चौथे महाअधिवेशन की रिपोर्ट

संपादक महोदय,

संपादक महोदय,

अक्टूबर 2010 में आयोजित हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के चौथे महाअधिवेशन की रिपोर्ट छापने के लिए मैं आपका आभारी हूँ। यह महाअधिवेशन ऐसे वक्त पर आयोजित हुआ है जब हमारी क्रांतिकारी और देशभक्त पार्टी की स्थापना के 30 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं और सरमायदार, उसकी राजनीति और राज्य चौतरफा संकट के बीच फंसा हुआ है। यह एक ऐसा वक्त है जब क्रांति के लिए वस्तुगत हालातें तैयार हो रही हैं लेकिन आत्मगत हालतें अभी भी पिछड़ी हुई हैं। सरमायदारों के निजीकरण और उदारीकरण का कार्यक्रम अपने आखिरी पड़ाव पर आ चुका है और इसके चलते मानव समाज पर व्यापक हमला छेड़ा गया है और बड़े पैमाने पर समाज को लूटा जा रहा है। इसके साथ सरमायदार ज़ोरों से प्रचार कर रहे हैं कि उनके राज्य और राज्यतंत्रों का कोई विकल्प नहीं है और मेहनतकश लोगों को इस स्थिति से निकलने की सारी उम्मीदें छोड़ देनी चाहिएं। इस सबके बावजूद इन हालातों में हम पार्टी का महाअधिवेशन आयोजित कर पाए और हमारी पार्टी इस महाअधिवेशन से और भी मजबूत हुई है, यह हम सब के लिए बड़े गर्व की बात है।

विचारधारा और राजनीति के क्षेत्र में कम्युनिस्ट आन्दोलन के सामने कई बड़े अवरोध खड़े हैं, जो एक ओर संसदीय कम्युनिस्ट के रूप में उसकी क्रांतिकारी ऊर्जा को नष्ट कर रहे हैं, तो दूसरी ओर माओवादी विचारधारा के नाम पर आत्मविनाश और गड़बड़ी के रास्ते पर ले जाते हैं। जबकि पहली धारा मेहनतकश लोगों को सरमायदारों की पूंछ बनाती है, और पूंजीवाद के ”मानवीय चेहरे” के नाम पर कुछ चंद टुकड़ों से संतुष्ट होकर सरमायदारों के साथ समझौते का रास्ता अपनाती है, तो दूसरी धारा गैर-ऐतिहासिक और आदर्शवादी भूमिका और परस्पर विरोधी नुस्खों और अंधानुकरण के आधार पर बनाये गए नमूनों से आन्दोलन को भ्रमित और दिशाभूल करती है। केवल मार्क्सवाद-लेनिनवाद के वैज्ञानिक रास्ते पर चलकर ही, जो क्रांतिकारी वर्गों को पहचानती है, क्रांति असलियत में लायी जा सकती है। इस संदर्भ में महाअधिवेशन के रिपोर्ट में साफ़ तौर से कहा गया है कि आज के दौर में मजदूर वर्ग ही एकमात्र वर्ग है जो पूरी तरह से क्रांतिकारी है, क्योंकि उसके पास अपनी बेड़ियों के अलावा खोने को और कुछ भी नहीं है।

इस महाअधिवेशन में सरमायदारों के दांवपेंचों पर भी चर्चा की गई, जिसके जरिये सरमायदार लोगों को गुलाम बनाकर रखता है। सरमायदारों के हथियारों के इस जखीरे में शामिल है आतंक और राजकीय आतंक और तमाम तरह की हिंसा, जिसमें हर रोज की वह हिंसा शामिल है जो सरमायदार गरीबी और भुखमरी के रूप में लोगों पर लादती है। इसके अलावा सरमायदार खुद को सबसे खतरनाक हथियारों से लैस करके अपना प्रभाव क्षेत्र बनाने के लिए, दुनिया के पुन: बंटवारे के लिए जंग की राह पर चल पड़ा है। मेहनतकश लोगों को हमेशा चौकन्ना रहना होगा ताकि गलती से भी वह सरमायदारों के खुदगर्ज और विनाशकारी इरादों के पीछे न हो ले।

आने वाले समय में सरमायदार वर्ग कम्युनिज्म पर हमला और भी तेज करेगा। इस चुनौती का सामना पूरी दृढ़ता और निश्चय के साथ करना होगा। पार्टी का चौथा महाअधिवेशन इस संघर्ष में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।

आपका
ए. नारायण, बेंगलूरू

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *