वित्त पूंजी की तानाशाही के विरुद्ध यूनान में बग़ावत

28 और 29 जून, 2011 को जब यूनान की संसद “कठोरता” कानून को पास करने के लिये जमा हुई, तब यूनान में दसियों हजारों लोग इसके विरोध में सड़कों पर उतरे। कानून का सार है यूरोपीय और वैश्विक बैंकों के अपार लालच के लिये मेहनतकश लोगों की जबरदस्त लूट (बॉक्स देखिये)

28 और 29 जून, 2011 को जब यूनान की संसद “कठोरता” कानून को पास करने के लिये जमा हुई, तब यूनान में दसियों हजारों लोग इसके विरोध में सड़कों पर उतरे। कानून का सार है यूरोपीय और वैश्विक बैंकों के अपार लालच के लिये मेहनतकश लोगों की जबरदस्त लूट (बॉक्स देखिये)

वित्तीय पूंजीपतियों के गुनाहों के लिये लोगों को सजा दिये जाने के खिलाफ़, पुलिस के निर्दयी हमलों के बावजूद, लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर किया। यूरोपीय संघ तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने और कर्जा देने के लिये “कठोरता” कानून पारित करने की पूर्वशर्त रखी थी।

48 घंटे की आम हड़ताल की वजह से अधिकांश दफ्तर और बैंक बंद रहे और अस्पताल न्यूनतम कर्मचारियों से चले। हवाई अड्डे लगातार कई घंटों के लिये बंद रहे; जबकि रेलगाड़ी, बस और नौका सेवायें भी प्रभावित हुयीं। ऐथेंस के नज़दीक पिरायस बंदरगाह को, जो मुख्य भूखंड को सभी द्वीपों से जोड़ता है, प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया। मेट्रो रेल चालकों ने कहा कि प्रदर्शन में भाग लेने वाले लोगों को अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिये, राजधानी का भूमिगत यातायात ही इकलौता सार्वजनिक यातायात का साधन था, जो नहीं रोका गया था। पूरे देश से लोग बसों में भर कर एथेन्स आये और सीधे एथेन्स के सिंटेग्मा (संविधान) चैक पर पहुंचे।

28 जून, तड़के सुबह से लोग संविधान चैक पर पहुंचने लगे थे जो “कठोरता” के कदमों के विरोध का केन्द्र बिंदु था। उन्होंने संसद भवन को घेरने की कोशिश की ताकि अंदर मतदान न हो सके। पुलिस की पूरी कोशिश थी कि प्रदर्शनकारियों को दूर रखा जाये। यह साफ था कि उन्हें प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने का कठोर आदेश दिया गया था। उनका काम था कि हर हालत में, पास में स्थित यूनानी संसद में 300 सांसदों द्वारा “कठोरता” कदमों के एक नये पैकेज पर वोट डालने में कोई बाधा नहीं आये। पुलिस ने अश्रु गैस के गोले सीधे लोगों पर दागे जबकि वे बचने के लिये मेट्रो स्टेशनों की तरफ ही जा रहे थे।

यूनान की संसद ने पंच-वर्षीय “कठोरता” योजना, 138 विरोधी वोटों के मुकाबले 155 समर्थन वोटों से पारित की। दूसरी तरफ, यूनान के मेहनतकश लोगों ने संघर्ष जारी रखने की कसम खायी।

यूनान के मज़दूरों के नारे उनकी बढ़ती चेतना दर्शाते हैं। उनके नारों में शामिल थे, “लोगों के पास ताकत है; कभी हथियार नहीं डालना!”, “रोटी, शिक्षा, आजादी!”, “यूनान, यूरोपी संघ से बाहर निकलो!”, “कर्जा चुकाने पर रोक लगाओ!”, आदि।

मज़दूर एकता लहर यूनान के बहादुर लोगों को सलाम करता है जो अपनी जिन्दगी और रोजी-रोटी पर हमलों का बहादुरी से मुकाबला कर रहे हैं।

कठोरता” के नाम पर बैंक देश को दुगुना लूट रहे हैं

जब यूरोप के अधिकतर देशों में मुनाफा और उत्पादन गिर रहा था तब बड़े बैंकों ने सट्टेबाजी और बेईमानी हरकतों से यूनान की अर्थव्यवस्था में गुब्बारा उत्पन्न किया। जब यह गुब्बारा फूटा तब इन्हीं बैंकों ने अपनी डूबी हुई रकम सरकार के नाम कर दी, जिससे “राष्ट्रीय कर्ज संकट” उत्पन्न हुआ। अब वे मांग कर रहे हैं कि पहले सरकार घाटे को लोगों की मेहनत की कमाई और नौकरियों से चुकाये तभी वे सरकार को कर्जे की अगली किश्त देंगे। इसे “कठोरता पैकेज” का नाम दिया गया है। इसका असली मतलब है बड़े बैंकों द्वारा मेहनतकश लोगों की बड़ी डकैती, जो आयकर में वृद्धि, सुविधाओं और जनकल्याण खर्चे में कटौतियों और देश की सम्पत्ति को बेच कर की जा रही है।

खर्च कटौतियों में शामिल हैं:

  • सार्वजनिक क्षेत्र वेतन: वेतनों में 15 प्रतिशत की कटौती
  • सार्वजनिक क्षेत्र की कुल मज़दूराना रकम: अस्थायी ठेकों को बंद करके और नयी नौकरियों में रोक लगा कर सार्वजनिक क्षेत्र में 1,50,000 नौकरियां खत्म कर देना
  • सामाजिक सुविधायें और पेंशनें: सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ा कर 65 साल करना आयकर बढ़ोतरी में शामिल है
  • आयकर मुक्ति की सीमा को घटाना: अब तो न्यूनतम वेतन कमाने वालों को आयकर के घेरे में; आयकर मुक्ति की पहले की सीमा जो वार्षिक €12,000 (यूरो) थी अब घटा कर वार्षिक €8,000 (यूरो) कर दी गयी है।

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