9 सितम्बर, 2011 को संजय कालोनी के निवासियों ने लोक राज समिति की अगुवाई में ओखला औद्योगिक क्षेत्र-2स्थित अधिशासी अभियंता, दिल्ली जल बोर्ड पर एक दिवसीय धरना दिया।
पानी न देने व शिकायतकर्ता के साथ बदसलूकी करने के खिलाफ़, जल बोर्ड में पार्टीवादी राजनीति को खत्म करने के लिए, तथा रिहायशी बस्तियों में पानी का कनेक्शन देने की मांग को लेकर यह धरना दिया गया।
9 सितम्बर, 2011 को संजय कालोनी के निवासियों ने लोक राज समिति की अगुवाई में ओखला औद्योगिक क्षेत्र-2स्थित अधिशासी अभियंता, दिल्ली जल बोर्ड पर एक दिवसीय धरना दिया।
पानी न देने व शिकायतकर्ता के साथ बदसलूकी करने के खिलाफ़, जल बोर्ड में पार्टीवादी राजनीति को खत्म करने के लिए, तथा रिहायशी बस्तियों में पानी का कनेक्शन देने की मांग को लेकर यह धरना दिया गया।
भारी वर्षा के बावजूद, निवासियों ने कालकाजी डिपो होते हुए दिल्ली जल बोर्ड तक रैली निकाली और दफ्तर के अंदर धरना दिया। “विधायक-जल बोर्ड का गठजोड़ खत्म करो!”, “35 सालों से संजय कालोनी सूखी है, कांग्रेस-भाजपा सत्ता की भूखी हैं,!“, ”घर-घर में नल चाहिए, टैंकर की भीख नहीं!”, “दिल्ली जल बोर्ड हमारी-आपकी, नहीं किसी के बाप की!”, “जल बोर्ड में भ्रष्टाचार खत्म करो!”, “‘आम’ या ‘विधायक के खास’ का फर्क करना बंद करो!”, इत्यादि नारे से दिल्ली जल बोर्ड का दफ्तर गूंज रहा था।
इससे पूर्व, 28 जुलाई, 2011 को इस इलाके की लोक राज समितियों ने प्रदर्शन करके दिल्ली जल बोर्ड के कार्यालय को ठप्प किया था।
ज्ञात रहे कि दिल्ली जल बोर्ड के दफ्तर में पानी के वितरण पर स्थानीय पार्टीवादी राजनीति के दबदबे के खिलाफ़ इस इलाके की लोक राज समितियों ने व्यापक अभियान छेड़ दिया है। इस अभियान के तहत, गली-गली में नुक्कड़ सभाएं आयोजित की जा रही हैं।
पार्टीवादी राजनीति का संकीर्ण उदाहरण यहां बहुत आसानी से देखने को मिलेगा। दिल्ली जल बोर्ड ‘आम आदमी’ और ‘विधायक के खास आदमी’ में फर्क करता है। जल बोर्ड, स्थानीय विधायक और सांसद, जिस पार्टी के प्रतिनिधि होते हैं, उनके आदेश पर काम करता है। ये नेता अपने खास चहेतों को पानी दिलवाते हैं और बाकी लोगों को वंचित रखते हैं।
समिति के अध्यक्ष, श्री अशोक कुमार ने धरने पर बैठे लोगों को संबोंधित करते हुए कहा कि 50,000 की आबादी वाली संजय कालोनी में बूस्टर द्वारा सप्लाई पानी बहुत ही कम लोगों को मिल पाता है। जगह-जगह पाईप लाईनें खराब हो चुकी हैं। दिल्ली जल बोर्ड टैंकर के द्वारा पानी सप्लाई करता है, जो सभी के लिये पर्याप्त नहीं हो पाता है। विगत कई सालों से यहां के निवासी नयी पाईप लाईन बिछाकर पानी वितरित करने की मांग कर रहे हैं।
समिति के सचिव, लोकेश कुमार ने कहा कि 18 अगस्त, 2011 को जल बोर्ड के अधिकारियों के साथ समितियों का एक प्रतिनिधिमंडल मिला। इस मीटिंग में लिखित समझौता हुआ था कि जल बोर्ड पानी के टेंकर की सप्लाई को सुचारू करेगा। दफ्तर आने वाले लोगों की शिकायतों को सुनेगा। जलबोर्ड के अधिकारी अपने वायदे पर कायम न रह सके।
दिल्ली जल बोर्ड पर आरोप लगाते हुए, स्थानीय निवासी ने बताया कि यहां के छात्र घर में पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए 2 किलोमीटर की दूरी तय करके जल बोर्ड आते हैं, उनसे हरेक टंकी (35 लीटर) के एवज़ में अवैध रूप से 2 रुपये से 5 रुपये तक वसूले जाते हैं।
लोक राज संगठन के दिल्ली परिषद के सचिव बिरजू नायक ने बताया कि पार्टी प्रतिनिधित्व की वर्तमान प्रणाली ही लोगों को अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने में बहुत बड़ी बाधा है। आपके विचार यदि पार्षद, विधायक, या सांसद के विचार से मेल नहीं खाते हैं, तो आपको हो सकता है न्याय पाने, बुनियादी जरूरत की चीजों को हासिल करने के लिए ज्यादा संघर्ष करना पड़े। दिल्ली की कई ऐसी कालोनियां हैं जहां विधायक और सांसद पानी की राजनीति करते आये हैं। इन कालोनियों में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है, जिसमें मुख्यतः पानी है। लोगों की एकता को अलग-अलग पार्टियों में बांटकर, अपने वोट की राजनीति को जिंदा रखते हैं। हमें मिलकर बंटवारे की राजनीति पर आधारित पार्टीवादी राजनीति को खत्म करने की दिशा में भी संघर्ष करना चाहिए। इससे अवश्य ही सरकार को लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना पड़ेगा।
धरना पूरे दिन चला। इस दौरान, धरने को संबोधित करने वालों में मीरा देवी, रंजीत, सुबोध गोस्वामी, संतोष कुमार इत्यादि शामिल थे।