मजदूर एकता लहर बड़े गर्व के साथ घोषित करती है कि अक्तूबर 2010 में हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी का चौथा महाअधिवेशन सफलतापूर्वक सम्पन्ना हुआ।
मजदूर एकता लहर बड़े गर्व के साथ घोषित करती है कि अक्तूबर 2010 में हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी का चौथा महाअधिवेशन सफलतापूर्वक सम्पन्ना हुआ।
महाअधिवेशन के चार दिनों के दिन-भर के सत्रों में पूरे देश से तथा विदेश से आये प्रतिनिधियों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। पहले दिन जब साभागृह में प्रतिनिधियों ने प्रवेश किया, तो दूसरे इलाकों से आये हुये अपने कामरेडों से मिलकर सभी के चेहरों पर प्रसन्नाता छायी हुई थी। पार्टी के काम की प्रगति के बारे में उत्साह तथा महाअविधेशन में होने वाली चर्चाओं और फैसलों की उम्मीद भी सभी प्रतिनिधियों के चेहरों पर दिख रही थी।
महाअधिवेशन का आरंभ ”ग़दर पार्टी लाल सलाम!” गीत से हुआ। गीत के साथ-साथ, पार्टी के नौजवान सिपाहियों ने ”दुनिया के मजदूरों एक हो!” और ”माक्र्सवाद-लेनिनवाद में कुशल बनें!” के नारों समेत लाल बैनर फहराये। लाल झंडों से घिरे हुये मंच पर पार्टी के एक वरिष्ठ कामरेड ने चौथे महाअधिवेशन का उद्धाटन किया। उन्होंने पार्टी के महासचिव कामरेड लाल सिंह को मंच पर आमंत्रित किया। सभी प्रतिनिधियों ने खड़े होकर तालियों के साथ कामरेड लाल सिंह का स्वागत किया। पार्टी के नेतृत्व, महासचिव की अगुवाई में केन्द्रीय समिति के प्रति संपूर्ण पार्टी का असीम स्नेह स्पष्ट दिख रहा था।
कामरेड लाल सिंह ने सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उन्होंने दो वरिष्ठ महिला कामरेडों का अभिवादन किया, जो सभी पार्टी सदस्यों के लिये प्रोत्साहन का स्रोत रही हैं व आज भी हैं। उन्होंने मौजूदे केन्द्रीय समिति के गुटवाद बिना बहादुर काम की सराहना की और फिर केन्द्रीय समिति के विलोपन की घोषणा की। उन्होंने हमारी पार्टी के हर स्तर पर सामूहिक फैसले लेने के असूल को समझाया और यह ज़ोर दिया कि किसी भी समूह के फैसले को तब तक नहीं बदला जा सकता, जब तक उसी समूह में उस विषय पर पूरी चर्चा न हो। उसे कोई व्यक्ति या नेताओं का दल नहीं बदल सकता, जैसा कि कुछ और पार्टियों में होता है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सिर्फ वही कम्युनिस्ट पार्टियां जो लोकतांत्रिक केन्द्रीयवाद के लेनिनवादी असूलों पर टिकी रही हैं, वे ही समय की परीक्षा में सफल उतरी हैं।
कामरेड लाल सिंह ने यह स्पष्ट किया कि महाअधिवेशन में पेश की जा रही रिपोर्ट अभी विलुप्त की गयी केन्द्रीय समिति की ओर से है। यह संपूर्ण पार्टी, उसके सभी संगठनों और सदस्यों के काम पर आधारित है। यह कुछेक व्यक्तियों द्वारा लिखा गया दस्तावेज़ नहीं है। उन्होंने यह प्रस्ताव किया कि तीन दिन तक इस रिपोर्ट पर पूरी चर्चा की जाए, ताकि उसके बाद इस पर सहमति तथा कुछ और प्रस्तावों पर सहमति का वोट लिया जा सके। महा अधिवेशन की कार्यवाही के संचालन के लिये एक अध्यक्षमंडल का चुनाव किया गया।
रिपोर्ट
चौथे महाअधिवेशन को पेश की गई रिपोर्ट में हमारे देश व पूरी दुनिया में वर्तमान स्थिति का विश्लेषण किया गया। इन स्थिति में पार्टी के काम का संकलन किया गया, आने वाले वर्षों में हमारे सामने आने वाली चुनौतियों को पेश किया गया तथा अंत में कार्य योजना रखी गयी।
रिपोर्ट में विश्व साम्राज्यवादी व्यवस्था के प्रमुख अन्तर्विरोधों का समकालीन मार्क्सवादी-लेनिनवादी विश्लेषण पेश किया गया और यह निष्कर्ष निकाला गया कि पूंजीपति वर्ग के समाज-विरोधी हमले और अन्तर साम्राज्यवादी जंग के बढ़ते खतरे के चलते, श्रमजीवी क्रान्ति के आगे बढ़ने की हालतें परिपक्व हो रही हैं। समाज-विरोधी हमले के खिलाफ़ संघर्ष को अगुवाई देने के लिये, यह बताया गया कि कम्युनिस्टों का काम है एक आधुनिक श्रमजीवी लोकतंत्र, एक जनपक्षीय अर्थव्यवस्था और एक शान्तिपूर्ण साम्राज्यवाद-विरोधी अंतर्राष्ट्रीय नीति की स्थापना के लिये कार्यक्रम पेश करना, जो कि मेहनतकशों और संपूर्ण मानव जाति के हित में संकट को हल करने का फौरी कदम होगा।
रिपोर्ट में यह समझाया गया कि इस संकट ग्रस्त साम्राज्यवादी व्यवस्था के अन्दर हिन्दोस्तान का एक खास स्थान है। हिन्दोस्तान एक पूंजीवादी देश है जो साम्राज्यवादी प्रभुत्व और लूट का शिकार है, पर जो साथ ही साथ, एक साम्राज्यवादी ताकत बतौर आगे आ रही है। यहां पूंजीवाद सामंतवाद के अवशेषों को कायम रखता है। यहां राज्य तंत्र उपनिवेशवाद की विरासत है, देश में वर्ग शोषण और राष्ट्रीय दमन का साधन है तथा विदेश में साम्राज्य बनाने का साधन है। यह ऐसा देश है जिसका शासक वर्ग दुनिया की साम्राज्यवादी ताकतों के गिरोह में शामिल होने के लिये हमलावर तरीके से कोशिश कर रहा है। इसकी वजह से एक बहुत ही अन्तर्विरोध पूर्ण हालत पैदा हो रही है।
इन हालतों में, हमारी पार्टी ने हिन्दोस्तान के नव-निर्माण का कार्यक्रम पेश किया है। यह एक स्वेच्छा पर आधारित संघ और राज्य सत्ता की नींव डालने का कार्यक्रम है, जिसमें मेहनत करने वाले लोग फैसले लेंगे और सभी को खुशहाली और सुरक्षा दिलाने के लिये अर्थव्यवस्था को नई दिशा देंगे। इस कार्यक्रम के साथ लैस होकर, हमने मजदूर वर्ग की अगुवाई में एक व्यापक लोकप्रिय राजनीतिक मोर्चे के बीज बोने और नींव डालने में सफलता हासिल की है।
रिपोर्ट में जनवरी 2005 में हुए, पार्टी के तीसरे महाअधिवेशन द्वारा निर्धारित मुख्य कार्यों के निभाए जाने की समीक्षा की गई। हमने सैध्दान्तिक, विचारधारात्मक और अमलनीय काम किया है, यह सुनिश्चित करने के लिये कि हिन्दोस्तान के नव-निर्माण के कार्यक्रम की रक्षा की जाए तथा उसे आगे ले जाया जाए, और तथाकथित सांझा न्यूनतम कार्यक्रम जैसे सभी पूंजीवादी भटकाववादी हरकतों का मुकाबला करते हुए इस कार्यक्रम को अमल में लाया जाए। तीसरे महाअविधेशन का सबसे अहम फैसला – कि मजदूर वर्ग के बीच पार्टी के बुनियादी संगठनों को बनाया जाये, मजबूत और विस्तृत किया जाये – इसे बीते पांच वर्षों में दृढ़ता और लगन के साथ कामयाब किया गया है। अधिकारों की हिफ़ाज़त में, उदारीकरण और निजीकरण कार्यक्रम के खिलाफ़ संघर्ष को अगुवाई देने तथा हिन्दोस्तान के नव-निर्माण के लिये आन्दोलन चलाने के दौरान हमने पार्टी का निर्माण किया और उसे मजबूत किया है। इस अवधि में मजदूरों, किसानों और क्रान्तिकारी बुध्दिजीवियों में से, पार्टी में अनेक नये सदस्य जुड़े हैं।
मजदूरों, किसानों, झुग्गी वासियों, दुकानदारों, पीड़ित राष्ट्रों व राष्ट्रीयताओं, जनजातियों, उत्पीड़ित अल्पसंख्यक तबकों तथा अन्य तबकों के अधिकारों की हिफ़ाज़त में तरह-तरह के जन संघर्षों में हमारी पार्टी ने पूरी तरह भाग लिया है। ‘एक पर हमला सभी पर हमला’, इस असूल की हिमायत करते हुए, हमने संघर्ष में एकता बनाने का काम किया है। हमने अलग-अलग स्तरों पर सभाओं तथा निर्वाचित समितियों का निर्माण करना शुरू किया है, जो लोकतांत्रिक केन्द्रीयवाद के आधार पर, संगठनात्मक तौर पर एकजुट हैं।
हमने स्पष्ट किया है कि रूढ़िवादियों, उग्रवादियों, आतंकवादियों आदि के खिलाफ़ तथाकथित जंग राजकीय आतंकवाद के अलावा कुछ और नहीं है और इसका मकसद है पूंजी की हुकूमत की रक्षा करना तथा इजारेदार कंपनियों की हुक्मशाही को थोपना। हमने समाज के हर सदस्य के जमीर के अधिकार, अपने विचारों पर चलने के अधिकार की हिफ़ाज़त की है। हमने कश्मीर और पूर्वोत्तार राज्यों में सैनिक शासन को खत्म करने, फासीवादी कानूनों को फौरन रद्द करने तथा केन्द्रीय फौजों को वापस भेजने के लिये अडिग संघर्ष किया है। हमने हिन्दोस्तानी राज्य की साम्राज्यवादी जंगफरोशी और पाकिस्तान के खिलाफ़ जहरीले प्रचार का पर्दाफाश और विरोध किया है। हम साम्प्रदायिक जनसंहार के कर्ताओं की गिरफ्तारी और सज़ा के लिये संघर्ष करते आ रहे हैं।
”बाज़ार उन्मुख अर्थव्यवस्था” के खिलाफ़ और इस दावे का विरोध करते हुये कि उदारीकरण और निजीकरण के जरिये भूमंडलीकरण का कोई विकल्प नहीं है, हमने यह असूल आगे रखा है कि मेहनतकशों के जीवन स्तर में उन्नाति लाने, उत्पादन के साधनों को बढ़ाने और कुदरती पर्यावरण की रक्षा करने पर सामाजिक बेशी मूल्य का निवेश किया जाना चाहिये। इस से बिना किसी संकट के, समाज का व्यापक पुनरुत्पादन सुनिश्चित होगा। हमने शहरों के मजदूरों और गांवों के किसानों को समझाया है कि जरूरी सामग्रियों के अभाव, महंगाई और किसानों की बढ़ती आर्थिक असुरक्षा की समस्या का समाधान यही है कि जरूरी सामग्रियों के उत्पादन, प्रापण (खरीदी), व्यापार और वितरण पर मजदूरों और किसानों का नियंत्रण स्थापित किया जाए।
मजदूर वर्ग की एक जिम्मेदार राजनीतिक पार्टी बतौर, हमने चुनाव के मंच का इस्तेमाल करके, हिन्दोस्तानी समाज की समस्या और उसके समाधान के बारे में अपना विश्लेषण पेश किया है। हमने चुनाव अभियानों का इस्तेमाल करके, दूर-दूर तक यह संदेश फैलाया है कि आज वक्त की जरूरत है एक ऐसी क्रान्तिकारी मजदूर-किसान सरकार की स्थापना करने की, जो पूंजीवादी हमले को रोकने, लोकतंत्र की व्यवस्था का नवीकरण करने और सभी की जरूरतें पूरी करने के लिये अर्थव्यवस्था को नई दिशा दिलाने के कदम उठायेगी।
रिपोर्ट में यह बताया गया कि पार्टी का कार्यक्रम मजदूर वर्ग और मेहनतकश जनसमुदाय की क्रान्तिकारी प्रेरणा को बढ़ावा दे रहा है। अपने अनुल्लंघनीय अधिकारों के लिये लोगों की मांगों के समर्थन में सैध्दान्तिक तर्क पेश करने के हमारी पार्टी के काम की वजह से लोगों की सामूहिक चेतना को बढ़ाने में हमने योगदान दिया है। अनेक जन संगठन अपने अनुल्लंघनीय अधिकार बतौर खाद्य, आवास, रोज़गार, शिक्षा और स्वास्थ्य की मांग कर रहे हैं और तत्कालीन सरकार को इसके लिये नये कानून बनाने को मजबूर कर रहे हैं। देश भर में मजदूर यूनियन और किसान संगठन सर्वव्यापक सार्वजनिक वितरण व्यवस्था की मांग उठा रहे हैं।
बीते पांच वर्षों में मजदूर वर्ग के संघर्ष की गतिविधियों का विश्लेषण करते हुये, रिपोर्ट में इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया कि मजदूर यूनियनों पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और उसके मित्र दलों के संसदीय दांवपेच के हावी होने के कारण, पूंजीवादी शोषण के खिलाफ़ संघर्ष को सबसे बड़ा धक्का पहुंचा है। मजदूर वर्ग संघर्षों की लहर, जो 2004 में काफी ऊंची थी, उसके बाद के वर्षों में घट गयी, क्योंकि माकपा आदि ने पूंजीपति वर्ग के साथ समझौते का रास्ता अपनाया और मजदूरों को कांग्रेस पार्टी की अगुवाई वाली सरकार के समर्थन में लामबंध किया। संसद में माकपा और वाम दलों का समर्थन पाकर, पूंजीपति वर्ग कुछ समय के लिये अपने शासन को स्थिरता दे पाया, मजदूर वर्ग को गुमराह करके उसके विरोध को कमजोर कर पाया, और अपना साम्राज्यवादी हमला ज्यादा तेज़ी से आगे बढ़ा पाया। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 2004-08 के दौरान श्रम के शोषण का स्तर तेज़ी से बढ़ा, इसके पहले के पांच वर्षों से भी ज्यादा तेज़ी से। इस अवधि में टाटा, रिलायंस और दूसरी इजारेदार कंपनियों का विश्व स्तर पर सबसे ज्यादा तेज़ी से विस्तार हुआ।
रिपोर्ट में यह बताया गया कि दूसरी संप्रग सरकार वह स्थिरता नहीं दिला पायी, जिसकी पूंजीपतियों को उम्मीद थी। वर्तमान सरकार की विश्वसनीयता का संकट असलियत में पूंजीपति वर्ग के शासन, उसके लोकतंत्र और उसके समाज विरोधी कार्यक्रम की विश्वसनीयता का संकट है। यह संकट हमारे समाज के सभी मुख्य अन्तर्विरोधों के तीखे होने का प्रतिबिंबन है।
रिपोर्ट में यह निष्कर्ष पेश किया गया कि हालांकि श्रमजीवी क्रान्ति के वस्तुगत हालात परिपक्व हो रहे हैं, परन्तु आत्मगत हालात अभी भी बहुत पीछे हैं। मजदूर वर्ग के सबसे संगठित दस्ते की चेतना को घटाने के लिये यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि पूंजीपति वर्ग के शासन के चलते, मजदूरों और किसानों के हितों की रक्षा करना मुमकिन है।
रिपोर्ट में यह जायज़ा लिया गया कि हमारी पार्टी का काम एक निर्णायक मोड़ पर है। हिन्दोस्तान के नव-निर्माण के लिये आवश्यक क्रान्तिकारी राजनीतिक मोर्चा स्थापित करने के काम से एक नई गुणवत्ता पैदा हुई है, जिसने अपनी जड़ें जमा ली हैं परन्तु जिसे अभी भी संपूर्ण मजदूर वर्ग आन्दोलन पर अपने पंख पसारने हैं। इससे स्पष्ट होता है कि हमारे सामने क्या चुनौती है, कि हमें इस सोच और कार्यदिशा को उन सभी मजदूरों, किसानों और क्रान्तिकारी बुध्दिजीवियों के बीच फैलाना होगा, जो अपने अधिकारों के लिये संघर्ष कर रहे हैं और गरीबी व शोषण से मुक्त एक आधुनिक समाज बनाना चाहते हैं। आज हमारे सामने मुख्य चुनौती है मजदूर वर्ग और कम्युनिस्ट आन्दोलन में जहर घोलने वाली और उसकी प्रगति को रोकने वाली, पूंजीपति वर्ग से समझौता करने वाली दोनों प्रकार की धाराओं का पर्दाफाश करना तथा उन्हें हराना।
माकपा नीत संसदीय धारा और माओ त्से तुंग विचारधारा का पालन करने वाले, दोनों हमारे समाज के वर्तमान पड़ाव पर, एक ही जैसी आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था लाना चाहते हैं। वे दोनों शोषकों और शोषितों का ”मिला-जुला शासन” और गैर इजारेदार पूंजीवाद स्थापित करना चाहते हैं, जो नामुमकिन हैं। हालांकि वे दोनों एक दूसरे के खिलाफ़ लगते हैं, और उनके तौर-तरीके भिन्ना हैं, परन्तु इन दोनों धाराओं का एक ही उद्देश्य है। वे मजदूर वर्ग को किसानों को लामबंध करके श्रमजीवी लोकतंत्र, समाजवाद और कम्युनिज्म के संघर्ष को अगुवाई देने से रोक रही हैं। वे श्रमजीवी क्रान्ति के रास्ते में रुकावटें हैं।
रिपोर्ट में यह बताया गया कि इजारेदार कंपनियों की अगुवाई में शासक पूंजीपति वर्ग सुनियोजित ढंग से देश के जीवन का फासीकरण कर रहा है, ताकि मजदूरों, किसानों, जनजातियों, राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलनों और अन्य दबे-कुचले तबकों के बढ़ते विद्रोह को कुचला जा सके। अपने अधिकारों के लिये संघर्ष कर रहे लोगों को देश की ‘राष्ट्रीय एकता और क्षेत्रीय अखंडता’ का सबसे बड़ा खतरा बताया जा रहा है। ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के नाम पर तथा व्यक्तिगत आतंकवाद और उग्रवाद को कुचलने के बहाने, राजकीय आतंकवाद को बहुत बढ़ाया जा रहा है। सभी प्रकार के राजकीय आतंकवाद का डटकर विरोध करते हुये, हमें मानव अधिकारों, लोकतांत्रिक और राष्ट्रीय अधिकारों की हिफ़ाज़त के संघर्ष की हिमायत करते रहना चाहिये। विभिन्न पार्टियों और गिरोहों द्वारा, क्रांति के नाम पर, अपनाये जा रहे व्यक्तिगत आतंक और अराजक हिंसा के रास्ते को हमें ठुकराना होगा और उसका पर्दाफाश करना होगा, क्योंकि यह शासकों को राजकीय आतंक बढ़ाने का बहाना देता है।
रिपोर्ट में यह ज़ोर दिया गया कि आज कम्युनिज्म की धाराओं के नाम से जिन गलत विचारों और कल्पनाओं को फैलाया जा रहा है, उन्हें खारिज करके, हमें संघर्षशील ताकतों को आधुनिक कम्युनिज्म के सिध्दांत से लैस करने की ओर गंभीरतापूर्वक ध्यान देना होगा। हरेक पार्टी संगठन के काम में नियमित व सुनियोजित कम्युनिस्ट शिक्षा को प्राथमिकता देनी होगी। कम्युनिज्म में गंभीर रुचि रखने वाले लोग, जो इस समय पार्टी के बाहर हैं, उन तक भी हमें इस शिक्षा को फैलाना होगा। मजदूरों, किसानों और क्रांतिकारी बुध्दिजीवियों के बीच बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनमें कुछ आज इस या उस गुमराहकारी फरेबी कम्युनिस्ट धारा का पालन कर रहे हैं।
रिपोर्ट में मजदूरों, किसानों, महिलाओं और नौजवानों के जन संगठनों को मजबूत करने का आह्वान दिया गया। आन्दोलन में दूसरी ताकतों के प्रयासों के साथ-साथ, हमारी पार्टी के काम की वजह से, क्रांतिकारी संयुक्त मोर्चे के बीज बोये गये हैं। अब उसका पोषण करना होगा और पूरे आन्दोलन में उसका विस्तार करना होगा।
रिपोर्ट में यह बताया गया कि पूरे एशिया में साम्राज्यवादी युध्द का खतरा बढ़ रहा है। दक्षिण एशिया पर जंग के काले बादल मंडरा रहे हैं, क्योंकि अमरीकी साम्राज्यवाद इस इलाके में अपनी दखलंदाजी को बढ़ा रहा है और हिन्दोस्तानी साम्राज्यवाद अपने प्रभाव क्षेत्र को विस्तृत करने के उद्देश्य से, हमलावर रास्ते पर चल रहा है। हमें अपने मजदूर वर्ग और शान्ति पसंद लोगों को यह जागरुकता दिलानी होगी कि हमारे शासक वर्ग एक अत्यंत खतरनाक साम्राज्यवादी खेल में शामिल हो रहे हैं, जिसकी निन्दा की जानी चाहिये, न कि समर्थन। दक्षिण एशिया में जंग और शान्ति के विषय पर असूलन श्रमजीवी धारणा और दृष्टिकोण को स्थापित करने में हमारी पार्टी को अगुवाई देनी होगी। हमें यह स्पष्ट करना होगा कि साम्राज्यवादी व्यवस्था आतंकवाद, फासीवाद और जंग का स्रोत है, कि इस व्यवस्था को खत्म करने के संघर्ष के ज़रिये ही स्थायी शांति कायम हो सकती है।
हमारी पार्टी को पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और इस इलाके के अन्य देशों तथा एशिया और दुनिया के अन्य देशों के लोगों के साम्राज्यवाद-विरोधी और राष्ट्रीय मुक्ति संघर्षों के समर्थन में देश के मजदूरों, किसानों और शांति पसंद बुध्दिजीवियों को लामबंध करने में अगुवाई देनी होगी। हमें दक्षिण एशिया के सबसे बड़े और शक्तिशाली देश की प्रधानता करने वाले हिन्दोस्तानी शासक वर्ग की खतरनाक भूमिका का बहादुरी से पर्दाफाश करना होगा। विदेश से पैदा होने वाले साम्राज्यवादी खतरों से हमारे लोगों के सांझे हितों की हिफाज़त करना तो दूर, हिन्दोस्तानी शासक वर्ग अपने तंग, खुदगर्ज मकसदों से साम्राज्यवादी खतरों को बढ़ा रहा है और इस इलाके में नाजायज़ जंग में भाग लेने की तैयारी कर रहा है।
रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया कि हमारी योजना को सफलता से लागू करने के लिये निर्णायक कारक पार्टी का निर्माण करना और उसे मजबूत करना है। हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी क्रान्ति का साधन है, जिसे हमारे वर्ग के सबसे जागरुक तत्वों ने 30 वर्ष पहले पैदा किया था। यह हिन्दोस्तानी मजदूर वर्ग और किसानों पर पूंजीवादी राजनीतिक चेतना के प्रभाव को खत्म करने का साधन है। यह हमारे देश में कम्युनिस्ट आंदोलन की एकता की पुन:स्थापना का साधन है, ताकि सभी कम्युनिस्टों को मजदूर वर्ग की एक हिरावल पार्टी में एकजुट किया जा सके। मजदूर वर्ग, क्रान्तिकारी किसान और बुध्दिजीवी, महिला और नौजवान के बीच पार्टी का निर्माण करना और उसे मजबूत करना – यह आज देश में चल रहे वर्ग संघर्ष पर श्रमजीवि नेतृत्व स्थापित करने के लिये निर्णायक है।
अंत में रिपोर्ट में यह आह्वान दिया गया कि हम मजदूर वर्ग को किसानों और सभी पीड़ित लोगों का नेता बनने के लिये तैयार करने की योजना को लागू करने पर अपनी पूरी ताकत लगायें। इसके लिये यह जरूरी है कि हम गलत विचारों, झूठी खबरों और धोखाधड़ी के उस धुंध को हटायें, जो इस समय कम्युनिस्ट आंदोलन में गड़बड़ी फैला रहा है और हमारे मजदूर वर्ग तथा क्रान्तिकारी नौजवानों को गुमराह कर रहा है।
चर्चा
रिपोर्ट पर चर्चा लगभग तीन दिन तक चलती रही। एक पूरे दिन तक चर्चा मिश्रित दलों में की गई, जिनमें सभी इलाकों और भाषाओं के लोग उपस्थित थे और प्रत्येक साथी ने रिपोर्ट को समझने में सक्रियता से योगदान दिया। इसके बाद प्रत्येक दल के एक कामरेड ने परिपूर्ण सभा में अपने दल की चर्चा के खास मुद्दों को पेश किया। चुनिंदा सवालों और मुद्दों को इसके बाद कामरेड लाल सिंह की अगुवाई में अध्यक्ष मंडल द्वारा और विस्तार पूर्वक उठाया गया।
जो गलत विचार और धारणायें कम्युनिस्ट आंदोलन में जहर घोल रही हैं और मजदूर वर्ग को हमारे समाज का नेता बनने से रोक रही हैं, उनके खिलाफ़ विचारधारात्मक और विवादात्मक संघर्ष करने के मकसद और तरीके पर कामरेड लाल सिंह ने विस्तारपूर्वक बात रखी। हम चाहते हैं कि हिन्दोस्तानी क्रान्ति को आगे बढ़ाने के रास्ते के विषय पर कम्युनिस्टों के बीच खुली चर्चा हो और किसी एक व्यक्ति या पार्टी को दुश्मन का एजेंट या गद्दार न करार दिया जाये। जब एक दूसरे पर इस तरह के आरोप लगाये जाते हैं, तो चर्चा खत्म हो जाती है। सभी कम्युनिस्टों को कभी न कभी एक झंडे तले आना होगा। पूंजीपति वर्ग की सत्ता का तख्ता पलट करने का यही एकमात्र रास्ता है।
कामरेड लाल सिंह ने इस बात को दोहराया कि मजदूर वर्ग किसी दूसरे वर्ग के साथ सत्ता में बंटवारा नहीं कर सकता है और न ही उसे ऐसा करना चाहिये। उसे पूंजीपति वर्ग के खिलाफ़, किसानों और मध्यमश्रेणी के साथ गठबंधन बनाना होगा। माओ त्से तुंग विचारधारा के प्रभाव से पैदा होने वाले गलत विचारों का मुकाबला करने की जरूरत पर विस्तार पूर्वक बोलते हुये, उन्होंने कहा कि माओ के विचार किसानों की सोच के अनुसार हैं, जो खुद शासक बनना चाहते हैं और यह सोचते हैं कि इसके लिये मजदूर वर्ग का फायदा उठा सकते हैं। परन्तु सच तो यह है कि किसान एक खत्म होने वाला वर्ग है। भविष्य मजदूर वर्ग के हाथ में है। पुराने प्रकार की कृषि का काम खत्म हो रहा है क्योंकि उत्पादन के हर क्षेत्र में आज मशीनों का प्रयोग होता है। माओ के विचारों में पुराने नुस्खे भरे पड़े हैं, जो हमारे देश की बदलती हालतों के अनुसार नहीं हैं। ज्ञान और आगे की सोच वाला वर्ग ही क्रान्ति को अगुवाई दे सकता है। किसान सिर्फ यही सोचता है कि अपनी जमीन को कैसे अपने हाथ में रखेगा या और बढ़ायेगा। मजदूर की कोई निजी संपत्तिा नहीं है, सिर्फ अपनी श्रम शक्ति है। वे कुशल कर्मचारी जो कुछ हद तक ऊंचे वेतन कमाते हैं, वे भी मजदूर वर्ग के हिस्सा हैं, हालांकि इस समय उनमें से कई कर्मचारियों में यह जागरुकता नहीं पैदा हुई है।
अध्यक्ष मंडल की बातों के बाद सभी प्रतिनिधियों को अपने विचार प्रकट करने को आमंत्रित किया गया। लगभग 8 घंटों तक प्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी बातें रखीं। इन बातों में प्रतिनिधियों की उच्च स्तर की चेतना और पार्टी की कार्यदिशा के इर्दगिर्द उनकी जुझारू एकता स्पष्ट थी। सभी कामरेडों ने महाअधिवेशन को पेश की गई रिपोर्ट की सराहना की। अपने-अपने शब्दों में, अपनी-अपनी भाषाओं, नये और वरिष्ठ कामरेडों ने रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों और संदेशों पर विस्तार किया। इन बातों से यह साफ पता चला कि हमारी पार्टी के सभी कामरेड आने वाले समय में पार्टी और मजदूर वर्ग के सामने मुख्य चुनौतियों को पूरी तरह समझ रहे हैं और इन चुनौतियों को उठाने के लिये तैयार हैं।
फैसले
अंतिम दिन पर महाअधिवेशन में रिपोर्ट और उसके अनुसार कुछ मुख्य प्रस्तावों को अपनाया गया। इसके बाद अलग-अलग इलाकों के प्रतिनिधियों ने अलग-अलग भाषाओं में क्रान्तिकारी गीत, गज़ल और शेर सुनाकर अपनी खुशी को प्रकट किया।
नयी केन्द्रीय समिति का एकमत से चुनाव हुआ, जिसका सभी ने ज़ोरदार तालियों से स्वागत किया। महाअधिवेशन के दौरान ही केन्द्रीय समिति ने अपनी प्रथम बैठक की। जब अध्यक्ष मंडल की ओर से यह घोषणा की गई कि कामरेड लाल सिंह पार्टी के महासचिव चुने गये हैं और कामरेड प्रकाश राव पार्टी के प्रवक्ता चुने गये हैं, तब सभी ने खड़े होकर, तालियां बजाकर इस घोषणा का स्वागत किया।
नवनिर्वाचित केन्द्रीय समिति की ओर से समापन टिप्पणियां देते हुये, कामरेड प्रकाश राव ने इस बात को दोहराया कि अब तक प्राप्त हुई सभी सफलताओं का श्रेय हम सबको सामूहिक रूप से जाता है और सोच तथा काम में अपनी एकता को मजबूत करके हम अपनी सफलताओं को जीत में बदल सकते हैं। उन्होंने सभी कामरेडों को आह्वान किया कि हम बुध्दि और जुझारू क्रान्तिकारी भावना के साथ अपने लिये तय किये गये कार्यों को उठायें।
इंटरनैशनल गीत के साथ चौथे महाअधिवेशन की कार्यवाही समाप्त हुई।