प्रशान्त भूषण पर हमले की निंदा करें! ज़मीर के अधिकार की हिफ़ाज़त में एकजुट हों!

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का बयान, 13 अक्तूबर, 2011

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का बयान, 13 अक्तूबर, 2011

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी जाने-माने वकील और कार्यकर्ता, प्रशान्त भूषण पर क्रूर शारीरिक हमले की कड़ी निंदा करती है। श्री प्रशान्त भूषण जो जनाधिकारों की हिफ़ाज़त में अपने काम के लिये जनता के आदर के पात्र हैं, 12 अक्तूबर, 2011 को एक टी.वी. चैनल को साक्षात्कार दे रहे थे, जिस समय उन पर यह हमला हुआ।

प्रशान्त भूषण पर हमला इसलिये किया गया कि उन्होंने कश्मीरी लोगों के आत्म-निर्धारण के अधिकार की हिफ़ाज़त की थी और कश्मीर में जनमत संग्रह के पक्ष में बात की थी। उन्होंने फासीवादी सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम को रद्द करने और सेना को कश्मीर से वापस बुलाने की मांग की थी। उनका यह राजनीतिक विचार इस असूल पर आधारित है कि कश्मीर का भविष्य निर्धारित करने का अधिकार कश्मीरी लोगों का है, न कि हिन्दोस्तान या पाकिस्तान की सरकारों या किसी और का।

प्रशान्त भूषण का विचार अधिकतम कश्मीरी लोगों तथा हमारे देश की सभी प्रगतिशील पार्टियों और जागरूक व्यक्तियों का विचार भी है। मुद्दा यह नहीं है कि सत्ता में बैठे लोग इस विचार से असहमत हैं। मुद्दा यह है कि इस विचार को खुलेआम प्रकट करने वाले व्यक्ति को पाकिस्तान-परस्त और हिन्दोस्तान-विरोधी बताकर उन पर शारीरिक हमला किया गया। सरकारी लाइन, कि “कश्मीर हिन्दोस्तान का अभिन्न भाग है”, इसका यह मतलब है कि कश्मीर के राजनीतिक भविष्य पर फैसला करने का अधिकार हिन्दोस्तान के संसद के हाथों में है। इसका विरोध करने का अधिकार भी नकारा जा रहा है।

कांग्रेस पार्टी और भाजपा इस हमले के लिये एक दूसरे पर इल्जाम लगा रही हैं। सच तो यह है कि ये दोनों पार्टियां कश्मीरी लोगों के अधिकार के खिलाफ़ हैं और इस विषय पर प्रत्येक नागरिक के ज़मीर के अधिकार के खिलाफ़ हैं। ये दोनों पार्टियां कश्मीर पर सरकारी लाइन को दोहराती हैं और जन-विरोध को कुचलने के लिये हिंसा का प्रयोग करने का इन दोनों का ही लम्बा इतिहास है। इन दोनों पार्टियों ने अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिये साम्प्रदायिक खून-खराबा आयोजित किया है। ये दोनों पार्टियां कश्मीर, मणिपुर, नगालैण्ड और अन्य स्थानों पर सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम और सैनिक शासन की हिफ़ाज़त करती हैं।

इस घिनावने हमले के लिये शासक – यानि हिन्दोस्तानी राज्य, उसके खुफि़या संस्थान और संसद की मुख्य पार्टियां जिम्मेदार हैं। खुफिया संस्थान और बड़े पूंजीपतियों की मुख्य पार्टियां सरकार से विरोधी विचार रखने वालों पर इस तरह के हमले करने के लिये तरह-तरह के फासीवादी गिरोहों को तैयार रखती हैं। समय-समय पर इस प्रकार के गिरोह, “राम सेना”, “भगत सिंह सेना”, आदि नये-नये नाम लेकर आगे आते हैं।

हमेशा की तरह, अब भी मजदूर वर्ग और मेहनतकश जनसमुदाय यह चाहते हैं और यह मांग करते हैं कि इस हमले के पीछे जिसका भी हाथ हो वह साफ-साफ सामने लाया जाये। अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो यही साबित होगा कि यह हमला राज्य द्वारा आयोजित था।

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी मजदूर वर्ग,किसानों, राष्ट्रीय-लोकतांत्रिक आंदोलनों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं से मांग करती है कि ज़़मीर के अधिकार की हिफ़ाज़त में हम सब एकजुट होकर अपनी आवाज़ बुलंद करें। राजनीतिक समस्याओं को हल करने के लिये बल प्रयोग की हम निंदा करते हैं! हम यह मांग करते हैं कि प्रशान्त भूषण पर हमले के बारे में पूरी सच्चाई सामने लायी जाये और अपराधियों को सज़ा दी जाये!

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