द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 75वीं वर्षगांठ पर

भाग 4 : द्वितीय विश्व युद्ध की प्रमुख लड़ाइयां

द्वितीय विश्व युद्ध में स्तालिनग्राद की लड़ाई सबसे निर्णायक मोड़ थी। स्तालिनग्राद के लोगों ने हर गली, हर घर और अपने शहर की एक-एक इंच ज़मीन को बचाने के लिए जंग लड़ी। कई महीनों तक चली इस बेहद कठिन जंग में जर्मन सेना की हार हुई, जिसे अभी तक अजेय माना जा रहा था। जर्मनी की सेना पूरी तरह से नष्ट हो गयी और आत्मसमर्पण के लिए मजबूर हो गयी।

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नाज़ी जर्मनी की पराजय की 75वीं वर्षगाँठ पर :

इतिहास के सबक नहीं भुलाए जाने चाहियें

9 मई, 1945 को नाज़ी जर्मनी की पराजय के साथ, यूरोप में दूसरे विश्व युद्ध का अंत हुआ था। उससे पहले, यूरोप में दूसरे विश्व युद्ध की आखिरी व्यापक सैनिक कार्यवाही हुयी थी, जो बर्लिन युद्ध के नाम से जानी जाती है। उस सैनिक कार्यवाही के दौरान, सोवियत लाल सेना के 15 लाख से अधिक सैनिकों ने हिटलर की बची-खुची फ़ौज को पराजित किया, जर्मनी की राजधानी बर्लिन में प्रवेश किया और 2 मई को वहां के संसद राइचस्टैग पर लाल झंडा फहराया था।

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