हमारे पाठकों से : 30 घंटे का सफर 90 घंटे में – भारतीय रेल और राज्य की मेहरबानी

लाखों लोग सड़कों पर उतर पड़े थे, पैसों और काम के अभाव ने उन्हें पैदल चलने के लिए विवश कर दिया था। महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश की सीमाओं पर पचासों किलोमीटर लम्बा ट्रकों का जाम लगा जिसमे सिर्फ मज़दूर और उनके परिवार भरे थे। मज़दूर परिवारों की बड़ी तादाद अभी भी बाकी थी जिन्होंने सब्र का लिबास ओढ़ रखा था, उनकी आशाएं भारतीय रेल की ओर टिकी थीं। आखिरकार भारतीय रेल का मौन टूटा परन्तु मज़दूर परिवारों को सिर्फ निराशा ही हाथ लगी।

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