पूरे हिन्दोस्तान में विभिन्न सीमेंस के कारखानों की मज़दूर यूनियनों ने अपने सांझे हित का प्रतिनिधित्व करने के लिये सीमेंस एम्प्लोईज़ फेडरेशन का निर्माण किया है।
पूरे हिन्दोस्तान में विभिन्न सीमेंस के कारखानों की मज़दूर यूनियनों ने अपने सांझे हित का प्रतिनिधित्व करने के लिये सीमेंस एम्प्लोईज़ फेडरेशन का निर्माण किया है।
2 दिसम्बर को मुंबई में अंतर्राष्ट्रीय धातुकर्मियों की फेडरेशन द्वारा संचालित सभा में हिन्दोस्तान भर के सीमेंस यूनियनों के प्रतिनिधियों ने अपनी नयी एम्प्लोईज़ फेडरेशन के रजिस्टर होने का उत्सव मनाया। सीमेंस एम्प्लोईज़ फेडरेशन में अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों द्वारा नियंत्रित ट्रेड यूनियन केन्द्रों के यूनियन एक साथ आये हैं।
नये फेडरेशन के सामने कई चुनौतियां हैं। काफी सारे कारखानों में ठेके और अनौपचारिक मज़दूरों की संख्या कुल श्रमिकों का 50 प्रतिशत से भी अधिक है। साथ ही, मज़दूरों को यूनियन की सदस्यता की रोकथाम के लिये सीमेंस इंडिया ने एक बहुत ही बंटवारे की रणनीति अपनाई है। मज़दूरों को मनमाने ठंग से, बिना उनकी जिम्मेदारियों में बदलाव के, ऑफिसर बना दिया जाता है और उनके द्वारा यूनियन में सदस्यता लेने पर प्रतिबंध लगाये जाते हैं, चूंकि कथित रूप से अब वे प्रबंधन के दर्जे में आ गये हैं। मज़दूरों को यूनियन की सदस्यता से मिलने वाले अधिकारों को त्यागने के लिये अधिक वेतन का प्रलोभन दिया जाता है। कुछ कारखानों में तो ऐसी स्थिति है कि वहां उत्पादन तो होता है परन्तु वहां कार्यालय के अभिलेखों में कोई मज़दूर ही नहीं हैं। यूनियनों ने ऐसे तरीके को न्यायालय में चुनौती दी है।
सीमेंस एम्प्लोईज़ फेडरेशन की सभा के निष्कर्ष में उनकी कार्यवाईयों के प्रमुख मुद्दों पर सहमति बनाई गयी। इन सहमतियों में शामिल हैं – अफसर का ओहदा देकर मज़दूरों के गलत वर्गीकरण को खत्म करना, हिन्दोस्तान के अलग-अलग सीमेंस कारखानों के मज़दूरों के वेतन तथा परिस्थिति में सामंजस्य लाना, आपस बीच सूचना का आदान-प्रदान करना ताकि प्रबंधन एक कारखाने के मज़दूरों को दूसरे कारखाने के मज़दूरों से न भिड़ाये, और नियमित मज़दूरों की तुलना में ठेका मज़दूरों के अनुपात को सीमित रखना।
सीमेंस इंडिया ने अभी तक सीमेंस एम्प्लोईज़ फेडरेशन को मान्यता देने से इनकार किया है जबकि इसको सरकारी मान्यता मिल चुकी है। अत: एक अविलंब कार्य है कि फेडरेशन को सीमेंस कंपनी की मान्यता दिलाना ताकि वह सभी सीमेंस मज़दूरों की तरफ से कंपनी से समझौता कर सके। फेडरेशन सीमेंस कंपनी से आई.एम.एफ. से अंतर्राष्ट्रीय फ्रेमवर्क समझौता करने की भी मांग कर रहा है।
आखिरकार फेडरेशन की योजना है कि पूरे हिन्दोस्तान के सीमेंस मज़दूरों को अपनी सदस्यता में गिने और साथ ही कंपनी की सप्लाई श्रृंखला के मज़दूरों को भी। इसका लक्ष्य है कि फेडरेशन को सादृष्य बनाये और प्रबंधन को सिध्द करे कि यूनियनों में एकता है।