22 नवम्बर से हिन्दोस्तान और श्रीलंका के सीफेयरर एण्ड डॉक वर्कस यूनियनों ने ‘फ्लैग्स ऑफ कनवीनियंस‘ (एफ.ओ.सी.) शिपिंग के खिलाफ़ हफ्ते भर की हड़ताल की। हिन्दोस्तान और श्रीलंका के सभी मुख्य बंदरगाहों में कार्यकर्ताओं ने जहाजों22 नवम्बर से हिन्दोस्तान और श्रीलंका के सीफेयरर एण्ड डॉक वर्कस यूनियनों ने ‘फ्लैग्स ऑफ कनवीनियंस‘ (एफ.ओ.सी.) शिपिंग के खिलाफ़ हफ्ते भर की हड़ताल की। हिन्दोस्तान और श्रीलंका के सभी मुख्य बंदरगाहों में कार्यकर्ताओं ने जहाजों, ठेकों और एफ.ओ.सी. जहाजों में रहने और काम करने की हालतों की जांच-पड़ताल शुरू की।
एफ.ओ.सी. जहाजों को कुछ गिने-चुने देशों में पंजीकृत किया जाता है, जहां जहाज कर्मियों के लिये कोई श्रम कानून नहीं होते। जहाज जिस देश से चलता है, उसकी पहचान छुपी रहती है और दूसरे देशों से जहाज कर्मियों को किराये पर लिया जाता है। जहाज मालिक कई कारणों से एफ.ओ.सी. पंजीकरण करवाते हैं, जैसे कि सस्ते पंजीकरण शुल्क, बहुत कम टैक्स भुगतान या पूर्ण टैक्स मुक्ति और कम वेतन तथा बुरे काम की हालतों में कर्मचारियों से काम करवाने की छूट।
हड़ताल के प्रथम दिन, मुम्बई में कार्यकर्ताओं ने ”लूगेला” नामक एक जहाज को अपने कर्मचारियों को सही वेतन और काम की हालतें दिलवाने के समझौते पर हस्ताक्षर करने को मजबूर किया। इस जहाज का मालिक एक यूनानी कंपनी है, जो पनामा का झंडा फहराता है और जिसके कर्मचारी यूक्रेन से हैं।
कार्यकर्ताओं ने पारादीप, चेन्नई, विशाखापटनम, हलदिया, तूतिकोड़ी और श्रीलंका में कोलोम्बो में जहाजों की जांच की। उन्होंने कई जहाज मालिकों को अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानदण्डों के अनुसार मजदूरों के साथ समझौते करने को मजबूर किया।