अंतर्राष्ट्रीय तौर पर महत्वपूर्ण कदम लेते हुये, ईरान की संसद (मजलिस) ने औपचारिक तौर पर 26 अमरीकी अफसरों पर युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ़ अपराधों का आरोप लगाया है और उनकी गैरहाजिरी में भी, उन पर ईरानी अदालत में मुकदमा चलाने का फैसला लिया। ईरानी अदालत की कार्यवाही के बाद उनके अपराधों की फ़ाईल को हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय अपराधी अदालत (आई.सी.सी.) को भेजा जायेगा।
अंतर्राष्ट्रीय तौर पर महत्वपूर्ण कदम लेते हुये, ईरान की संसद (मजलिस) ने औपचारिक तौर पर 26 अमरीकी अफसरों पर युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ़ अपराधों का आरोप लगाया है और उनकी गैरहाजिरी में भी, उन पर ईरानी अदालत में मुकदमा चलाने का फैसला लिया। ईरानी अदालत की कार्यवाही के बाद उनके अपराधों की फ़ाईल को हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय अपराधी अदालत (आई.सी.सी.) को भेजा जायेगा।
प्रगतिशील और लोकतांत्रिक लोगों को अमरीका के व्यवहार से बेहद घृणा है, जिसने आधुनिक इतिहास में, बार-बार दूसरे देशों और सरकारों पर “दुष्ट राज्य” और “मानवता के खिलाफ़ अपराधों” के आरोप लगाये हैं और जिसने विभिन्न देशों और लोगों को सबसे ज्यादा आतंकित करने और यातनायें देने का काम किया है। मानवाधिकारों की आड़ में दुनिया भर के देशों पर वह प्रतिबंध लगाते आया है, विभिन्न लोगों पर उसने आई.सी.सी. में मुकदमे चलाये हैं और यहां तक कि “सत्ता परिवर्तन” आयोजित किये हैं, जो दूसरे देशों की सरकारों को गिराने का ही दूसरा एक नाम है।
अमरीकी साम्राज्यवाद के पाखंडी व्यवहार के अनुभवों से यह साफ पता चलता है। वह विभिन्न लोक-विरोधी शासनों के सबसे भयानक अपराधों का समर्थन करने को तैयार है अगर वह शासन अमरीकी आदेशों का पालन करता है। ऐसे शासनों की सूची बहुत ही लम्बी है। परन्तु अगर कोई देश या सरकार अमरीकी आदेशों का पालन नहीं करता या उसका किसी तरह से विरोध करता है, तब अमरीका फटाफट “मानवाधिकारों” के उल्लंघन का दोषारोपण करके, उस पर हमला करता है।
पिछले दस वर्षों में ही, जारी “आतंक के खिलाफ़ जंग” के दौरान, खासतौर पर इराक व अफग़ानिस्तान में, अमरीकी साम्राज्यवाद ने अनगिनत अपराध किये हैं। अनगिनत गैर-सैनिक नागरिकों, जिनमें वृद्ध लोग, महिलायें और बच्चे भी शामिल हैं, वे अमरीकी और उसके सहयोगी ताकतों की बमबारियों में हताहत हुये हैं। ईरानी मजलिस द्वारा अपराधी ठहराये गए 26 अमरीकी अफसरों में से कुछ नाम निम्नलिखित हैं:
पूर्व रक्षा मंत्री डॉनल्ड रम्सफैल्ड, जिन पर अमरीका के नेतृत्व में अफग़ानिस्तान और इराक में किये गये युद्ध में हजारों गैर-सैनिकों की हत्या का आरोप है। उन पर, खास तौर पर, इराक के अबु घरेब और अफग़ानिस्तान के बग्राम कुख्यात कैदखानों में मानवाधिकारों के उल्लंघनों के आरोप लगाये गये हैं।
पॉल ब्रेमर, जो मई 2003 से जून 2004 तक इराक में अमरीकी प्रशासक थे।
जनरल टॉमी फ्रेंक्स, जिसने अफग़ानिस्तान और इराक में अमरीकी हमले का नेतृत्व किया।
इराक में मानवाधिकारों के जबरदस्त उल्लंघनों के लिये जिम्मेदार, रेमण्ड ओडीर्नो, जो इराक में अमरीकी बल की कमान में थे।
जनरल रिकार्डो सांचेज़, जो अबु घरेब कैदखाने में अमरीकी सैनिकों के प्रभारी थे और जिसने अबु घरेब में मानवाधिकारों के जबरदस्त उल्लंघनों के लिये और राजकीय आतंक फैलाने में बड़ी भूमिका निभायी थी।
अफग़ान और इराकी लोगों के खिलाफ़ अपराधों में अपनी भूमिका के लिये अमरीकी पूर्व रक्षा सचिव, पॉल वोल्फोविट्ज।
ईरान द्वारा लगाये अपराधों का पूरा समर्थन अनेक अंतर्राष्ट्रीय और अमरीकी संस्थाओं ने भी किया है। ह्यूमन राईट्स वॉच की हाल में जारी की गयी 107 पन्ने की रपट में, जिसका शीर्षक है “यातनायें दे कर बच निकला”, इस बात की पुष्टि की गई है कि डॉनल्ड रम्सफैल्ड, सी.आई.ए. का पूर्व निदेशक, जॉर्ज टेनेट तथा अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश पर फौजदारी तहकीकात करने की जरूरत है, क्योंकि इन्होंने यातनाओं के विरोध में संयुक्त राष्ट्र के समझौते का उल्लंघन करके बंदियों को यातनायें देने के आदेश दिये। जुलाई में एम्नेस्टी इंटरनेशनल संस्था ने अमरीका पर दोष लगाया कि उसने शक के आधार पर लोगों को अफग़ानिस्तान में और क्यूबा में स्थित ग्वानतानामो बे अमरीकी कारागार में अनिश्चित काल के लिये बंदी बनाये हैं। ऐसे ही अक्टूबर, 2010 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने एक रपट निकाली जिसमें मानवाधिकारों के उल्लंघनों के लिये अमरीका पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई।
अमरीकी साम्राज्यवाद प्रेरित प्रचार ने तुरंत ईरानी मजलिस की भत्र्सना की है, यह कहकर कि अमरीकी आधिपत्य को चुनौती देने की वजह से लगातार अमरीकी दबाव का ईरान जैसे को तैसा जवाब दे रहा है। उनके नज़रिये के अनुसार, ईरान “आतंकवादी” है, जबकि अन्य लोगों के खिलाफ़ उनकी अपनी कार्यवाही जायज़ है, चाहे इसमें कितना भी जघन्य अपराध ही शामिल क्यों न हों। अमरीकी साम्राज्यवाद और उसके सहयोगियों के इस दोमुंहेपन का, दुनिया के लोगों की आंखों में, तेजी से पर्दाफाश हो रहा है और अब वे बहुत दिन नहीं बच पायेंगे। दुनिया के लोगों के मानवाधिकारों के बचाव में और दुनियाभर में अमरीकी हमलावर हरकतों के विरोध में, ईरानी मजलिस ने एक बहादुरी का और असूलवादी कदम लिया है।