एक पर हमला सभी पर हमला!
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की दिल्ली इलाका कमेटी का बयान, 19 सितम्बर, 2011
सुजुकी के जापानी मालिक ओसामा ने इस अघोषित तालाबंदी के दौरान बयान दिया कि उनकी कंपनी किसी भी प्रांत में नया प्लांट खोलेगी, जिस प्रांत की सरकार उनकी शर्तों को मानेगी। खबरों के मुताबिक तमिलनाडु, गुजरात और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के बीच होड़ लगी है कि कौन सुजुकी को मजदूरों के शोषण का सबसे अनुकूल वातावरण दे सकता है। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने सुजुकी के जापानी मालिक से मिलकर आश्वासन दिया है कि वह जमीन तथा हर किस्म की सहुलियत प्रदान करेगा ताकि हरियाणा में वे और कारखाने खोल सकें।
प्यारे साथियों,
29 अगस्त, 2011 से मारूती-सुजुकी के मानेसर स्थित प्लांट के हजारों मजदूर प्रबंधन द्वारा गैर-कानूनी तालाबंदी के खिलाफ़ बहादुरी से संघर्ष कर रहे हैं।
मजदूर अपने कानूनी अधिकार के लिए लड़ रहे हैं। वे अपना खुद का यूनियन बनाने के लिए लड़ रहे हैं। हरियाणा सरकार तथा प्रबंधन मजदूरों के इस अधिकार का सीधा उल्लंघन कर रहे हैं तथा संघर्षरत मजदूर व उनके नेताओं का उत्पीड़न कर रहे हैं। अब तक 62 मजदूर निलंबित व बर्खास्त किए गए हैं। 18 सितम्बर, 2011 को चार नेताओं – सोनू गुर्जर, शिव कुमार और रविन्द्र कुमार को झूठे आरोप लगाकर पुलिस हिरासत में बंद किये हैं। इससे साफ ज़ाहिर है कि हरियाणा की कांग्रेस पार्टी की सरकार व उसके मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुडा पूरी तरह से मारूती- सुजुकी के प्रबंधन के दिशा-निर्देश पर काम कर रहे हैं। पिछले चार महीने का घटनाक्रम यह साफ दिखाता है।
मई 2011 को मजदूरों ने चंडीगढ़ श्रम विभाग में यूनियन के पंजीकरण के लिए आवेदन दिया। श्रम विभाग ने मुख्यमंत्री तथा मारूती प्रबध्ंन से सलाह-मशवरा किया कि किस तरीके से यूनियन बनाने में बाधा डाली जाये। प्रबंधन ने तमाम नेताओं को निलंबित व बर्खास्त कर दिया। इसके तुरंत बाद मजदूरों ने जून में 13 दिन की एक ऐतिहासिक हड़ताल की। वे प्लांट के अंदर ही बगैर रोटी-पानी के 13 दिन डटे रहे ताकि प्रबंधन तालाबंदी न घोषित कर सके। गुड़गांव मानेसर क्षेत्र की 50 से अधिक फैक्ट्रियों के दसों-हजार मजदूरों ने मानेसर स्थित प्लांट के गेट पर इन मजदूरों के समर्थन में प्रदर्शन किये। इस स्थिति में प्रबध्ंन पीछे हटा और एक समझौता किया। लेकिन प्रबंधन नये षड्यंत्र रचने लगा।
उन्होंने एक फरेबी चुनाव आयोजित किया। तमाम मजदूरों ने इसका बहिष्कार किया। इसी बीच प्रबंधन व हुडा के आदेश पर श्रम विभाग ने मजदूरों के यूनियन के आवेदन को रद्द कर दिया। इसी के साथ-साथ, प्रबंधन ने झूठे आरोप लगाकर नेताओं का निलंबन व टर्मिनेशन शुरू कर दिया। 29 अगस्त, 2011 को अघोषित तालाबंदी कर दी। इस अघोषित तालाबंदी को हरियाणा सरकार का पूरा समर्थन है।
प्यारे साथियों,
उस दिन से 3000 से अधिक मजदूर गेट के आस-पास बैठकर अपना संघर्ष जारी रखे हैं। कड़ी धूप और तेज़ बारिश भी मजदूरों के हौसले को नहीं तोड़ पायी हैं। क्षेत्र के तमाम मजदूरों के समर्थन से इन मजदूरों को जोश मिल रहा है। कई बड़ी-बड़ी रैलियां हुई हैं। अन्य कारखानों के मजदूरों ने मारूती-सुजुकी के मजदूरों को अपना समर्थन दिखाने के लिए अपनी-अपनी फैक्ट्रियों में काम को रोका है। क्षेत्र के ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं ने एक कमेटी बनाकर मारूती-सुजुकी के मजदूरों के संघर्ष को आगे ले जाने के लिए कार्यक्रम तैयार किये हैं।
अब संघर्ष एक निर्णायक मोड़ पर है।
एक तरफ क्षेत्र के लाखों मजदूर अपने अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
दूसरी तरफ केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और पूरा पूंजीपति वर्ग इस संघर्ष को कुचलने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
क्यों?
क्योंकि इस संघर्ष का नतीजा देश के तमाम मजदूरों के अधिकारों के लिए संघर्ष पर असर डालेगा। क्योंकि मजदूर इसलिए लड़ रहे हैं कि वे अपने मनपसंद की यूनियन बनायें जो उनके हित की रक्षा करेगा।
सरकार और पूंजीपति कह रहे हैं – हमें विदेशी निवेश चाहिए। और यह निवेश तभी होगा अगर सरकार ऐसा माहौल तैयार करे जहां मजदूरों के असीमित श्रम का शोषण हो। केन्द्र और राज्य सरकारें इसी बात को बार-बार दोहरा रही हैं।
सुजुकी के जापानी मालिक ओसामा ने इस अघोषित तालाबंदी के दौरान बयान दिया कि उनकी कंपनी किसी भी प्रांत में नया प्लांट खोलेगी, जिस प्रांत की सरकार उनकी शर्तों को मानेगी। खबरों के मुताबिक तमिलनाडु, गुजरात और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के बीच होड़ लगी है कि कौन सुजुकी को मजदूरों के शोषण का सबसे अनुकूल वातावरण दे सकता है। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने सुजुकी के जापानी मालिक से मिलकर आश्वासन दिया है कि वह जमीन तथा हर किस्म की सहुलियत प्रदान करेगा ताकि हरियाणा में वे और कारखाने खोल सकें।
इस सबसे क्या नज़र आता है?
यह नज़र आता है कि हमारे देश का राज टाटा, अंबानी, जैसे देशी इजारेदारों व सुजुकी जैसे विदेशी इजारेदारों के नियंत्रण में है। ये पूंजीपति देश के प्राकृतिक संसाधन तथा मेहनतकशों के श्रम का अतिशोषण करके अत्यधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं। यह भी साबित होता है कि केन्द्र तथा राज्य सरकारें इन पूंजीपतियों को श्रम कानूनों का सीधे उल्लंघन करने में पूरी मदद करेंगी।
प्यारे साथियों,
मारूती-सुजुकी के मजदूरों का संघर्ष पूरे देश के मजदूरों के अधिकार का संघर्ष है। यह वक्त की मांग है कि इस संघर्ष में हम पूंजीपतियों तथा उनकी सरकारों को हरायें।
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी देश के तमाम मजदूरों तथा दुनिया के मजदूरों से आह्वान करती है कि वे मानेसर में चल रहे संघर्ष का महत्व समझकर अपने-अपने इलाके में इन मजदूरों के समर्थन में कार्यक्रम आयोजित करें।