केंद्रीय बजट 2025:
निजीकरण के कार्यक्रम को आगे बढ़ाना जारी

1 फरवरी को 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिजली और बीमा सहित कई क्षेत्रों में निजीकरण के कार्यक्रम के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से कई नीतिगत घोषणाएं कीं।

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राज्यों के चुनाव :
राजनीति को सबसे निचले स्तर तक गिराया जा रहा है

चुनाव, चाहे केंद्रीय संसद के लिए हों या राज्य विधानसभाओं के लिए, ये तब तक पूंजीपति वर्ग के शासन को वैधता दिलाने का एक उपकरण बने रहेंगे, जब तक बड़े धनबल द्वारा समर्थित पार्टियों का वर्चस्व समाप्त नहीं किया जाता और फ़ैसले लेने की शक्ति लोगों के हाथों में लाने के लिए राजनीतिक प्रक्रिया को बदल नहीं दिया जाता है। इन तब्दीलियों को अंजाम देकर ही, आर्थिक व्यवस्था को पूंजीवादी लालच को पूरा करने के बजाय लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने की दिशा में संचालित किया जा सकता है।

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मज़दूरों और किसानों के लिए आगे का रास्ता

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का आह्वान, 12 नवंबर, 2023

मज़दूरों और किसानों को देश का हुक्मरान बनना होगा और अर्थव्यवस्था को एक नयी दिशा दिलानी होगी ताकि सबके लिए सुरक्षित रोज़गार और खुशहाली सुनिश्चित की जा सके। हमें यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि, बिना किसी अपवाद के, समाज के सभी सदस्यों के लोकतांत्रिक अधिकारों और मानव अधिकारों की सुरक्षा की जाये।

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पुदुचेरी के बिजली मज़दूरों का निजीकरण के ख़िलाफ़ संघर्ष

पुदुचेरी के बिजली विभाग के मज़दूरों ने निजीकरण के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई में अस्थायी सफलता हासिल की है। उन्हें केंद्र शासित प्रदेश के बिजली मंत्री से आश्वासन मिला है कि बिजली वितरण के निजीकरण की प्रक्रिया को फ़िलहाल आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।

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बिजली के वितरण का निजीकरण – झूठे दावे और असली उद्देश्य

भारत में बिजली पर वर्ग संघर्ष पर लेखों की श्रृंखला में यह पांचवां लेख है

यदि सरकार बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 को संसद में पेश करती है तो लगभग 27 लाख बिजली मज़दूर देशभर में हड़ताल पर जाने की धमकी दे रहे हैं। वे मांग कर रहे हैं कि सरकार बिजली वितरण के निजीकरण की अपनी योजना को लागू न करे।

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बिजली के उत्पादन का निजीकरण – झूठे दावे और असली उद्देश्य

यह हिन्दोस्तान में बिजलीक्षेत्र में वर्ग संघर्ष पर लेखों की एक श्रृंखला में चौथा लेख है

1992 में स्वतंत्र बिजली उत्पादक नीति (आई.पी.पी.) की शुरुआत के साथ, बिजली का उत्पादन हिन्दोस्तानी और विदेशी पूंजीपतियों के लिए खोल दिया गया था। 1992 से पहले, बिजली का उत्पादन सार्वजनिक क्षेत्र में ही किया जाता था।

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मई दिवस 2022 :
मज़दूरों और किसानों के शोषण को ख़त्म करने के लिए संघर्ष को आगे बढाएं!

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का बयान, मई दिवस, 2022

आज मई दिवस है, सभी देशों के मज़दूरों के लिए जश्न मनाने का दिवस है। हमारे देश के कोने-कोने में मज़दूर जुझारू रैलियों, मीटिगों और जुलूसों में हिस्सा ले रहे हैं। हम अब तक हासिल हुई जीतों पर खुशियां मना रहे हैं और अपनी असफलताओं से सबक लेकर, उन पर चर्चा कर रहे हैं।

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एयर इंडिया का निजीकरण :
इजारेदार पूंजीपतियों के अधिकतम मुनाफे़ कमाने की लालच को पूरा करने के लिए मज़दूर-विरोधी और जन-विरोधी क़दम

एयर इंडिया और इसकी सहायक इकाई ए.आई. एक्सप्रेस, जिसके पास 94 विमान हैं और जो 100 से अधिक घरेलू उड़ानों और 60 अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को संचालन करती है, इन्हें टाटा समूह को बेच दिया गया है।

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मुद्रीकरण – निजी पूंजीवादी लाभ के लिए सार्वजनिक संपत्ति की लूट

23 अगस्त को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक संपत्ति का “मुद्रीकरण” करने की योजना की घोषणा की। उन्होंने दावा किया कि सरकार को इस योजना से चार साल में 6 लाख करोड़ रुपये एकत्र होने की उम्मीद है।

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बिजली संशोधन विधेयक 2021 : 
बिजली क्षेत्र के मज़दूर निजीकरण के विरोध में संघर्ष की राह पर

हाल ही में मज़दूर एकता लहर के संवाददाता ने संसद पर धरना दे रहे बिजली क्षेत्र की यूनियनों व फेडरेशनों के नेताओं से उनके मुद्दों और मांगों के बारे में बात की। हम यहां दो साक्षात्कारों के मुख्य बिन्दू पेश करे हैं – अभिमन्यु धनखड़, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स के राष्ट्रीय महासचिव हैं और इंजीनियर शैलेंद्र दूबे, ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष हैं।

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