कॉमरेड गुरशरन सिंह, जो एक जाने-माने सांस्कृतिक कार्यकर्ता, एक नाटककार और एक क्रांतिकारी बुद्धिजीवी थे, उनकी मृत्यु 82 वर्ष की उम्र में, 27 सितम्बर, 2011 को हुई। मज़दूर एकता लहर उनके शोकाकुल परिवार को, इस असामयिक मौत के लिये, हार्दिक शोक प्रकट करती है।
कॉमरेड गुरशरन सिंह, जो एक जाने-माने सांस्कृतिक कार्यकर्ता, एक नाटककार और एक क्रांतिकारी बुद्धिजीवी थे, उनकी मृत्यु 82 वर्ष की उम्र में, 27 सितम्बर, 2011 को हुई। मज़दूर एकता लहर उनके शोकाकुल परिवार को, इस असामयिक मौत के लिये, हार्दिक शोक प्रकट करती है।
कॉमरेड गुरशरन सिंह को ग़दर आंदोलन और शहीद भगत सिंह व उनके साथियों के क्रांतिकारी काम से प्रेरणा मिली। वे 1929 में पंजाब में पैदा हुये थे। उन्होंने रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर पढ़ाई की और सीमेंट उद्योग में काम करना शुरू किया। 1950के दशक में भाखड़ा-नंगल बांध के निर्माण के दौरान, सरकार के मज़दूर-विरोधी, किसान-विरोधी रुख ने उनकी चेतना को झकझोर दिया। उन्होंने एक जीवंत नाटक लिखा जिसमें उन्होंने परियोजना से प्रभावित लोगों की दयनीय परिस्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपना जीवन मज़दूरों और किसानों के लिये अर्पण करने का फैसला लिया, और 175 से भी ज्यादा नाटक और गीत लिखे। उनके नाटक पंजाब के हर गांव में प्रस्तुत किये जा चुके हैं। उनके काम से हजारों किसानों और क्रांतिकारी बुद्धिजीवियों को क्रान्ति का बीड़ा उठाने की प्रेरणा मिली है। उनके नाटक पूरे देश में और विदेशों में रहने वाले हिन्दोस्तानियों के बीच लोकप्रिय हैं। उन्होंने नाटकों के नये-नये प्रकारों और विषय वस्तुओं से प्रयोग किया, परन्तु हमेशा अपने काम को मेहनतकश लोगों की जिन्दगी से जोड़ा। एक लाल फरेरा तेरी कसम, इस खून का बदला हम लेंगे – उनके इस प्रसिद्ध गीत से प्रेरणा लेकर अनगिनत लोगों ने क्रान्ति का रास्ता अपनाया।
कॉमरेड गुरशरन सिंह के देहांत से अपने लोगों ने एक असाधारण क्रान्तिकारी बुद्धिजीवी खो दिया है, जिसने अपना पूरा जीवन मज़दूर वर्ग और किसानों के मुक्ति के रास्ते पर न्यौछावर किया।
3 अक्टूबर, 2011 को उनकी यादगार में एक शोकसभा आयोजित की गयी। श्रद्धांजली देने वालों के बीच हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के प्रवक्ता, कॉमरेड प्रकाश राव भी उपस्थित थे।