अपने अधिकारों के लिये, बंगाल के चाय बाग़ान मज़दूर संघर्ष की राह पर

उत्तरी बंगाल और असम के चाय बागान मज़दूर संघर्ष की राह में उतरे हैं। वे अपने बेहिसाब शोषण के खिलाफ़ लड़ रहे हैं।

25 जुलाई, 2011 को प्रोग्रेसिव टी वर्कर्स यूनियन (पी.टी.डब्ल्यू.यू.) के तले संगठित चाय बागान मज़दूरों ने वेतन में वृद्धि की मांग लेकर चाय बागानों से चाय भेजना बंद कर दी।

पश्चिम बंगाल में भी 25तारिख को इसी मांग को लेकर सभी चाय बागानों में प्रदर्शन किये गये।

उत्तरी बंगाल और असम के चाय बागान मज़दूर संघर्ष की राह में उतरे हैं। वे अपने बेहिसाब शोषण के खिलाफ़ लड़ रहे हैं।

25 जुलाई, 2011 को प्रोग्रेसिव टी वर्कर्स यूनियन (पी.टी.डब्ल्यू.यू.) के तले संगठित चाय बागान मज़दूरों ने वेतन में वृद्धि की मांग लेकर चाय बागानों से चाय भेजना बंद कर दी।

पश्चिम बंगाल में भी 25तारिख को इसी मांग को लेकर सभी चाय बागानों में प्रदर्शन किये गये।

चाय बागान मज़दूरों के ट्रेड यूनियनों ने 10 अगस्त से वेतन वृद्धि की मांग को लेकर अनिश्चितकाल के लिये हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। चाय बागान मज़दूरों की समन्वय समिति (सी.सी.पी.डब्ल्यू.) और बागान मज़दूरों की अधिकार सुरक्षा समिति ने बागान के प्रबंधन से इस मसले पर जल्दी से जल्दी गौर करने को कहा है।

दूआर्स और तराई में 3लाख से भी अधिक मज़दूर हैं जिनको दिन की मजूरी का 67 रु. मिलता है। पी.टी.डब्ल्यू.यू. ने इसे बढ़ा कर 250 रु. करने की मांग की है। दार्जीलिंग में 1 अप्रैल से बागान दैनिक मजूरी बढ़ा कर 90 रु. कर दी गयी है, जब गोर्खा जनमुक्ति मोर्चा समर्थित दार्जीलिंग तराई दूआर्स बागान श्रमिक यूनियन और बागान प्रबंधन के बीच समझौता हुआ। वहां पर भी यूनियन ने तैयार चाय को भेजने पर रोक लगाई थी। पी.टी.डब्ल्यू.यू. ने भी वही रास्ता अपनाया है।

पी.टी.डब्ल्यू.यू के अध्यक्ष सुक्र मुंडा ने कहा, “एक मज़दूर को जो दैनिक मजदूरी मिलती है उससे परिवार का गुजारा नहीं होता है। अतः वेतन वृद्धि की हमने मांग रखी है। … इसीलिये हमने आंदोलन करने का निश्चय किया।”

दूआर्स के 153 चाय बागानों से 18 करोड़ किलोग्राम और तराई के 42चाय बागानों से 5 करोड़ किलोग्राम चाय का सालाना उत्पादन होता है। हड़ताल से चाय की सप्लाई में अवश्य ही प्रभाव पड़ेगा। अभी के समय, तैयार चाय की कीमत प्रति किलोग्राम 120 रु. से 130रु. है।

बागान मालिकों के संगठन ने सौदों में तीन साल के दौरान सालाना 8रु. की वृद्धि मानी है जो यूनियनों ने नामंजूर कर दी है।

इस मौसम में चाय का उत्पादन सर्वाधिक होता है और इस मौसम में इन 208 बागानों से दैनिक 8000 किलोग्राम चाय भेजी जाती है।

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