एशियन हार्ट इंस्टिट्यूट अस्पताल के प्रबंधन की बर्बरता से तंग आकर आखिरकार 250 से ज्यादा नर्सों ने बगावत कर ही दी। हड़ताल के तीसरे दिन 21 अक्तूबर को पुलिस ने उन पर लाठियां बरसाईं, जिसमें 4नर्सें घायल हुईं। अस्पताल का मैनेजमेंट जब उन्हें ट्रेनिंग पर रखता है तब उनसे 2 साल का बाँड लिखवा लेता है और साथ-साथ उनके सभी ओरिजिनल सर्टिफिकेट अपने पास रख लेता है। काम के हालात से परेशान कोई नर्स अगर काम छोड
एशियन हार्ट इंस्टिट्यूट अस्पताल के प्रबंधन की बर्बरता से तंग आकर आखिरकार 250 से ज्यादा नर्सों ने बगावत कर ही दी। हड़ताल के तीसरे दिन 21 अक्तूबर को पुलिस ने उन पर लाठियां बरसाईं, जिसमें 4नर्सें घायल हुईं। अस्पताल का मैनेजमेंट जब उन्हें ट्रेनिंग पर रखता है तब उनसे 2 साल का बाँड लिखवा लेता है और साथ-साथ उनके सभी ओरिजिनल सर्टिफिकेट अपने पास रख लेता है। काम के हालात से परेशान कोई नर्स अगर काम छोड़ना चाहे तो उसके ओरिजिनल सर्टिफिकेट लौटाने से प्रबंधन इन्कार कर देता है और इस तरह विवश होकर सभी अन्याय उन्हें सहने पड़ते हैं। मगर इस बार मुंबई के इस अस्पताल की नर्सों ने एकता के साथ हड़ताल कर ही दी।
मुंबई के सैकड़ों निजी अस्पतालों में, हजारों नर्सें बहुत बुरी परिस्थितियों में काम करती हैं। ज्यादातर नर्सें ट्रेनिंग पर रखी जाती हैं। सुविधा के तौर पर उन्हें बस एक कमरा दिया जाता है जिसमें वे एक और नर्स के साथ रहती हैं। वैसे तो उनकी एक शिफ्ट ज्यादातर 12 घंटे की होती है मगर वे 24 घंटे ड्यूटी पर हैं ऐसा माना जाता है। जितना बड़ा अस्पताल, उतना काम का बोझ ज्यादा और काम के हालात ज्यादा कठिन होते हैं। इन अस्पतालों में जो मरीज होते हैं उनसे अस्पताल बहुत ज्यादा पैसे लेते हैं। इस तरह नर्सों तथा उन अस्पतालों में नौकरी करने वाले डॉक्टर एवं दूसरे कर्मचारियों के श्रम का बेहद शोषण करके, ये सभी बड़े अस्पताल भरसक मुनाफा कमाते हैं। इस शोषण के खिलाफ़ आवाज़ बुलंद करने वाली मुंबई की उन बहादुर नरसों का हम मजदूर एकता लहर की ओर से अभिवादन करते हैं।