फ्रांस में मजदूरों के विशाल प्रदर्शन जारी हैं!

सेवा निवृत्ति और पूरी पेंशन पाने के लिए न्यूनतम उम्र के बढ़ाये जाने की फ्रांस की सरकार की कोशिशों के खिलाफ़ मजदूरों के विशाल प्रदर्शन अक्तूबर 2010 के महीने में पूरे देश में जारी रहे।

सेवा निवृत्ति और पूरी पेंशन पाने के लिए न्यूनतम उम्र के बढ़ाये जाने की फ्रांस की सरकार की कोशिशों के खिलाफ़ मजदूरों के विशाल प्रदर्शन अक्तूबर 2010 के महीने में पूरे देश में जारी रहे।

जैसे कि पहले रिपोर्ट किया गया है, सितम्बर के महीने में फ्रांस के मजदूरों में एक सप्ताह के लिए लगातार प्रदर्शन आयोजित किये थे, और इसके अलावा 29 सितम्बर, 2010 को पूरे यूरोप में आयोजित ”यूरोप संघर्ष दिवस” में अन्य यूरोपीय देशों के मजदूरों के साथ हिस्सा लिया था। अक्तूबर 2010 के पहले सप्ताह के फ्रेंच सीनेट ने सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जिसे पहले फ्रांस की संसद की निचली सभा ने मंजूरी दे दी थी।इस प्रस्ताव के मुताबिक सेवा निवृत्ति के लिए न्यूनतम उम्र को 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दिया जायेगा। इसके अलावा सरकार पूरी पेंशन पाने के लिए न्यूनतम उम्र को भी एक वर्ष से बढ़ाकर 41.5 वर्ष करने की योजना बना रही है। मजदूरों का कहना है कि ऐसा करना अन्याय होगा; ख़ास तौर से उनके लिए जो बेरोजगार थे और महिलायें जिनको प्रसूति और बच्चों की परवरिश के लिए काम से अवकाश लेना पड़ता है।

फ्रांस के मजदूरों का यह संघर्ष अक्तूबर 2010 में भी जारी रहा और देशभर में 50 लाख मेहनतकश लोगों ने इसमें हिस्सा लिया और सड़कों पर उतर आये। तेल क्षेत्र के मजदूरों ने अन्य मजदूरों के साथ मिलकर तेल की सप्लाई को पूरी तरह से बंद कर दिया, जिसकी वजह से सरकार को विमान और रेल सेवाओं को लम्बे समय के लिए बंद करना पड़ा। 12 में से 11 तेल रिफायनरी में उत्पादन कई सप्ताह के लिए पूरी तरह से बंद हो गया। पैरिस की रेपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम को कुछ दिनों के लिए बंद करना पड़ा। ट्रक चालकों ने भी कई दिनों के लिए रात्रि प्रदर्शन किया और लिल्ल, पैरिस, और ल्योन के नजदीक यातायात की गति कम कर के प्रदर्शन किया। पूरे देश में कई दिनों के लिए हज़ारों पेट्रोल स्टेशन से ईंधन ख़त्म हो गया था। फ्रांस के मुख्य एअरपोर्ट पर आने वाले विमानों को यह हिदायत दी गयी कि वे अपने साथ भरपूर मात्रा में ईंधन ले आयें ताकि वे वापस उड़ सकें। कई एअरपोर्ट कुछ दिनों के लिए बंद किये गए। दसों-हज़ारों विद्यार्थी भी इन प्रदर्शनों में शामिल हुए और पुलिस ने पैरिस की एक स्कूल में विद्यार्थियों पर हमला किया, जब उन्होंने स्कूल बंद करने की कोशिश की।

सरकार ने दावा किया है कि उसे यह कदम पैसे बचाने के लिए उठाने पड़े (लगभग 70 अरब यूरो) ताकि अर्थव्यवस्था और गर्त में न डूब जाये। मजदूरों ने स्पष्ट किया कि सरकार दरअसल अपने संकट का बोझ मजदूरों के कन्धों पर डाल रही है। सरकार के प्रस्तावों के खिलाफ मजदूरों ने बहादुरी के साथ अपने प्रस्ताव पेश किये हैं जिसमें शामिल हैं – सबसे ज्यादा अमीरों की आमदनी और बोनस पर अधिक कर लगाना। मजदूरों के लगातार प्रदर्शनों के चलते सरकार ने ऐलान किया कि पेंशन व्यवस्था में धन बढ़ाने के लिए वह नए कर लगाएगी और ऐसी माताओं को पेंशन देने का इंतजाम करेगी जिन्होंने प्रसूति और बच्चों की परवरिश के लिए काम से अवकाश लिया था।

अपने लम्बे और लगातार संघर्ष से मजदूरों ने सरकार की योजना के आगे घुटने टेकने से इंकार किया, जिसके मुताबिक सरकार आर्थिक संकट की कीमत मजदूरों से वसूलना चाहती है। इसके विपरीत उन्होंने बहादुरी के साथ अपने हकों को बुलंद किया और मांग की कि आर्थिक संकट की कीमत अमीर लोगों से वसूल की जाये।

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