित कर रहा था। 2008-09 के दौरान सोलापुर मंडल में 19, भुसावल में 7, मुंबई में 32, नागपुर में 6 व पुणे में 8 गैंगमैन लाइनों पर कार्य करते हुए गाड़ी से कटकर मर गए। 20 जनवरी, 2010 को महाप्रबंधक को सौंपे गए ज्ञापन में यह जानकारी दी गई थी। मगर रेल प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया और गत 6महीने में और 15 गैंगमैनों की इसी तरह मौत हुई है। इसलिए विवश होकर रेल कर्मचारियों को आंदोलन का कदम उठाना पड़ा।

इन हादसों के पीछे प्रमुख कारण यह है कि भर्ती न करने की वजह से गैंगमैनों की कमी है। फलस्वरूप सुरक्षा को नजरअंदाज करके बिना बावटा वालों के गैंगमैन से जबरन काम करवाया जाता है। बावटा वाला न होने से गाड़ी के आने का संकेत नहीं मिलता एवं कार्य करते गैंगमैन हादसे के शिकार हो जाते हैं। क्रोध की बात तो यह है कि कार्य करने के लिए जरूरी कर्मचारियों की भर्ती न करके प्रशासन कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने की बात करता है। विदित है कि जब-जब कोई रेल दुर्घटना होती है तब-तब रेल प्रशासन फटाफट या तो ड्राईवरों को या सिग्नल मैन को या किसी दूसरे रेल कर्मचारी को उस हादसे के लिए जिम्मेदार बताता है, जबकि इस उदाहरण से एक बार फिर साबित होता है कि असली गुनहगार रेल प्रशासन तथा सरकार ही है जो पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों की भर्ती करने की बजाय कटौती करने पर तुला है एवं ड्राईवरों समेत सभी कर्मचारियों से हद से ज्यादा घंटे काम कराने पर तुली है। हम मजदूर एकता लहर की ओर से प्रशासन की भत्र्सना करते हैं एवं तुरंत गैंगमैनों की भर्ती करने की यूनियन की माँग का पुरजोर समर्थन करते हैं।

पूरे देशभर में फैली लाखों किलोमीटर रेल पटरियों का रखरखाव करना यह अत्यंत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी गैंगमैनों की है। चाहे सर्दी हो या गर्मी या बारिश, दिन हो या रात गैंगमैनों को घूम-घूमकर प्रत्यक्ष निरिक्षण करके रेल पटरी की मरम्मत करनी पड़ती है। इस तरह पूरी रेल यातायात की सुरक्षा के लिये गैंगमैन एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। रेल व्यवस्था का एक अत्यंत कठिन काम गैंगमैनों का है। उनके स्वास्थ्य तथा सुरक्षा का ख्याल रखना, यानि करोड़ों रेलयात्रियों की सुरक्षा का ख्याल रखना। मगर पिछले कई दशकों में उनके कार्य में या काम करने के हालत में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने की डींग मारने वाली सरकार इतना भी नहीं कर सकती कि गैंगमैन एक दूसरे के साथ तथा रेलगाडि़यों के साथ सीधा संपर्क कर सकें। नहीं! सरमायदारों का राज जब तक है तब तक तकनीकी ज्ञान का इस्तेमाल आम मजदूरों की सुरक्षा के लिए नहीं होगा। तब तक आम मजदूर इसी तरह सरमायदारों की मुनाफे की हवस में कटते रहेंगे।

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