8 नवम्बर, 2010 की सुबह सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने हमारे देश में अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा के दौरे के खिलाफ़, मंडी हाऊस से संसद तक विरोध जुलूस निकाला। हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी, सोशलिस्ट युनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट), जमात ए इस्लामी हिंद, लोक राज संगठन, आल इंडिया वर्कर्स काउंसिल, सी.पी.डी.एम., दिल्ली श्रमिक संगठन और जनपक्ष द्वारा आयोजित इस संयुक्त प्रदर्शन में मानो लाल झंडों और बैनरों
8 नवम्बर, 2010 की सुबह सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने हमारे देश में अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा के दौरे के खिलाफ़, मंडी हाऊस से संसद तक विरोध जुलूस निकाला। हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी, सोशलिस्ट युनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट), जमात ए इस्लामी हिंद, लोक राज संगठन, आल इंडिया वर्कर्स काउंसिल, सी.पी.डी.एम., दिल्ली श्रमिक संगठन और जनपक्ष द्वारा आयोजित इस संयुक्त प्रदर्शन में मानो लाल झंडों और बैनरों का एक समुंदर था।
विरोध प्रदर्शन के सबसे आगे सहभागी संगठनों के सदस्यों द्वारा उठाया एक बैनर था जिस पर लिखा था ”अमरीकी साम्राज्यवादी मुखिया ओबामा भारत छोड़ो!” ”अमरीकी सैनिक हमले के खिलाफ़ पाकिस्तान के लोगों के जायज़ संघर्षों का समर्थन करें!”, ”अमरीकी सैनिक कब्ज़े के खिलाफ़ अफगानिस्तान के लोगों के जायज़ संघर्षों का समर्थन करें!”, ”अमरीकी साम्राज्यवाद के खिलाफ़ इराक और ईरान के लोगों के जायज़ संघर्षों का समर्थन करें!”, ”दक्षिण एशिया के लोगों एकजुट हो और अमरीकी साम्राज्यवादियों को यहां से बाहर भगाओ!”, ”दक्षिण एशिया के लोगों की साम्राज्यवाद-विरोधी एकता जिंदाबाद!”, ”हिन्द-अमरीका रणनैतिक गठबंधन मुर्दाबाद!”, ”आतंकवाद का स्रोत अमरीकी साम्राज्यवाद है!”, ”साम्राज्यवाद और जंग मुर्दाबाद!”, ”साम्राज्यवाद-विरोधी एकता और शांति के लिये संघर्ष करें!”, – प्रदर्शनकारियों के बैनरों पर लिखे अनेक ऐसे नारे थे।
विरोध प्रदर्शन के अंत में संसद के सामने एक जोशीली रैली की गयी। रैली का संबोधन सहभागी संगठनों के नेताओं ने किया।
संसद के सामने हुई रैली में हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के प्रवक्ता, कामरेड प्रकाश राव, ने अमरीकी साम्राज्यवाद के हमलावर रुख पर बात की। गहरे संकट से निकलने के लिये उसे अपने देश में फासीवाद तथा दूसरे देशों पर साम्राज्यवादी जंग का ही रास्ता नजर आता है। अपने बाजारों को विस्तृत करने और हमारे संसाधनों व लोगों पर कब्जा करने के उद्देश्य से, अमरीका की नज़रें दक्षिण एशियाई उप-महाद्वीप पर टिकी हुई हैं। हिन्दोस्तान के साथ गठबंधन बनाकर, तेजी से बढ़ रहे साम्राज्यवादी चीन की चुनौती को रोकना भी अमरीका का इरादा है। बीते तीन दशकों की घटनाएं यह दिखाती हैं कि यह अमरीकी साम्राज्यवादी ही हैं जिसने दक्षिण एशिया में आतंकवाद के बीज बोये, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से शुरुआत करके। अमरीकी साम्राज्यवाद आतंकवाद के हथकंडे का इस्तेमाल करके दक्षिण एशिया के लोगों को बांट रहा है और गुमराह कर रहा है, ताकि यहां के लोग साम्राज्यवाद के खिलाफ़ एकता बनाकर, साम्राज्यवादियों को एशिया से बाहर न भगा दें। एशिया के सभी देश अमरीकी साम्राज्यवाद के खतरे का सामना कर रहे हैं। इन हालतों में, हमारे देश के साम्राज्यवादी पूंजीपतियों के तंग हितों को बढ़ावा देने के लिये, संप्रग सरकार अमरीका के साथ रणनैतिक गठबंधन और सैनिक गठबंधन बनाने के खतरनाक रास्ते पर चलती जा रही है। इस रास्ते पर चलकर हमारा देश एक प्रतिक्रियावादी जंग में फंस जायेगा, जिसका परिणाम हमारी जनता और यहां के सभी लोगों के लिये बहुत ही गंभीर होगा।
सोशलिस्ट युनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) के पोलित ब्योरो सदस्य, कॉ. कृष्णा चक्रवर्ती ने ध्यान दिलाया कि आज इराक व अफग़ानिस्तान के लोग अमरीकी सैनिक शासन द्वारा रौंदे जा रहे हैं, फिलिस्तीनी लोगों पर जाऊनवादी इस्राईली हमलों को अमरीका शह दे रहा है, और अमरीका खुल्लम-खुल्ला तरीके से ईरान, क्यूबा तथा कोरिया पर आक्रामक रवैया अपना रहा है। ऐसे वक्त पर हिन्दोस्तानी सरकार द्वारा अमरीकी साम्राज्यवाद के सरगना ओबामा का स्वागत करने की उन्होंने कड़ी निंदा की। लंबे अरसे से अमरीकी साम्राज्यवाद हिन्दोस्तान और पाकिस्तान के बीच अंतरविरोधों को तीव्र करता रहा है और इस इलाके में तनाव बनाये रखा है ताकि दोनो देशों को अपना सैन्य उपकरण बेच सके। ओबामा का दौरा हिन्दोस्तानी पूंजीपति राज्य के विस्तारवादी मंसूबों के हित में है। दुनिया के स्तर पर अपनी साम्राज्यवादी रणनीति में अमरीका हिन्दोस्तान को भरोसेमंद सांझेदार बतौर और अपने सैनिक उपकरणों के लिये एक विशाल बाजार की दृष्टि से देख रहा है। उन्होंने हिन्दोस्तानी लोगों की साम्राज्यवाद-विरोधी परंपरा को याद दिलाकर घोषणा की कि उनका संगठन देश भर में ओबामा के दौरे के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहा है।
सोशलिस्ट युनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) के सांसद डा. तरूण मंडल ने रैली का संबोधन करते हुये अमरीकी साम्राज्यवाद को स्वतंत्रता, लोकतंत्र, आज़ादी तथा संप्रभुता का सबसे बुरा दुश्मन और दुनिया में आतंकवाद का मुखिया बताया।
रैली का संबोधन करने वाले अन्य वक्ताओं में आल इंडिया किसान-खेत मज़दूर संगठन के अध्यक्ष, जमात ए इस्लामी हिन्द, लोक राज संगठन, ऑल इंडिया वर्कर्स काउंसिल, सी.पी.डी.एम., दिल्ली श्रमिक संगठन तथा हिन्द नौजवान एकता सभा व पुरोगामी महिला संगठन के नेता शामिल थे।
रैली का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि अमरीकी साम्राज्यवाद की जंगफरोश योजनाओं के खिलाफ़, लोगों की संप्रभुता की रक्षा में और शांति के लिये, हिन्दोस्तान के लोग पाकिस्तान व अन्य देशों के लोगों के साथ एकता मजबूत करते रहेंगे।