ब्रिटेन का मज़दूर वर्ग और प्रगतिशील ताकतें नौजवानों पर हमलों के लिये राज्य को दोषी ठहराते हैं!

अगस्त 2011 की शुरुआत में ब्रिटेन के कई शहरों और नगरों में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुये और वहां की सड़कों पर दंगे-फसाद हुये। केमरॉन सरकार ने झट से नौजवानों को ''कानून और व्यवस्था की समस्या'' पैदा करने के लिये जिम्मेदार ठहराया, खास तौर पर अश्वेत नौजवानों को। कम्युनिस्टों, विभिन्न मज़दूर वर्ग के संगठनों और प्रगतिशीलराजनीतिक ताकतों ने इस सरकारी दावे का खंडन किया है। उन्होंने कहा है

अगस्त 2011 की शुरुआत में ब्रिटेन के कई शहरों और नगरों में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुये और वहां की सड़कों पर दंगे-फसाद हुये। केमरॉन सरकार ने झट से नौजवानों को ''कानून और व्यवस्था की समस्या'' पैदा करने के लिये जिम्मेदार ठहराया, खास तौर पर अश्वेत नौजवानों को। कम्युनिस्टों, विभिन्न मज़दूर वर्ग के संगठनों और प्रगतिशीलराजनीतिक ताकतों ने इस सरकारी दावे का खंडन किया है। उन्होंने कहा है कि पूंजीपतियों के नियंत्रण में राज्य, सांस्कृतिक संस्थाओं को नष्ट करने के लिये और नौजवानों के भविष्य को अंधकारमय बनाने के लिये जिम्मेदार है और अब यह राज्य पीड़ितों को ही गुनहगार ठहरा रहा है!

दंगे-फसादों का फौरी कारण टोटेनहम, लंदन में पुलिस द्वारा मार्क दुग्गन नामक नौजवान की गोली मारकर हत्या थी। पर इन दंगे-फसादों का गहरा कारण है ''कठोर कदमों'' के नाम पर मेहनतकशलोगों की रोजी-रोटी और अधिकारों पर वहशीहमले, और उसके साथ, राज्य द्वारा नौजवानों का तीव्र दमन, जिसका निशाना खास तौर पर अप्रवासी व अल्पसंख्यक समुदाय हैं। सारांशमें, बड़े पूंजीपतियों के नस्लवादी और मानवद्वेशी हमलों ने नौजवानों के लिये एक कुंठा और गुस्से की विस्फोटक परिस्थिति बना दी है।

दंगे-फसाद एक ऐसे समय पर हुये जब सरकार के ''कठोर कदमों'' ने मज़दूर वर्ग के नौजवानों को खूब तड़पा रखा है। ब्रिटेन में 10 लाख से भी अधिक नौजवानों के पास रोजगार नहीं है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 75,000 से अधिक नौजवान लोग कानूनन बेघर हैं और 6 लाख से भी अधिक बहुत कम जगह वाले घरों में रहते हैं। कॉलेज जाने के लिये पहले मिलने वाले शिक्षा देखभाल भत्तो, जिसके जरिये पहले काफी लोग कॉलेज जा पाते थे, उसे बंद कर दिया गया है। विश्वविधालयों को कुछ महीनों पहले ही 300 प्रतिशत तक शुल्क बढ़ाने की अनुमति दी जा चुकी है। ब्रिटेन के विश्वविधालयोंके मुकाबले, ब्रिटेन की जेलों में इस समय ज्यादा अश्वेत लोग मौजूद हैं!

बजट में कटौती के कारण, कई युवा केन्द्र बन्द कर दिये गये हैं और बच्चों व नौजवानों के लिये कई अन्य सेवाओं में बड़ी बेरहमी से कटौती की गई है। प्रति हफ्ते काम के घंटे बढ़ा दिये गये हैं, जिसकी वजह से अधिक से अधिक नौजवान नौकरी से बाहर हैं। लंदन में 23 प्रतिशत नौजवान बेरोज़गार हैं। राष्ट्रीय तौर पर, अमीरों और गरीबों के बीच की खाई तेज़ी से बढ़ती रही है; सबसे अमीर लोग सबसे गरीब लोगों से 100गुना ज्यादा अमीर हैं।

ये दबाव भरी हालतें और बेहतर भविष्य की पूर्ण निराशा आवश्यक ही नौजवानों में अशान्ति पैदा करती हैं। इस स्वाभाविक अशान्तिसे निपटने के लिये, पुलिस की ताकत को खूब बढ़ा दी गई है, अधिक से अधिक नौजवान उत्पीड़ित किये जा रहे हैं तथा जेल में बंद किये जा रहे हैं। पुलिस की गोलियों से मारे जाने वाले लोगों की सूची में मार्क दुग्गन की हत्या सबसे हालिया कांड है। 1998 से, पुलिस हिरासत में कम से कम 333 मौतें हुयी हैं।

इन दंगों के पश्चात 2000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया। अदालतों ने उन पर जरूरत से कहीं ज्यादा कठोर फैसले सुनाए। राज्य और ज्यादा दमन छेड़ने की हालतें तैयार कर रहा है।

ब्रिटेन की क्रान्तिकारी कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने कहा है कि ''नौजवानों का उज्जवल भविष्य नकारा जा रहा है। भविष्य तय करने में अपना मत रखने से उन्हें रोका जा रहा है। राज्य खुद ही हिंसा और अराजकता को बढ़ावा देता है, फिर नौजवानों को दोषी ठहराता है''

ब्रिटेन के मजदूर वर्ग और मेहनतकशजनसमुदाय यह समझ रहे हैं कि मोटे मुनाफे कमाने वाले बड़े-बड़े बैंकों और बड़ी-बड़ी कंपनियों को सरकार तरह-तरह के बचाव पैकेज देकर सुरक्षित रखती है, जबकि दौलत पैदा करने वाले मेहनतकशों को राज्य से कोई सुरक्षा नहीं मिलती है। सरकार चाहती है कि समाज की समस्याओं के लिये नौजवानों को दोशी ठहराया जाये, पर मेहनतकशजनसमुदाय ऐसा करने से इंकार कर रहे हैं।

बीते वर्ष में, ब्रिटेन में सरकार के ''कठोर कदमों'' और अधिकारों के बढ़ते हनन के खिलाफ़, मजदूरों और छात्रों व नौजवानों के बड़े-बड़े विरोध प्रदर्षन हुये हैं। ब्रिटेन के मजदूर वर्ग और सभी प्रगतिशील ताकतें यह मांग कर रही हैं कि राज्य द्वारा नौजवानों का दमन और अपराधीकरण फौरन बंद किया जाये, और नौजवानों की समस्याओं को हल करने के लिये ठोस कदम उठाये जायें। फंडिंग में कटौती रोकी जाये, टयूशन शुल्क में वृध्दि को वापस लिया जाये, ''रोक कर तलाषी लो'' के कानून वापस लिये जायें, नौकरी तलाशने वालों का एडवांस पैसा बढ़ाया जाये, इत्यादि। कम्युनिस्ट और सभी आधुनिक लोकतंत्रवादी यह वादा कर रहे हैं कि सरकार को जिम्मेदार ठहराया जायेगा और नौजवानों पर राजकीय दमन तथा नौजवानों को अपराधी करार देना, यह बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।

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