संपादक महोदय,
संपादक महोदय,
”हिंद-अमरीका रणनैतिक गठबंधन साम्राज्यवादी गठबंधन है! यह हिन्दोस्तान और दुनिया के लोगों के हितों के खिलाफ़ है!” इस लेख को छापने के लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ। यह लेख दुनिया की मौजूदा हालातों का माक्र्सवादी-लेनिनवादी विश्लेषण की एक महान परंपरा के मुताबिक है। सोवियत संघ के पतन और दो-ध्रुवीय दुनिया के बंटवारे के ख़त्म होने से पैदा असंतुलन के 20 वर्ष बाद आज दुनिया बहु-ध्रुवीय स्थिति की ओर बढ़ रही है जहाँ शीत युध्द के विजेता संयुक्त राज्य अमरीका की आधिपत्य को चुनौती देती हुई कई साम्राज्यवादी शक्तियां आपस में होड़ कर रही हैं।
हिन्दोस्तान के हुक्मरान इस बात से बेहद संतुष्ट हैं कि अब दुनिया उन्हें एक उभरती हुई साम्राज्यवादी शक्ति मानती है और उनके ख्याल से अब हिन्दोस्तान का वक्त आ गया है। लेख में बताया गया है कि ऐसे वक्त अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की हिन्दोस्तान यात्रा एक बड़े खतरे की ओर इशारा करती है, और इसमें हिन्दोस्तान के लोगों के लिए खुश होने जैसी कोई बात नहीं है। कई व्यापारी सौदों पर हस्ताक्षर करने के अलावा जिससे हिन्दोस्तान का कर्ज का बोझ और बढ़ेगा, बड़े पैमाने पर कई महंगे हथियार खरीदने पर लोगों का पैसा लगाया जायेगा। इससे साफ़ नज़र आता है कि हिन्दोस्तान के हुक्मरान जंग की तैयारी कर रहे हैं। अमरीका के साथ हिन्दोस्तानी हुक्मरानों का गठबंधन हिन्दोस्तान को तबाहकारी और गैर-जरूरी जंग में फंसा देगा और एशिया के खतरनाक रणनैतिक शतरंज में अमरीका का एक प्यादा बना देगा। इस सरमायदारी गठबंधन के खिलाफ़ हिन्दोस्तान के लोगों को एकजुट होना होगा। इस मसले पर बहादुरी और समझौता न करने वाली भूमिका के लिए मैं हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी को बधाई देता हूँ।
आपका
ज़हीर, गाजीपुर