अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा मुर्दाबाद! काबुल में विरोध प्रदर्शन

“हम तभी सुरक्षित महसूस करेंगे जब अमरीकी सेना यहां से जायेगी”, यह मनोभाव अफ़गानिस्तान के लोगों ने अमरीकी हमले की दसवीं बरसी पर, 7 अक्टूबर, 2011 को एकमत से व्यक्त किया। प्रदर्शनकारी स्पष्टता से मांग कर रहे थे कि अमरीकी व दूसरे विदेशी सैनिक उनके देश से वापस जायें। अफ़गानिस्तान के लोगों का संदेश था, “हम चाहते हैं कि अमरीकी सेना और उसके नाटो सहयोगी तुरंत हमारे देश से बाहर जायें।

“हम तभी सुरक्षित महसूस करेंगे जब अमरीकी सेना यहां से जायेगी”, यह मनोभाव अफ़गानिस्तान के लोगों ने अमरीकी हमले की दसवीं बरसी पर, 7 अक्टूबर, 2011 को एकमत से व्यक्त किया। प्रदर्शनकारी स्पष्टता से मांग कर रहे थे कि अमरीकी व दूसरे विदेशी सैनिक उनके देश से वापस जायें। अफ़गानिस्तान के लोगों का संदेश था, “हम चाहते हैं कि अमरीकी सेना और उसके नाटो सहयोगी तुरंत हमारे देश से बाहर जायें। हम चाहते हैं कि वे निर्दोष अफ़गान लोगों की हत्या बंद करें।”

6 अक्तूबर को सैकड़ों अफग़ान लोग काबुल में जमा हुये और उन्होंने अमरीका के प्रति अपनी नफरत साफ तौर पर ज़ाहिर की। अमरीका द्वारा किये गये लोगों पर अत्याचार पर उनका रोष, उनके झंडों पर साफ नजर आते थे। एक महिला के झंडे पर लिखा था, “कब्जा-अत्याचार-क्रूरता”। प्रदर्शनकारियों ने वॉशिंगटन के कठपुतले बतौर हमीद करजई की भी निंदा की।

वॉशिंगटन डी.सी. में प्रदर्शन

अमरीका के अनेक शहरों में शेयर बाजारों के विरोधी प्रदर्शनकारी अफ़गानिस्तान पर अमरीकी हमले की दसवीं बरसी पर युद्ध-विरोधी प्रदर्शन में शामिल हुये। हजारों प्रदर्शनकारियों ने 7 अक्तूबर 2011 को जंग-विरोधी संगठनों द्वारा आयोजित सभा में सहभाग लिया। उन्होंने जंग और शेयर बाजारों के बीच के संबंध पर ध्यान दिलाया – कि कैसे अमरीकी केन्द्रीय बजट जंग और पूंजीवाद निगमों को अपार धन देता है, परन्तु मानवीय जरूरतों को पूरा करने के लिये आवश्यक धन में कटौती करता है!

इराक युद्ध के अनुभवी सैनिक तथा ए.एन.एस.डब्ल्यू.इ.आर. गठबंधन (एक्ट नाओ टू स्टॉप वार वॉर एण्ड रेसिज्म), ग्रेनी पीस ब्रिगेड जो मुख्यतः वृद्ध लोगों का युद्ध-विरोधी संगठन है, कोअलीशन फॉर पीस एक्शन और अनेक दूसरे समूहों ने देश के विभिन्न शहरों में विरोध प्रदर्शन किये।

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