असहमति पर बंदिश लगाने की करतूत मुर्दाबाद! सशक्तिकरण के लिये हमारे लोगों का संघर्ष जिन्दाबाद!

लोक राज संगठन का बयान, 17अगस्त, 2011

लोक राज संगठन का बयान, 17अगस्त, 2011

श्री अन्ना हजारे और उनके साथियों को गिरफ्तार करने तथा हजारों ऐसे लोगों को हिरासत में लेने के लिये मनमोहन सिंह सरकार की लोक राज संगठन कठोर शब्दों में निंदा करता है। ये लोग दिल्ली के फिरोजशाह कोटला के पास जे.पी. पार्क में भ्रष्टाचार के खिलाफ़ एक मजबूत कानून बनवाने के लिये सरकार पर दबाव डालने के लिये इकट्ठे हो रहे थे।

लोक राज संगठन अपने देश के लोगों की हिम्मत को सलाम करता है, जिन्होंने अपने देश की राजधानी और सभी शहरों व गांवों में सड़कों पर निकलकर असहमति पर लगाई जा रही बंदिशका विरोध किया और एक भ्रष्टाचार मुक्त हिन्दोस्तान के लिये संघर्ष के साथ अपनी एकता का इज़हार किया है। इतनी विशाल एकता दिखाकर सरकार के प्रति असहमति के इस जोरदार प्रदर्शन के ज़रिये, हमारे देश के लोगों ने दिखा दिया है कि लोगों की शक्ति क्या है। हमने सरकार और संसदीय राजनीतिक पार्टियों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया है। हमारे लोग इकट्ठे होकर एक आवाज से मांग कर रहे हैं कि भ्रष्ट और परजीवी व्यवस्था को खत्म कर दिया जाये। लोगों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमें हुक्मरानों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं है कि वे इस ज्वलंत समस्या को हल कर सकेंगे।

सरकार ने बड़े हेकड़बाजी से अन्ना हजारे को उसके घर से प्रतिरोध शुरू होने से कुछ ही घंटे पहले उठा लिया था, उसे पीछे हटना पड़ा और 16 अगस्त, 2011 की रात को 7 दिन की न्यायिक हिरासत को वापस लेना पड़ा। लेकिन, अन्ना हजारे और उनके साथियों ने जेल में भी आमरण अनशन रोकने से या जेल से बाहर आने से इंकार किया है, जब तक कि सरकार उन्हें बिना किन्हीं शर्तों के प्रतिरोध को जारी रखने के उनके अधिकार को नहीं मानती। अब सरकार अपने थूके को चाटने और प्रतिरोध को जारी रखने की इज़ाज़त देने के दबाव में है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सरकार में उसके साथी लगातार ये ऐलान कर रहे हैं कि हिन्दोस्तान के लोगों की कानून बनाने में कोई भूमिका नहीं है। उनकी भूमिका सीमित है मात्र इस या उस पार्टी को सत्ता में लाने के लिये वोट डालने तक। सरकार के मुताबिक, कानूनों के बारे में फैसला करना सिर्फ संसद का विषेशअधिकार है। दूसरे शब्दों में, हमारे देश के लोगों के हाथ में प्रभुसत्ता नहीं है, बल्कि संसद में है। लोगों की इच्छा का कोई महत्व नहीं है। हिन्दोस्तान के लोग हुक्मरान नहीं हैं बल्कि उनके ऊपर हुक्मरानी चलाई जाती है। संसद ही हुक्मरान है।

हमारे देश के लोगों ने, लोकतंत्र की इस पुरानी पड़ चुकी और बंदिशों में बंधी अवधारणा को एक आवाज में चुनौती दी है। उन्होंने साफ-साफ, बिना किसी संदेह की गुंजाईशके ऐलान कर दिया है कि उन्हें हुक्मरान बनने का अधिकार है।

जो संघर्ष आज उमड़ पड़ा है वह सिर्फ भ्रष्टाचार को रोकने के लिये लोगों द्वारा बनाये गये एक मजबूत जन लोकपाल संस्था की मांग से बहुत आगे जाता है। ये हमारे लोगों द्वारा एक ऐलान है कि राजनीतिक ढांचे और प्रक्रिया को इस तरह से सुधारने का वक्त आ गया है कि प्रभुसत्ता लोगों के हाथ में हो।

लोग मांग कर रहे हैं कि संसद के लिये उम्मीदवारों का चयन और चुनाव करने का अधिकार और अनुपयुक्त प्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार अवश्य ही लोगों के हाथों में होना चाहिये। वे मांग कर रहे हैं कि लोगों को कानून प्रस्ताव करने का अधिकार होना चाहिये। वे कानूनों पर जनमत संग्रह के ज़रिये वोट डालने का अधिकार मांग रहे हैं।

लोग राजनीतिक पार्टियों की भूमिका के बारे में सवाल पूछ रहे हैं। लोक राज संगठन का मानना है कि वक्त आ गया है कि राजनीतिक पार्टियों की भूमिका पुन: परिभाषित की जाये ताकि वे लोगों पर हुकूमत न कर सकें। लोगों को हुक्मरान बनने के लिये संगठित करने में राजनीतिक पार्टियों की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। राजनीतिक पार्टियों को लोगों द्वारा अपने-आप राज चलाने का एक साधन बनना चाहिये। सिर्फ ऐसी ही राजनीतिक पार्टियों को वजूद में रहने का अधिकार होना चाहिये।

लोकपाल बिल पर संघर्ष ने यह पर्दाफाशकर दिया है कि वर्तमान व्यवस्था पुरानी पड़ चुकी है। यह हमारे देश के लोगों के अनकूल नहीं है। हमें एक नई व्यवस्था की जरूरत है जहां लोग हुक्मरान होंगे, और वे अर्थव्यवस्था को नई दिशादेंगे ताकि सब लोगों की जरूरतें पूरी की जा सकें। हमें लोक राज की ज़रूरत है!

भ्रष्टाचार मुक्त हिन्दोस्तान के लिये संघर्ष को आगे बढ़ाओ!

लोगों के सशक्तिकरण के लिये संघर्ष को आगे बढ़ाओ!

लोक राज के लिये संघर्ष को आगे बढ़ाओ!

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