बांग्लादेश में हजारों वस्त्र मज़दूर फैक्टरी मालिकों के साथ किये गए वेतन समझौते को लागू करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे हैं।बांग्लादेश में हजारों वस्त्र मज़दूर फैक्टरी मालिकों के साथ किये गए वेतन समझौते को लागू करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे हैं।
शुक्रवार, 10 दिसम्बर, 2010 के दिन दक्षिणी बांग्लादेश में जोशीले विरोध प्रदर्शन हुये। नतीजन फैक्टरियों के मालिकों ने कुछ फैक्टरियों को बंद कर दिया। अगले दिन, 11 दिसम्बर के दिन हजारों मज़दूरों ने ढाका में अपनी फैक्टरियों में तालाबंदी के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन किये। उन्होंने शहर के एक मुख्य महामार्ग को जाम कर दिया। मज़दूरों को हटाने के लिये पुलिस ने आंसू गैस और डंडों का इस्तेमाल किया। दक्षिणी शहर चटगांव में मज़दूरों के प्रदर्शनों की वजह से एक दक्षिणी कोरियाई कंपनी को वहां अपनी 11 फैक्टरियां बंद करनी पड़ी हैं।
मज़दूरों ने ध्यान दिलाया है कि बहुत सी कंपनियों के प्रबंधन सरकार के वेतन बोर्ड द्वारा घोषित नये वेतन नहीं लागू कर रहे हैं। नवम्बर 2010 से फैक्टरियों को कम से कम 43 अमरीकी डॉलर (यानि कि हिन्दोस्तानी 1,937 रु.) मासिक देना चाहिये था, परन्तु बहुत सी कंपनियां इतना कम वेतन देने को भी तैयार नहीं हैं! ढाका के आस-पास फैक्ट्रियों में काम करने वाले मज़दूर काफी दिनों से वेतनवृध्दि की मांग को लेकर प्रदर्शन करते आये हैं।
बांग्लादेश के वस्त्र उद्योग में, जो देश की अर्थव्यवस्था का एक अहम क्षेत्र है, इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ 30 लाख से भी अधिक मज़दूर काम करते हैं। यह ध्यान देने योग्य बात है कि बांग्लादेश में सस्ते श्रम से बनाये वस्त्र पश्चिमी देशों में महंगे ब्रांड बतौर बिकते हैं। जबकि ये ब्रांड तथा दुकानें करोड़ों का मुनाफा कमाते हैं, इन्हें बनाने वाले मज़दूरों को वैधानिक निकायों द्वारा निर्धारित कानूनी वेतन भी नहीं दिया जाता है – जो वैसे भी बहुत ही कम है।