किन हिस्सों का निजीकरण हो चुका है, और किन हिस्सों का निजीकरण होने जा रहा है?

  • 5 हवाई अड्डों का निजीकरण हो चुका है। ये हैं दिल्ली, मुंबई, बंगलूरु, हैदराबाद और कोची। देश के अंदर तथा अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के संदर्भ में ये 5 हिन्दोस्तान के सबसे मुनाफेदार हवाई अड्डे हैं। उनके निजीकरण से एयरपोर्ट अथॉरिटी आफ़ इंडिया की आमदनी पर बहुत असर पड़ा है।
  • मुंबई हवाई अड्डे के निजीकरण के दौरान, सरकार और एयर इंडिया के सी.एम.डी.जाधव ने एयर इंडिया की महंगी जमीन निज

    • 5 हवाई अड्डों का निजीकरण हो चुका है। ये हैं दिल्ली, मुंबई, बंगलूरु, हैदराबाद और कोची। देश के अंदर तथा अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के संदर्भ में ये 5 हिन्दोस्तान के सबसे मुनाफेदार हवाई अड्डे हैं। उनके निजीकरण से एयरपोर्ट अथॉरिटी आफ़ इंडिया की आमदनी पर बहुत असर पड़ा है।
    • मुंबई हवाई अड्डे के निजीकरण के दौरान, सरकार और एयर इंडिया के सी.एम.डी.जाधव ने एयर इंडिया की महंगी जमीन निजी कंपनियों को मुफ्त में दे दी। मुंबई में एम.आई.ए.एल.को दी गई जमीन की कीमत बाजार में हजारों करोड़ों रुपये है।
    • एयर इंडिया ने जमीनी काम के विभाग को एक सिंगापोर कंपनी, सिंगापोर एयरपोर्ट टर्मिनल सर्विसेज़ (एस.ए.टी.एस.) को सौंप दिया है। यह प्रकिया 2008 में, हैदराबाद और बैंगलूरू के जमीनी काम को उठाने के लिये, एसएटीएस के साथ एक संयुक्त कंपनी बनाने के साथ शुरु हुई थी। अप्रैल 2010 में इसे और बढ़ाया गया, यह सुनिश्चित करने के लिये कि सबसे व्यस्त हवाई अड्डों, दिल्ली और मुंबई तथा दूसरों में जमीन का काम सबसे पहले एस.ए.टी.एस.को दिया जाये।
    • एस.ए.टी.एस.को जमीन का काम देने से एयर इंडिया को काफी नुकसान हुआ है। एयर इंडिया के जमीनी कर्मचारी न सिर्फ एयर इंडिया की उड़ानों की सेवा करते थे बल्कि सिंगापोर एयरलाइंस, ब्रिटिश एयरवेज़, एमिरेट्स तथा कई और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों की भी सेवा करते थे, जिससे एयर इंडिया को मुनाफा मिलता था। जमीन के काम का अपना अधारभूत ढांचा भी है। बैंगलूरु, हैदराबाद और अन्य हवाई अड्डों, जहां विमानों को विश्राम के लिये रात को ठहराया जाता है, वहां विमानों को अगली उड़ान के लिये तैयार करने का काम इसमें शामिल है। अब सीढि़यों, पेट्रोल पंप, गाडि़यां, विमानों की मरम्मत की मशीनों व तरह-तरह के यंत्र खाली पड़े हैं और उनका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। एस.ए.टी.एस.के साथ सौदे में सरकार ने न सिर्फ एक मुनाफेदार शाखा को खोया बल्कि, अब एयर इंडिया को सिंगापोर की कंपनी को जमीनी काम के लिये – हैदराबाद, बैंगलूरु आदि हवाई अड्डों में विमानों को उड़ान हेतु तैयार करने के लिये – पैसे देना पड़ता है। इस तरह एयर इंडिया की अचल सम्पत्तियों को सड़ने के लिये छोड़ दिया गया है।
    • जमीन के काम के मजदूरों की हालत बहुत नाजुक है। औपचारिक तौर पर वे एयर इंडिया के मजदूर हैं और उन्हें एयर इंडिया से वेतन मिलता है। पर उन्हें निजी प्रबंधन एस.ए.टी.एस.के पास काम के लिये रिपोर्ट करना पड़ता है, जो उन्हें कोई काम नहीं देता है। उन्हें दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों के निजीकरण के अनुभव से मालूम है कि यह एयर इंडिया को खत्म करने का एक और कदम है।
    • कमर्शियल विभाग के मजदूरों को भी अब एस.ए.टी.एस.को रिपोर्ट देने को कहा जा रहा है।
    • इस समय एयर इंडिया के लगभग 15,000 मजदूरों का भविष्य अनिश्चित है। उन्हें एस.ए.टी.एस.को तबादला कर दिया गया है।
    • मेंटेनेंस एंड रिपेयर ओवरहॉल विभाग को हमले का खास निशाना बनाया गया है। हालांकि मंत्री ने इस समय कहा है कि इस विभाग का निजीकरण नहीं किया जायेगा, पर मीडिया में चल रही चर्चा से यह स्पष्ट है कि इस विभाग को निशाना बनाया जा रहा है।

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