अपने अधिकारों की पुष्टि के लिये एयर इंडिया के कैजुवेल मज़दूर अपनी यूनियन बनाने का प्रयास कर रहे हैं और संघर्ष की राह पर हैं। वे स्थायी मज़दूरों बतौर मान्यता चाहते हैं और समान काम के लिये स्थायी मज़दूरों के बराबर का वेतन चाहते हैं। चेन्नई में एयर इंडिया के लिये काम करने वाले करीब 500 मज़दूरों ने इसमें पहलकदमी की है। देश भर के विभिन्न हवाई अड्डों में एयर इंडिया के करीब 2500 कैजुवेल मज़दूर हैं।
अपने अधिकारों की पुष्टि के लिये एयर इंडिया के कैजुवेल मज़दूर अपनी यूनियन बनाने का प्रयास कर रहे हैं और संघर्ष की राह पर हैं। वे स्थायी मज़दूरों बतौर मान्यता चाहते हैं और समान काम के लिये स्थायी मज़दूरों के बराबर का वेतन चाहते हैं। चेन्नई में एयर इंडिया के लिये काम करने वाले करीब 500 मज़दूरों ने इसमें पहलकदमी की है। देश भर के विभिन्न हवाई अड्डों में एयर इंडिया के करीब 2500 कैजुवेल मज़दूर हैं।
ये मज़दूर वाणिज्यिक सहायकों और वाहन चालकों का काम करते हैं। एयर इंडिया के लिये वे महत्वपूर्ण सेवा प्रदान करते हैं। वाणिज्यिक सहायक इंजीनियरिंग रखरखाव, जमीनी सेवा विभाग, सीमाशुल्क विभाग, प्रशासन व एयर इंडिया के अन्य विभागों में काम करते हैं। वे यात्रियों के सामान को चढ़ाने व उतारने, माल संचालन, विमानों की साफ-सफाई और विमानों के जमीनी चलन, आदि का काम चैबीसों घंटे, दिन और रात की पारियों में करते हैं। चालक यात्रियों और माल को हवाई पट्टी के चारों ओर और नज़दीक की सड़कों पर, कड़े नियमों और अनुशासन के साथ, एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं। कुछ समय पहले तक, वे सुरक्षित और भरोसेमंद तरीके से, विमान चालकों और परिचारकों का परिवहन भी करते थे। एयर इंडिया की उड़ानों को सुरक्षित, आरामदायक और ठीक वक्त पर चलाने की सुनिश्चिति के लिये, एयर इंडिया के कैजुवेल मज़दूर सभी सुरक्षा नियमों और कायदों का निष्ठा से अनुसरण करते हैं। एयर इंडिया प्रबंधन कई निजी विमान कंपनियों को इनकी सेवायें प्रदान करता है जैसे कि एमिरेटस, लुफ्थान्सा, कारगो, आदि।
एयर इंडिया के प्रबंधन ने इतनी जिम्मेदारी के कार्य करने वाले मज़दूरों को 20-30 वर्षों से कैजुवेल श्रेणी में रखा है। वे स्थायी न बन सकें इसके लिये एयर इंडिया का प्रबंधन उन्हें साल में 6महीने से ज्यादा नौकरी करने की अनुमति नहीं देता है। एक बार जब मज़दूरों ने 6महीने का काम कर लिया होता है, तब उन्हें जबरदस्ती से अवकाश लेना पड़ता है और उन्हें 6 महीने के बाद ही काम पर आने दिया जाता है। मेहनत के काम के लिये इन कैजुवेल मज़दूरों को बहुत कम वेतन दिया जाता है। उन्हें न तो मंहगाई भत्ता दिया जाता हैऔर न ही कोई दूसरा भत्ता। ओवरटाइम का भी उन्हें एक गुना वेतन ही मिलता है न कि दो गुना, जैसा कि होना चाहिये। उन्हें रात में ड्यूटी करने या जल्दी सुबह काम करने का भी कोई भत्ता नहीं दिया जाता जैसा कि स्थायी मज़दूरों को दिया जाता है। जब कैजुवेल मज़दूर एक पारी से ज्यादा लगातार काम करते हैं तो उन्हें अगले दिन की ड्यूटी के पहले जरूरी 11 घंटे का अवकाश भी नहीं दिया जाता है। उन्हें भविष्य निधि की सुविधा नहीं मिलती है। उन्हें काम की वर्दी और सुरक्षा जूते, कान में लगाने वाले प्लग और काम के लिये जरूरी दूसरी चीजें भी प्रबंधन की तरफ से नहीं दी जाती हैं। कैजुवेल मज़दूरों को ये चीजें अपने पैसों से लेनी होती हैं। उन्हें वेतन के साथ वार्षिक अवकाश या छुट्टी, चिकित्सा सुविधायें या चिकित्सा बीमा भी नहीं दिया जाता है। जो मज़दूर काम करते हुये मर जाते हैं या अपंग हो जाते हैं, उन्हें भी कोई भरपायी या चिकित्सा उपचार नहीं मिलता है।
एयर इंडिया, जो कि सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, श्रम कानूनों के बचाव रास्तों (लूप होल्स) का खुल्लम-खुल्ला उपयोग करके मज़दूरों का अतिशोषण कर रहा है। यह जब कि इन कैजुवेल मज़दूरों का काम स्थायी तरह का है और वही काम स्थायी कर्मचारी भी करते हैं।
एयर इंडिया के कैजुवेल मज़दूरों ने सितम्बर के पहले हफ्ते में अपनी सभा की और अपने अधिकारों के संघर्ष के लिये अगले कदम का फैसला लिया। मज़दूर एकता लहर उनकी न्यायिक मांगों का पूरा समर्थन करता है। मज़दूर एकता लहर विमान चालकों, परिचारकों, जमीनी सेवा कर्मचारियों और एयर इंडिया में काम करने वाले दूसरे कर्मचारियों की यूनियनों को बुलावा देता है कि कैजुवेल मज़दूरों को उनके अधिकार जीतने में मदद करें।