मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ़ गुड़गांव के मजदूरों का विशाल प्रदर्शन

17 अक्तूबर, 2011 को मारूती-सुजुकी के मजदूरों के समर्थन में गुड़गांव स्थित नेहरू पार्क में एक विशाल रैली आयोजित की गई। गुड़गांव तथा मानेसर स्थित औद्योगिक क्षेत्र की कई कंपनियों के मजदूरों ने इस रैली में शामिल होकर केन्द्र और राज्य सरकार क

17 अक्तूबर, 2011 को मारूती-सुजुकी के मजदूरों के समर्थन में गुड़गांव स्थित नेहरू पार्क में एक विशाल रैली आयोजित की गई। गुड़गांव तथा मानेसर स्थित औद्योगिक क्षेत्र की कई कंपनियों के मजदूरों ने इस रैली में शामिल होकर केन्द्र और राज्य सरकार की मजदूर-विरोधी नीतियों के खिलाफ़ रोष प्रकट किया।

रैली में भाग लेने जा रहे मजदूर राष्ट्रीय महामार्ग पर ‘केन्द्र और राज्य सरकार की मजदूर विरोधी नीति मुर्दाबाद!’ के नारे बुलंद कर रहे थे। मजदूरों के हाथों में लाल झंडे लहरा रहे थे।

नेहरू पार्क के साथ लगने वाली सड़क, गुड़गांव-सोहना रोड मजदूरों के आगमन से भर गयी। नेहरू पार्क में पहले से उपस्थित मजदूर, अलग-अलग यूनियनों और मजदूरों का रैली में आगमन पर ‘मजदूर एकता जिंदाबाद’ के नारे के साथ स्वागत कर रहे थे। अपनी-अपनी वर्दियों में मजदूर वर्ग के अनुशासित सिपाहियों की भांति पार्क में मजदूर एकत्रित होने लगे। देखते-देखते पूरा पार्क दस हजार मजदूरों से भर गया।

रैली में दिये जा रहे नारों से देशी-विदेशी पूंजीपतियों के शोषण और लूट के खिलाफ़ मजदूरों के गुस्से और नफरत को आसानी से देखा जा सकता था।

ज्ञात रहे कि मारूती-सुजुकी के मजदूर अपनी यूनियन बनाने की मांग को लेकर कड़े संघर्ष के दौर से गुजर रहे हैं। मारूती-सुजुकी में यूनियन बनाने की मुख्य मांग को लेकर चार महीने पहले, जून में 13दिन की हड़ताल हुई थी। समझौते पर आकर प्रबंधन ने मजदूरों को काम पर लिया। जल्दी ही मजदूरों की एकता को तोड़ने की भरपूर कोशिश की गई। सफलता न मिलने पर नेतृत्वकारी यूनियन के नेताओं पर झूठे आरोप लगाकर, उन्हें बाहर निकालना शुरू कर दिया।

प्रबंधन ने 29 अगस्त से प्लांट में अघोषित तालाबंदी कर दी।

30 सितम्बर को पुनः समझौता हुआ। प्लांट में मजदूर काम करने लगे। मजदूरों को प्लांट के अंदर बहुत उत्पीडि़त किया गया। स्थायी मजदूरों को, पदक्रम में काम न देकर अन्य काम करवाये गये।

7 अक्तूबर को मारूती-सुजुकी के प्रबंधकों ने समझौते के मुताबिक 1600 कैजुअल मजदूरों को काम पर नहीं लिया, उल्टे उन पर गुंडों से हमला करवाया।

यह देखकर अंदर काम कर रहे स्थायी मजदूर प्लांट के अंदर ही हड़ताल पर बैठ गये। यह सूचना जैसे ही मारूती-सुजुकी कास्टिंग प्लांट यूनियन, सुजुकी पावर ट्रेन इंप्लाईज यूनियन तथा सुजुकी स्कूटर एंड बाईक इंप्लाईज यूनियन आदि को मिली, वे भी काम बंद करके प्लांट के अंदर ही हड़ताल पर बैठ गये। इससे मारूती-सुजुकी का पूरा प्लांट ठप्प हो गया।

15 अक्तूबर को मारूती-सुजुकी के प्रबंधकों ने चंडीगढ़ स्थित उच्च न्यायालय से मजदूरों से प्लांट खाली करवाने का आदेश ले लिया। मानेसर को पुलिस और सी.आर.पी.एफ. की छावनी में बदल दिया गया। अब मजदूर अपनी-अपनी फैक्ट्री के गेटों पर जमे हुए हैं।

सभा खत्म करके नेहरू पार्क से लेकर जिला आयुक्त के घर तक एक विशाल प्रदर्शन रैली आयोजित की गई। संयुक्त ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधिमंडल ने जिला आयुक्त को ज्ञापन सौंपा। इस मुद्दे पर हरियाणा सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की।

इस रैली में शामिल होने वालों में थे – मजदूर एकता कमेटी, एटक, सीटू, हिन्द मजदूर सभा, इंटक, सर्व कर्मचारी संघ, होंडा कर्मचारी यूनियन, हीरो-होंडा कर्मचारी यूनियन, मारूती-सुजुकी कास्टिंग प्लांट यूनियन, सुजुकी पावर ट्रेन इंप्लाईज यूनियन, सुजुकी स्कूटर एंड बाईक इंप्लाईज यूनियन, ओमेक्स इंप्लाईज यूनियन, सत्यम कंपोनेंट इंप्लाईज यूनियन, इंडोंरेंस इंप्लाईज यूनियन, मुंजाल शोवा इम्पलाईज यूनियन, आई लैस इंप्लाईज यूनियन आदि।

आज मानेसर में जो संघर्ष चल रहा है, यह देश के मजदूर वर्ग और पूंजीपति वर्ग, दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस संघर्ष पर पूंजीपति वर्ग और और उनकी केन्द्रीय और राज्य सरकार नज़र रखे हुए हैं। वे इस संघर्ष को दबाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं ताकि भविष्य में यह संघर्ष मजदूरों के संघर्ष का मील-पत्थर न बने। क्षेत्र के लाखों मजदूर अपने अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं, ताकि पूंजीपति वर्ग द्वारा उनको पीछे धक्का न दिया जा सके। मारूती-सुजुकी के मजदूरों का संघर्ष पूरे देश के मजदूरों के अधिकार का संघर्ष है। यह वक्त की मांग है कि इस संघर्ष में पूंजीपतियों तथा उनकी सरकारों को हराया जाये। मारूती-सुजुकी के मजदूरों के संघर्ष की जीत में, देश के मजदूरों की जीत है।

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